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Presidential Election 2022: नया राष्ट्रपति चुनने के लिए गतिविधियां तेज, जानिए क्या है चुनाव की पूरी प्रक्रिया
Presidential Election 2022: भारत में राष्ट्रपति का पद सर्वोच्च संवैधानिक पद है। संवैधानिक प्रक्रिया के तहत देश में राष्ट्रपति का चुनाव होता है। अब एक बार फिर देश में नए राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया की शुरुआत होने वाली है।
Presidential Election 2022: देश में राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election 2022) के लिए सत्तापक्ष और विपक्षी खेमे में गतिविधियां तेज हो गई हैं। देश के मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) का कार्यकाल आगामी 25 जुलाई को समाप्त होने वाला है। यही कारण है कि नए राष्ट्रपति के नामों पर चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं। हालांकि सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी खेमे की ओर से अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले गए हैं। वैसे उत्तर प्रदेश समेत चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद भाजपा (BJP) की राह आसान हो गई है। फिर भी एनडीए को बीजू जनता दल और वीआरएस कांग्रेस (Congress) जैसे क्षेत्रीय दलों से मदद की दरकार है।
विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में राष्ट्रपति का पद सर्वोच्च संवैधानिक पद है। संवैधानिक प्रक्रिया के तहत देश में राष्ट्रपति का चुनाव (Presidential Election 2022) होता है। अब एक बार फिर देश में नए राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया की शुरुआत होने वाली है। ऐसे में यह जानना दिलचस्प है कि देश में राष्ट्रपति चुनाव की क्या प्रक्रिया होती है। आखिर जब जनता इस चुनाव में मतदान नहीं करती तो नए राष्ट्रपति का चुनाव कैसे किया जाता है।
इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए चुनाव
राष्ट्रपति का चुनाव (Presidential Election 2022) जनता सीधे नहीं करती बल्कि जनता की ओर से चुने गए प्रतिनिधि इस चुनाव में भूमिका निभाते हैं। राष्ट्रपति का चुनाव एक इलेक्टोरल कॉलेज करता है और इसके सदस्यों का प्रतिनिधित्व अनुपातिक होता है। राष्ट्रपति के चुनाव में सभी प्रदेशों की विधानसभाओं के सदस्य और लोकसभा व राज्यसभा के सांसद वोट डालने के हकदार होते हैं। राष्ट्रपति की ओर से सदन में नामित सदस्यों और विभिन्न राज्यों की विधान परिषदों के सदस्यों को राष्ट्रपति के चुनाव में मतदान का अधिकार नहीं होता। इसका कारण यह है कि ये सदस्य जनता की ओर से नहीं चुने जाते हैं। इसीलिए इसे अप्रत्यक्ष चुनाव भी कहा जाता है।
कैसे तय की जाती है वोट की वैल्यू
राष्ट्रपति के चुनाव (Presidential Election 2022) में वोट डालने वाले सांसदों और विधायकों के वोट का वेटेज अलग अलग होता है। दो राज्यों के विधायकों के वोट की वैल्यू भी अलग-अलग होती है। विधायकों के वोट की कीमत तय करने में उस राज्य की आबादी देखी जाती है। इसके साथ ही उस राज्य की विधानसभा के सदस्यों की संख्या भी देखी जाती है। विधायकों के वोट का वेटेज निकालने के लिए प्रदेश की जनसंख्या को उस प्रदेश के विधायकों की संख्या से बांटा किया जाता है। इस तरह मिलने वाले नंबर को फिर 1000 से भाग दिया जाता है। अब जो आंकड़ा हासिल होता है वही उस राज्य के एक विधायक के वोट की वैल्यू होती है।
मनोनीत सांसदों को मतदान का अधिकार नहीं
