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Presidents of India: द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना तय, देखें भारत के अब तक के राष्ट्रपतियों की लिस्ट
Presidents of India : 26 जनवरी 1950 को भारत को संवैधानिक तौर पर गणतंत्र राष्ट्र का दर्जा प्राप्त हुआ। देश के पहले राष्ट्रपति बनने का सम्मान डॉ. राजेंद्र प्रसाद को प्राप्त हुआ।
List of All Presidents of India : आज देश को 15वां राष्ट्रपति (President) मिल जाएगा। राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election) के लिए बीते 18 जुलाई को मतदान हुआ था। देश के अगले राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण 25 जुलाई 2022 को होगा। वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) की इस चुनाव में जीत की संभावना है।
भारत के राष्ट्रपति (President) को देश का प्रथम नागरिक भी कहा जाता है। राष्ट्रपति के विषय में भारतीय संविधान (Indian Constitution Article 52-62) के अनुच्छेद 52-62 में चर्चा की गई है। प्रेसिडेंट या राष्ट्रपति देश का मुखिया होने के साथ-साथ तीनों सेनाओं का प्रमुख तथा विधायिका (Legislature), कार्यपालिका (Executive) और न्यायपालिका (Judiciary) का भी प्रमुख होता है।
जानें भारतीय राष्ट्रपति के बारे में
भारतीय संविधान (Indian Constitution) वर्ष 1950 में लागू हुआ। उस वक़्त संवैधानिक प्रमुख या कांस्टीट्यूशनल हेड राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद (President Rajendra Prasad) ही थे। हमारे देश को अब तक 14 राष्ट्रपति मिल चुके हैं। वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) देश के 14वें राष्ट्रपति हैं। देश के पहले राष्ट्रपति बनने का गौरव डॉ राजेंद्र प्रसाद (Dr Rajendra Prasad) को हासिल हुआ था। जबकि देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनने का सम्मान प्रतिभा देवी सिंह पाटिल (Pratibha Devi Singh Patil) को मिला था।
राष्ट्रपति का चुनाव (Presidential Election) पांच साल के लिए होता है। मगर, वो अपने पद से कभी भी इस्तीफा दे सकते हैं। साथ ही, अपने पद से हटाए भी जा सकते हैं। संविधान के भाग- 5 में राष्ट्रपति की योग्यता (President's Qualification),चुनाव तथा निष्कासन के बारे में लिखा गया है। भारतीय राष्ट्रपति को प्रतिमाह 5 लाख रुपए वेतन मिलता है। साथ ही, उन्हें जीवनभर मेडिकल सेवा और घर की सुविधा प्रदान की जाती है। यहां आपको ये भी बता दें कि, राष्ट्रपति के चुनाव में भले ही विधायकों की भागीदारी होती है, मगर उनके (राष्ट्रपति) निष्कासन में एमएलए की कोई भूमिका नहीं होती। राष्ट्रपति के निष्कासन के लिए संसद के दोनों सदनों की 'विशेष बहुमत' होनी चाहिए।
आइए जानते हैं कि, अब तक देश को कितने राष्ट्रपति मिल चुके हैं और इनका कार्यकाल कब से कब तक रहा।
डॉ राजेंद्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad)
कार्यकाल : 26 जनवरी 1950 से 13 मई 1962 तक
26 जनवरी 1950 को भारत को संवैधानिक तौर पर गणतंत्र राष्ट्र का दर्जा प्राप्त हुआ। उसी दिन देश को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad) के रूप में आजाद भारत का पहला राष्ट्रपति भी मिला। राजेन्द्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार (Bihar) के सीवान जिले के एक छोटे से गांव जीरादेई में हुआ था। आपको बता दें कि डॉ राजेन्द्र प्रसाद भारत के एकमात्र राष्ट्रपति रहे हैं जिन्हें लगातार दो बार राष्ट्रपति पद प्राप्त हुआ। राष्ट्रपति पद पर रहते हुए राजेन्द्र प्रसाद ने कई देशों की यात्राएं की और विश्व मंच पर भारत की अलग पहचान स्थापित की। उनका जोर इस 'आण्विक युग' में शांति कायम रखना था। वर्ष 1962 में डॉ राजेंद्र प्रसाद को उनके राजनीतिक और सामाजिक योगदान के लिए देश का सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से नवाजा गया। भारतीय राजनीति से संन्यास लेने के बाद राजेन्द्र प्रसाद ने अपना शेष जीवन पटना के सदाकत आश्रम में बिताया। वहीं, 28 फरवरी 1963 को उनका निधन हो गया।
