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Presidential Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव में इस्तेमाल होता है खास पेन, जानें क्या है इसकी कहानी?
Presidential Election 2022 : EC ने कहा, कि 'विशेष रूप से डिजाइन यह पेन वोटों की गोपनीयता बनाए रखने और वोटिंग सांसद/विधायक को मतदान से रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।
Presidential Election 2022 : चुनाव आयोग (Election Commission) ने आज (9 जून) राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election 2022) का कार्यक्रम जारी कर दिया है। जिसके तहत मतदान होने पर मतदाताओं (Voters) को मतपत्रों (Ballots) को चिह्नित करने के लिए 'बैंगनी स्याही' (Electoral ink) के अद्वितीय, क्रमांकित विशेष पेन का उपयोग करना होगा और वरीयता क्रम अंकों में देना होगा।
चुनाव आयोग ने कहा, कि 'व्यक्तिगत पेन मतदान कक्ष में प्रवेश करने से पहले एक मतदान कर्मचारी द्वारा मतदान करने वाले सांसदों/विधायकों से एकत्र कर लिया जाएगा। क्योंकि, व्यक्तिगत पेन से मतपत्र को चिह्नित करने पर वोट अमान्य हो सकता है।'
साधारण पेन से बिलकुल अलग
चुनाव आयोग ने कहा, कि 'विशेष रूप से डिजाइन किए गए पेन वोटों की गोपनीयता बनाए रखने और वोटिंग सांसद/विधायक को मतदान से रोकने के लिए महत्वपूर्ण है। इसका उद्देश्य मतगणना के समय पहचान करने के अलावा मतपत्रों के अंकन में एकरूपता सुनिश्चित करना।' विशेष पेन मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड (Mysore Paints & Varnish Ltd.) से खरीदे गए हैं, जो मतदाताओं की तर्जनी को चिह्नित करने के लिए चुनाव आयोग द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली अमिट स्याही की आपूर्ति भी करता है। ये खास तरह के पेन बाजार में उपलब्ध साधारण पेन से बिलकुल अलग हैं।
प्रत्येक चुनाव में होता है इस स्याही का इस्तेमाल
ये खास स्याही सबसे पहले मैसूर के महाराजा नालवाडी कृष्णराज वाडियार (Maharaja Nalwadi Krishnaraj Wadiyar of Mysore) द्वारा वर्ष 1937 में स्थापित मैसूर लैक एंड पेंट्स लिमिटेड कंपनी में बनाई गई थी। वर्ष 1947 में देश की आजादी के बाद मैसूर लैक एंड पेंट्स लिमिटेड सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी (Public Sector Company) बन गई। अब इस कंपनी को मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड के नाम से जाता है। कर्नाटक सरकार की यह कंपनी (Karnataka Government Company) अब भी देश में होने वाले प्रत्येक चुनाव के लिए स्याही बनाने का काम करती है। कंपनी इसका निर्यात भी करती है।
1962 में हुआ था पहली बार प्रयोग
चुनाव के दौरान मतदाताओं की उंगली पर लगाई जाने वाली स्याही के लिए इस कंपनी का चयन वर्ष 1962 में किया गया था। देश के तीसरे आम चुनाव (Third General Election) में पहली बार इसका इस्तेमाल किया गया था। इस स्याही के निर्माण प्रक्रिया पूरी तरह गोपनीय रखी जाती है और इसे नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी आफ इंडिया के रासायनिक फार्मूले का इस्तेमाल करके तैयार किया जाता है। इसका मुख्य रसायन सिल्वर नाइट्रेट है जो कि 5 से 25 फीसदी तक होता है। मूलत: बैंगनी रंग का यह रसायन प्रकाश में आते ही अपना रंग बदल देता है व इसे किसी भी तरह से मिटाया नहीं जा सकता है।
यह व्यवस्था 2017 से
एक सांसद या विधायक (MP or MLA) के मतदान कक्ष में प्रवेश करने से पहले, एक मतदान कर्मचारी किसी भी व्यक्तिगत कलम एकत्र कर अपने कब्जे में ले लेगा और मतपत्र को चिह्नित करने के लिए उसे ईसीआई विशेष कलम सौंप देगा। जब सदस्य मतदान कक्ष से बाहर निकलेगा तो मतदान कर्मचारी द्वारा विशेष पेन वापस ले लिया जाएगा। उसे उसकी व्यक्तिगत कलम सौंप दी जाएगी। यह व्यवस्था 2017 से शुरू की गई है। अगर किसी ने इससे मतपत्र पर अंकन नहीं किया तो उसका वोट बेकार हो जाएगा।