सांसदों के वोट का वेटेज अलग तरीके से निकाला जाता है। इसके लिए सबसे पहले सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुने गए सदस्यों के वोटों का वेटेज जोड़ा जाता है। फिर इसे लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha) के चुने गए सदस्यों की संख्या से भाग दिया जाता है। इस तरह जो नंबर हासिल होता है, वही एक सांसद के वोट का वेटेज तेज होता है। 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में सिर्फ 233 सांसद ही वोट डाल सकते हैं। राज्यसभा के 12 मनोनीत सांसदों को राष्ट्रपति चुनाव में मतदान का अधिकार नहीं हासिल होता।
किस तरह हासिल होगी राष्ट्रपति चुनाव में जीत
इस बार के राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election 2022) में लोकसभा के सभी 543 सदस्य मतदान में हिस्सा लेंगे। आजमगढ़, रामपुर और संगरूर में होने वाले उपचुनाव में जीत हासिल करने वाले सांसदों को भी इस चुनाव में मतदान का मौका मिलेगा। इन सांसदों के अलावा विभिन्न राज्यों के 4120 विधायक भी राष्ट्रपति चुनाव की मतदान प्रक्रिया में शामिल होंगे। राष्ट्रपति के चुनाव में इस बार मतदाताओं की कुल संख्या 4896 होगी। हालांकि उनके वोटों की कीमत अलग-अलग होगी।
राष्ट्रपति के चुनाव में जीत हासिल करने के लिए सांसदों और विधायकों के वोटों के कुल वेटेज का आधे से अधिक हिस्सा पाना जरूरी होता है। इसका मतलब साफ है कि इस चुनाव में पहले से ही यह तय होता है कि जीतने वाले उम्मीदवारों को कितना वोट हासिल करना होगा।
राष्ट्रपति चुनाव में यूपी की भूमिका अहम होगी
राष्ट्रपति के चुनाव (Presidential Election 2022) नतीजे में उत्तर प्रदेश की भूमिका सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होगी। उत्तर प्रदेश के विधायक के वोट की वैल्यू देश में सबसे ज्यादा 208 होगी। झारखंड और तमिलनाडु के विधायक के वोट की वैल्यू 176 तो महाराष्ट्र के एक विधायक के वोट की वैल्यू 175 होगी।
सिक्किम विधानसभा (Sikkim Legislative Assembly) के सदस्य के वोट की वैल्यू सबसे कम सात होगी। पूर्वोत्तर के राज्यों और अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम के विधायकों के वोट की वैल्यू भी काफी कम आठ होती है। उत्तर प्रदेश में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को बड़ी जीत हासिल हुई है। भाजपा को मिली यह जीत एनडीए उम्मीदवार की स्थिति को मजबूत बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगी।
राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने की योग्यता
राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए भारत का नागरिक होने के साथ ही कम से कम 35 साल की आयु होनी चाहिए। उम्मीदवार में लोकसभा का सदस्य बनने की पात्रता भी होनी जरूरी है। इसके साथ ही इलेक्टोरल कॉलेज के 50 प्रस्तावक और 50 समर्थन करने वाले भी होने चाहिए। राष्ट्रपति देश का संवैधानिक मुखिया होता है और संघ की कार्यकारी शक्तियां उसमें निहित होती हैं।
राष्ट्रपति को पद से हटाने की क्या है प्रक्रिया
राष्ट्रपति को महाभियोग की प्रक्रिया से हटाया जा सकता है। इसके लिए लोकसभा और राज्यसभा में सदस्य को 14 दिन का नोटिस देना होता है। इस पर कम से कम एक चौथाई सदस्यों के दस्तखत जरूरी होते हैं। फिर सदन में इस पर चर्चा की जाती है। अगर सदन के दो तिहाई सदस्यों का इस प्रस्ताव को समर्थन हासिल हो जाए तो फिर इसे दूसरे सदन में भेजा जाता है। यदि दूसरा सदन भी दो तिहाई समर्थन से इस प्रस्ताव को पारित कर दे तो राष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकता है।