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन
कार्यकाल : 13 मई 1962 से 13 मई 1967 तक
डॉ. राजेंद्र प्रसाद के निधन के बाद डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Dr Sarvepalli Radhakrishnan) देश के अगले राष्ट्रपति बने। राधाकृष्णन का कार्यकाल वर्ष 1962 से 1967 तक रहा। भारत के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 'शिक्षा के प्रतीक' के रूप में भी जाना जाता है। राधाकृष्णन पेशे से शिक्षक, दार्शनिक और राजनेता थे। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (को 20वीं सदी का महान विचारक माना जाता है। उन्हें सदैव भारतीय समाज में पश्चिमी दर्शन के परिचय के लिए याद किया जाता रहेगा। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को दक्षिणी राज्य तमिलनाडु (Tamil Nadu) के थिरुथानी में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। देश में 5 सितंबर को हर साल 'शिक्षक दिवस' मनाया जाता है। यह दिन भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर मनाया जाता है। राधाकृष्णन को साहित्य (Literature) में नोबेल पुरस्कार के लिए 16 बार तथा नोबेल शांति पुरस्कार के लिए 11 बार नामांकित किया गया था।
डॉ जाकिर हुसैन (Dr Zakir Hussain)
कार्यकाल : 13 मई 1967 से 3 मई 1969
डॉ ज़ाकिर हुसैन (Dr. Zakir Hussain) के रूप में भारत को तीसरा राष्ट्रपति मिला। डॉ. जाकिर हुसैन भारत के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति थे। डॉ. जाकिर हुसैन का जन्म 8 फरवरी 1897 को हैदराबाद में हुआ था। वर्ष 1957 से 1962 तक जाकिर हुसैन बिहार के राज्यपाल रहे थे जबकि 1962 से 1967 तक वो उपराष्ट्रपति के पद पर कार्य करते रहे। उनका राष्ट्रपति कार्यकाल ( Dr. Zakir Hussain Presidential Term) 13 मई 1967 से 3 मई 1969 तक चला। उन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया। जाकिर हुसैन को 1954 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था। शिक्षा में उनके योगदान को देश सदैव याद रखेगा। आज भारत में कई उच्च शिक्षण संस्थानों का नाम डॉ जाकिर हुसैन के नाम पर ही है। डॉ. जाकिर हुसैन का निधन 58 वर्ष की उम्र में 3 मई 1969 को दिल्ली में हुआ।
वी.वी. गिरी (वराहगिरी वेंकट गिरी)
कार्यकाल : 3 मई 1969 से 20 जुलाई 1969 तक और 24 अगस्त 1969 से 24 अगस्त 1974 तक
वराहगिरी वेंकट गिरी, वी.वी. गिरि (V. V. Giri) के नाम से विख्यात हैं। वी.वी. गिरी देश के चौथे राष्ट्रपति नियुक्त हुए। 'वराहगिरि वेंकट गिरि' (Varahagiri Venkata Giri) का जन्म 10 अगस्त 1894 को ओडिशा (Odisha) के बेहरामपुर में हुआ था। गिरी का संबंध एक तेलुगु भाषी ब्राह्मण परिवार (Telugu Speaking Brahmin Family) से था। डॉ. जाकिर हुसैन के बाद 24 अगस्त 1969 को वी.वी. गिरि ने भारत के चौथे राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। हालांकि, वी.वी. गिरी के निर्वाचन के दौरान इंदिरा गांधी ने कांग्रेसियों को अपनी अंतरात्मा की आवाज पर वोट करने की अपील की थी। तब वी.वी. गिरि को 50.2 फीसदी वोट मिला था। बहुत कम अंतर से वो अपने प्रतिद्वंद्वी नीलम संजीवा रेड्डी से चुनाव जीते थे। वी.वी. गिरी को श्रमिकों के उत्थान तथा देश के स्वतंत्रता संग्राम में उत्कृष्ट योगदान के लिए देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से नवाजा गया।
फ़ख़रुद्दीन अली अहमद (Fakhruddin Ali Ahmed)
कार्यकाल : 24 अगस्त 1974-11 फरवरी 1977
फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने देश के पांचवे राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। वो 24 अगस्त 1974 से 11 फरवरी 1977 तक राष्ट्रपति पद पर रहे। फ़ख़रुद्दीन अली अहमद मूलतः असम के कचारीघाट से थे। उनका जन्म 13 मई 1905 को दिल्ली में हुआ। उनके पिता कर्नल ज़लनूर अली थे। वर्ष 1974 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त किया। फ़ख़रुद्दीन अली अहमद देश के दूसरे मुस्लिम राष्ट्रपति थे। मगर, बिना आपातकाल की चर्चा के फ़ख़रुद्दीन अली पर बात बेमानी होगी। 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 के बीच देश में 21 महीने के लिए आपातकाल लगाया गया। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (PM Indira Gandhi) के कहने पर उन्होंने भारतीय संविधान की अनुच्छेद- 352 के तहत देश में आपातकाल (Emergency) की घोषणा की थी।
नीलम संजीव रेड्डी (Neelam Sanjiva Reddy)
कार्यकाल : 25 जुलाई 1977 से 25 जुलाई 1982
भारत के पांचवें राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद का कार्यकाल वर्ष 1979 तक था। मगर, कार्यकाल के बीच में ही उनके निधन के बाद हुए चुनाव में नीलम संजीव रेड्डी जीतकर आए। आपको बता दें कि, नीलम संजीव रेड्डी देश के पहले निर्विरोध चुने गए राष्ट्रपति थे। यह पहला मौका था जब लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों तथा 22 विधानसभाओं के विधायकों को राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डालना पड़ा था। क्योंकि, नीलम संजीव रेड्डी चुनावी मुकाबले में एकमात्र उम्मीदवार थे। उनके अलावा 36 अन्य उम्मीदवारों का नामांकन पत्र खारिज कर दिया गया था। हालांकि, इस चुनाव के बाद कई सवाल उठे और लोगों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया।
ज्ञानी जैल सिंह (Giani Zail Singh)
कार्यकाल: 25 जुलाई 1982-25 जुलाई 1987
भारत के सातवें राष्ट्रपति के रूप में ज्ञानी जैल सिंह (Giani Zail Singh) का निर्वाचन हुआ। ज्ञानी जैल सिंह के नाम से विख्यात का वास्तविक नाम जरनैल सिंह (Jarnail Singh) है। इनका जन्म 5 मई 1916 को पंजाब के फरीदकोट (Faridkot) जिले के संधवान गांव में हुआ था। ज्ञानी जैल सिंह का राष्ट्रपति (President) के रूप में कार्यकाल शुरू से अंत तक कई तरह के विवादों से घिरा रहा। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आदेशों के जब सिख अलगाववादियों (Sikh separatists) के मंसूबों को नाकाम करने के मकसद से अमृतसर के स्वर्ण मंदिर (Golden Temple of Amritsar) में छुपाए गए हथियार तथा खालिस्तानी समर्थकों (Khalistani supporters) को पकड़ने के लिए 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' (Operation Blue Star) चलाया गया, उस वक़्त ज्ञानी जैल सिंह ही देश के राष्ट्रपति थे। साथ ही, इन्हीं के कार्यकाल के दौरान जब तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी की हत्या हुई तो उसके विरोध में सिख नरसंहार भी हुआ।साल 1994 में तख्त श्री केशगड़ साहिब जाते समय ज्ञानी जैल सिंह की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।
आर वेंकटरमन (R Venkataraman)
कार्यकाल : 25 जुलाई 1987 से 25 जुलाई 1992
भारत के आठवें राष्ट्रपति के तौर पर आर. वेंकटरमण (R. Venkataraman) ने 25 जुलाई 1987 को पदभार संभाला। वेंकटरमन चर्चित वकील और स्वतंत्रता सेनानी भी रह चुके थे। बाद में उन्होंने राजनीति में भी उन्होंने नाम और सम्मान दोनों कमाया। आर. वेंकटरमण का जन्म 4 दिसंबर 1910 को तमिलनाडु (Tamil Nadu) में तंजौर के पास पट्टुकोट्टय के एक गांव में हुआ था। दिल्ली की राजनीति के बाद वेंकटरमन तमिलनाडु चले गए थे। साल 1967 में जब तमिलनाडु में सत्ता कांग्रेस के हाथों से चली गई तब एक बार फिर वो दिल्ली लौट आए। तब उन्हें उनकी योग्यता के आधार पर योजना आयोग का सदस्य चुन लिया गया। पीएम इंदिरा गांधी ने वेंकटरमण को वित्त मंत्री बनाया। 1982 से 1984 तक वेंकटरमण देश के रक्षा मंत्री रहे। 22 अगस्त 1984 में उन्होंने उपराष्ट्रपति का कार्य संभाला था।
डॉ शंकर दयाल शर्मा (Dr. Shankar Dayal Sharma)
कार्यकाल : 25 जुलाई 1992 से 25 जुलाई 1997 तक
