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Presidential Election 2022: उद्धव करेंगे द्रौपदी मुर्मू का समर्थन, बगावत के डर से सांसदों की बात मानी

Presidential Election 2022: महाराष्ट्र में शिंदे गुट की बगावत के कारण मुसीबत में फंसे पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बड़ा फैसला किया है। उद्धव ठाकरे ने पार्टी के अधिकांश सांसदों की बात मानते हुए राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का फैसला किया है।

Anshuman Tiwari
Published on: 12 July 2022 11:44 AM IST
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे
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शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (फोटों साभार न्यूज़ नेटवर्क)

Presidential Election 2022: महाराष्ट्र में शिंदे गुट की बगावत के कारण मुसीबत में फंसे पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बड़ा फैसला किया है। उद्धव ठाकरे ने पार्टी के अधिकांश सांसदों की बात मानते हुए राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का फैसला किया है। सोमवार को हुई सांसदों की बैठक में कई सांसदों ने द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने पर जोर दिया था।

पार्टी के दो सांसद इस बाबत उद्धव को पत्र भी लिख चुके हैं। जानकारों का कहना है कि 40 विधायकों की बगावत के बाद अब शिवसेना प्रमुख सांसदों को लेकर कोई खतरा नहीं मोल लेना चाहते। सांसदों की बगावत से बचने के लिए उन्होंने मुर्मू का समर्थन करने का बड़ा फैसला ले लिया है। हालांकि उद्धव का यह फैसला पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय राउत की राय के खिलाफ है। संजय राउत ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को समर्थन देने की मंशा जाहिर की थी।

अधिकांश सांसद मुर्मू के समर्थन में

राष्ट्रपति के चुनाव पर चर्चा करने के लिए ठाकरे ने सोमवार को पार्टी के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों की बैठक बुलाई थी। बैठक के दौरान करीब एक दर्जन सांसदों ने कहा कि मौजूदा राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी को द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करना चाहिए। सांसदों का कहना था कि द्रौपदी मुर्मू के आदिवासी और महिला होने के कारण पार्टी को उनके समर्थन में आगे आना चाहिए। कुछ सांसदों ने तो यहां तक कहा कि मुर्मू का समर्थन करने पर भविष्य में शिवसेना और भाजपा के बीच गठबंधन की संभावनाएं भी बन सकती हैं।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि उद्धव व्यक्तिगत तौर पर मुर्मू का समर्थन करने के पक्ष में नहीं थे मगर फिर भी सांसदों के रुख को देखते हुए उन पर भारी दबाव था। इसी कारण माना जा रहा है कि उन्होंने द्रौपदी मुर्मू के समर्थन का बड़ा फैसला किया। जानकारों के मुताबिक एकनाथ शिंदे की अगुवाई में 40 विधायकों की बगावत के बाद शिवसेना को भारी झटका लगा है और अब शिवसेना प्रमुख सांसदों की बगावत को टालने की कोशिश में जुटे हुए हैं। राष्ट्रपति का चुनाव 18 जुलाई को निर्धारित है और ऐसे में उद्धव किसी भी प्रकार का खतरा मोल लेना नहीं चाहते थे।

उद्धव को लेना था आखिरी फैसला

सांसदों की बैठक के दौरान उद्धव ने सबकी राय पूछी। सांसदों ने बेबाकी के साथ समर्थन के मुद्दे पर अपनी राय रखी। बैठक में राष्ट्रपति चुनाव के संबंध में आखिरी फैसला लेने की जिम्मेदारी उद्धव को सौंप दी गई। शिवसेना सांसद गजानन कीर्तिकर ने कहा कि पार्टी को राष्ट्रपति चुनाव में आदिवासी महिला का समर्थन करना चाहिए। इसके जरिए पार्टी एक बड़ा संदेश दे सकती है।

उद्धव ने बैठक के दौरान कहा था कि वे जल्द ही इस संबंध में आखिरी फैसला लेंगे। दूसरी ओर भाजपा नेता गिरीश महाजन का कहना था कि राष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर उद्धव को अपने सांसदों की आवाज सुननी चाहिए। भाजपा नेता राम कदम ने एनडीए उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू के समर्थन के उद्धव के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि शिवसेना के समर्थन के इस फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए।

शरद पवार ने बुलाई पार्टी नेताओं की बैठक

शिवसेना के सूत्रों का कहना है कि उद्धव ठाकरे इस मुद्दे पर नफा-नुकसान का आकलन करने की कोशिश में जुटे हुए थे। महाराष्ट्र की सत्ता से बेदखल होने के बाद भी अभी तक शिवसेना का एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन बना हुआ है। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अगले विधानसभा चुनाव में तीनों दलों को मिलकर चुनाव मैदान में उतरने का सुझाव दिया है।

पवार विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का खुलकर प्रचार कर रहे हैं। यही नहीं उन्होंने प्रचार की कमान भी संभाल रखी है। पिछले दिनों उन्होंने एनसीपी विधायकों की इस बाबत बैठक भी की थी। उद्धव ठाकरे के फैसले की जानकारी मिलने के बाद शरद पवार ने आज अपनी पार्टी के नेताओं की बैठक बुलाई है। इस बैठक में उद्धव के फैसले से पैदा हुई राजनीतिक स्थितियों पर चर्चा होगी।



Prashant Dixit

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