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Presidential Election 2022: ममता की मुहिम को मिला कांग्रेस का समर्थन, दीदी की बैठक में हिस्सा लेगी पार्टी
Presidential Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार तय करने की ममता बनर्जी की मुहिम को बड़ी ताकत मिली है। कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल ने बैठक में हिस्सा लेने का फैसला किया है।
Presidential Election 2022: राष्ट्रपति के चुनाव (Presidential Election) में विपक्ष का साझा उम्मीदवार तय करने की ममता बनर्जी (West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee) की मुहिम को बड़ी ताकत मिली है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस सिलसिले में कल दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में विपक्षी नेताओं की बड़ी बैठक बुलाई है। कांग्रेस (Congress) ने इस बैठक में हिस्सा लेने की हामी भर दी है। कांग्रेस की ओर से पार्टी के तीन वरिष्ठ नेता ममता की इस बैठक में हिस्सा लेंगे। राष्ट्रीय लोकदल (Rashtriya Lok Dal) के नेता जयंत चौधरी ने भी इस बैठक में हिस्सा लेने का फैसला किया है।
कांग्रेस और टीएमसी (TMC) में खींचतान के चलते पार्टी के इस बैठक में हिस्सा लेने की उम्मीद नहीं दिख रही थी मगर अब कांग्रेस ने इस बैठक में हिस्सा लेने का फैसला कर लिया है। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस विपक्षी एकता में बाधक नहीं बनना चाहती और इसीलिए भाजपा के खिलाफ मजबूत उम्मीदवार उतारने की मुहिम को पार्टी ने समर्थन दिया है।
बैठक में तीन वरिष्ठ नेता लेंगे हिस्सा
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले दिनों विपक्ष के 22 प्रमुख नेताओं को चिट्ठी लिखकर 15 जून की दिल्ली बैठक में हिस्सा लेने का अनुरोध किया था। राष्ट्रपति के चुनाव में विपक्ष का साझा उम्मीदवार उतारने की मुहिम में इस बैठक को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अब कांग्रेस ने भी ममता का न्योता स्वीकार कर लिया है और पार्टी की ओर से तीन वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश और रणदीप सिंह सुरजेवाला इस बैठक में हिस्सा लेंगे।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Congress President Sonia Gandhi) ने पहले ही विपक्षी दलों से समन्वय की जिम्मेदारी खड़गे को सौंप रखी है। खड़गे ने इस सिलसिले में विपक्ष के कुछ नेताओं से बातचीत भी की है। मुंबई दौरे के समय उन्होंने इस मुद्दे पर एनसीपी के मुखिया शरद पवार से भी चर्चा की थी। अब कल होने वाली बैठक में खड़गे राष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर कांग्रेस का रुख स्पष्ट करेंगे।
शिवसेना ने पवार को सबसे उपयुक्त बताया
वैसे राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का साझा उम्मीदवार तय करना आसान काम नहीं है। विपक्षी दलों की ओर से इस चुनाव में शरद पवार का नाम उछाला जा रहा है मगर पवार यह चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं हैं। एनसीपी नेताओं की बैठक में भी उन्होंने स्पष्ट किया कि वे राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में शामिल नहीं है। ऐसा माना जा रहा है कि कल की बैठक में यदि पवार के नाम पर रजामंदी बनी है तो विपक्षी नेताओं की ओर से उन पर दबाव बढ़ाया जाएगा।
शिवसेना के नेता संजय राउत (Shiv Sena leader Sanjay Raut) ने मंगलवार को अयोध्या में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राष्ट्रपति चुनाव में पवार को सबसे मजबूत उम्मीदवार बताया। उन्होंने कहा कि वरिष्ठता और अनुभव के लिहाज से पवार ही राष्ट्रपति बनने के सबसे ज्यादा उपयुक्त हैं। आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) भी पवार के ही समर्थन में बताई जा रही है। महाराष्ट्र की कांग्रेस इकाई ने भी पवार का समर्थन किया है। अब यह देखने वाली बात होगी कि पवार अपने फैसले पर डटे रहते हैं या विपक्षी नेताओं के दबाव में फैसला बदलकर चुनावी अखाड़े में कूदते हैं।
भाजपा नेता भी जल्द शुरू करेंगे चर्चा
चुनाव आयोग (election Commission) की ओर से घोषित कार्यक्रम के अनुसार राष्ट्रपति का चुनाव 18 जुलाई को होना है। भारतीय जनता पार्टी ने इस मामले में सभी दलों से बातचीत की जिम्मेदारी पार्टी के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सौंपी है। भाजपा नेताओं की ओर से भी जल्द इस मुद्दे पर सभी दलों से बातचीत किए जाने की संभावना है। दरअसल, भाजपा भी विपक्ष को यह आरोप लगाने का मौका नहीं देना चाहती कि सत्तारूढ़ दल ने विपक्षी नेताओं के साथ कोई चर्चा नहीं की। वैसे सियासी जानकारों का मानना है कि भाजपा की ओर से चर्चा किए जाने के बावजूद सर्व सम्मत उम्मीदवार तय किया जाना काफी मुश्किल नजर आ रहा है।