भारत के नौवें राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा (Dr. Shankar Dayal Sharma) का जन्म 19 अगस्त 1918 को भोपाल के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। राष्ट्रपति बनने से शंकर दयाल शर्मा देश के आठवें उपराष्ट्रपति रह चुके थे। शंकर दयाल शर्मा इंदिरा गांधी सरकार की कैबिनेट में 1974 से 1977 तक संचार मंत्री रहे थे। वो भोपाल लोकसभा सीट से 1971 और 1980 में दो बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। साल 1984 से वह देश के कई राज्यों में राज्यपाल के पद पर भी रहे। अंतिम कार्य वर्षों में डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने तीन प्रधानमंत्रियों को शपथ दिलाई थी। अपने जीवनकाल के अंतिम वर्षों में डॉ. शंकर दयाल शर्मा लगातार गिरते स्वास्थ्य के कारण परेशान रहने लगे थे। 26 दिसंबर 1999 को हार्ट अटैक पड़ने के कारण उनका देहांत हो गया।
के.आर. नारायणन (KR Narayanan)
कार्यकाल : 25 जुलाई 1997 से 25 जुलाई 2002
के.आर. नारायणन (KR Narayanan) देश के 10वें राष्ट्रपति के तौर पर निर्वाचित हुए। नारायणन की सफलता की कहानी बेहद शानदार और आदर्श प्रस्तुत करती है। के आर नारायणन भारत के पहले 'दलित राष्ट्रपति' थे। नारायणन का देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचना सामाजिक-राजनीतिक बदलाव की कहानी बताता है। के.आर.नारायणन जी वक़्त राष्ट्रपति चुने गए थे उस वक़्त देश में दलितों का उत्थान चरम पर था। मंडल कमीशन जैसी समितियों ने दलित वर्ग के उत्थान के रास्ते खोले थे। हालांकि, इस सफलता में नारयणन की स्वयं की मेहनत भी छुपी थी।नारायणन का जन्म केरल में हुआ था। साल 1944-45 में के.आर नारायणन ने बतौर पत्रकार प्रसिद्ध अख़बार 'द हिन्दू' और 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' में काम किया। 1945 में एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने महात्मा गांधी का इंटरव्यू किया था। नारायणन 21 अगस्त 1992 में डॉ. शंकर दयाल शर्मा के राष्ट्रपति काल में उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। इन्होने कई किताबें भी लिखी और सम्मान भी हासिल किया। निमोनिया से ग्रस्त के.आर. नारायणन के गुर्दों ने काम करना बंद कर दिया था जिस वजह से 09 नवम्बर 2005 को उनका निधन हो गया।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम
कार्यकाल : 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 तक
देश के 11वें राष्ट्रपति के तौर पर ए.पी.जे अब्दुल कलाम (A.P.J Abdul Kalam) का निर्वाचन हुआ। ए.पी.जे अब्दुल कलाम का पूरा नाम डॉ. अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम है। डॉ कलाम देश के पहले गैर-राजनीतिज्ञ राष्ट्रपति बने। कलाम साहब का राजनीति में आना उनके विज्ञान और तकनीक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान की वजह से हुआ। एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam) का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। कलाम साहब के पिता अपनी नाव मछुआरों को किराये पर देकर घर का गुजारा चलाते थे। 1962 में अब्दुल कलाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) से जुड़ गए, फिर उन्होंने सफलता की नई इबारत लिखी। उन्हें 'मिसाइल मेन' के नाम से भी जाना जाता है। अब्दुल कलाम को विज्ञान के क्षेत्र उत्कृष्ट योगदान के लिए भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान के रूप में 1981 में पद्म भूषण, 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में भारत रत्न प्रदान किया गया।
श्रीमती प्रतिभादेवी सिंह पाटिल
कार्यकाल : 25 जुलाई 2007 से 25 जुलाई 2012
आजाद भारत के इतिहास में पहली महिला राष्ट्रपति बनने का सौभाग्य प्रतिभा देवी सिंह पाटिल को हासिल हुआ। प्रतिभा पाटिल का जन्म 19 दिसंबर 1934 को महाराष्ट्र के जलगांव जिले (Jalgaon District of Maharashtra) में हुआ था। प्रतिभा पाटिल हमेशा साड़ी और एक बड़ी सी बिंदी में दिखती रही हैं। साधारण पहनावा उनकी पहचान रही है। राजनीति में आने से पहले प्रतिभा पाटिल सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम कर रही थीं। प्रतिभा पाटिल 27 वर्ष की उम्र में राजनैतिक जीवन की शुरुआत की। साल 1962 में उन्होंने एदलाबाद क्षेत्र से विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। वो ताउम्र कांग्रेस की समर्पित कार्यकर्त्ता रहीं। प्रतिभा पाटिल 1962 से 1985 तक पांच बार महाराष्ट्र विधानसभा की सदस्य रही हैं। बाद में वो सांसद और राजस्थान की राज्यपाल भी रहीं। साल 2007 में राज्यपाल पद से इस्तीफा देकर उन्होंने राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा। जिसमें प्रतिभा पाटिल ने भैरों सिंह शेखावत को करीब तीन लाख मतों से हराया था। प्रतिभा पाटिल के साथ कई विवाद भी जुड़े रहे थे। लेकिन, राष्ट्रपति के तौर पर उनका कार्यकाल अच्छा रहा।
प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee)
कार्यकाल : 25 जुलाई 2012-25 जुलाई 2017
प्रणब मुखर्जी को साल 2012 से 2017 तक भारत के 13वें राष्ट्रपति बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। प्रणब मुखर्जी को भारतीय राजनीति (Indian politics) में छह दशकों का अनुभव रहा। राष्ट्रपति बनने से पहले प्रणब मुखर्जी कांग्रेस पार्टी में करीब-करीब सभी बड़े पदों पर रहे। राष्ट्रपति रहने के अलावा प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) केन्द्र सरकार में भी महत्वपूर्ण पदों पर रहे। इनका जन्म 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल में हुआ था। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद प्रणब मुखर्जी प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे। प्रणब मुखर्जी को चलता-फिरता 'इनसाइक्लोपीडिया' कहा जाता था। हर कोई उनकी याददाश्त, तीक्ष्ण बुद्धि और मुद्दों की गहरी समझ का कायल रहा है। साल 1982 में वे भारत के सबसे युवा वित्त मंत्री बने थे। आगे चलकर उन्होंने विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और वित्त व वाणिज्य मंत्री के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। राष्ट्रपति के रूप में प्रणब दा ने अमिट छाप छोड़ी। इस दौरान उन्होंने दया याचिकाओं पर सख्त रुख अपनाया। उनके सामने 34 दया याचिकाएं आईं जिसमे उन्होंने 30 को खारिज कर दिया।
रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind)
कार्यकाल : 25 जुलाई 2017 से अब तक
रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) देश के 14वें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए, जिनका कार्यकाल जल्द ही ख़त्म हो रहा है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का जन्म 01 अक्टूबर 1945 को उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के करीब पारोंख (Kanpur City Paronkh) में हुआ था। देश के राष्ट्रपति निर्वाचित होने से पहले रामनाथ कोविंद बिहार के गवर्नर (Governor of Bihar) थे। वो बिहार के 36वें गवर्नर बने थे। राजनीति में आने से पहले रामनाथ कोविंद पेशे से वकील रहे हैं। सन 1971 में रामनाथ कोविंद बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के साथ जुड़े थे। 1977 से 1979 के बीच रामानाथ कोविंद दिल्ली हाईकोर्ट में केन्द्र सरकार के वकील रहे। इसके अतिरिक्त 1980 से 1993 तक कोविंद सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र के वकील रहे। अप्रैल 1994 में रामनाथ कोविंद यूपी से राज्यसभा पहुंचे। राज्यसभा सदस्य के रूप में उन्होंने लगातार दो टर्म पूरा किया। कोविंद 2006 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। वो संसद से जुड़ी कई कमेटियों के सदस्य भी रह चुके हैं। वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है।|