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New Press Law: प्रेस, पत्रिका, अखबार रजिस्ट्रेशन अब होगा आसान, लेकिन डिजिटल मीडिया पर होगा कंट्रोल, जानिए नया कानून

New Press Law: प्रस्तावित कानून में प्रिंट प्रकाशनों के लिए नियमों में नरमी लाई गई है लेकिन डिजिटल न्यूज़ मीडिया को सरकार के नियंत्रण में लाने का प्रयास भी है।

Neel Mani Lal
Published on: 3 Aug 2023 12:36 PM IST
New Press Law: प्रेस, पत्रिका, अखबार रजिस्ट्रेशन अब होगा आसान, लेकिन डिजिटल मीडिया पर होगा कंट्रोल, जानिए नया कानून
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New Press Law (photo: social media )

New Press Law: केंद्र सरकार प्रेस, पत्रिका, अखबार आदि के रजिस्ट्रेशन के नियम कानून बदलने का इरादा कर रही है। इस क्रम में राज्यसभा में प्रेस और आवधिक पंजीकरण (पीआरपी) विधेयक, 2023 पेश किया गया है। यह विधेयक मौजूदा प्रेस और पुस्तक पंजीकरण (पीआरबी) अधिनियम, 1867 के स्थान पर है। पीआरबी अधिनियम देश में प्रिंट और प्रकाशन उद्योग के पंजीकरण को नियंत्रित करता है।

प्रस्तावित कानून में प्रिंट प्रकाशनों के लिए नियमों में नरमी लाई गई है लेकिन डिजिटल न्यूज़ मीडिया को सरकार के नियंत्रण में लाने का प्रयास भी है।

बता दें कि 2019 में केंद्र सरकार ने 'प्रेस और आवधिक बिल' का एक मसौदा पंजीकरण पेश किया था, जिसके चलते डिजिटल समाचार मीडिया संस्थाओं पर नियंत्रण स्थापित करने के प्रयास के आरोप लगे थे। उस समय विधेयक के मसौदे को बक्से में बन्द कर दिया गया था, लेकिन अब इसे पुनर्जीवित किया गया है और आगे बढ़ाया गया है।

सरलीकरण की कोशिश

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में पीआरपी विधेयक को मंजूरी दी थी जो पत्रिकाओं के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाने और प्रकाशकों के खिलाफ मुकदमा चलाने और कारावास के प्रावधान को खत्म करने का प्रावधान करता है।

यह दावा किया गया है कि नए विधेयक का उद्देश्य पारदर्शिता और व्यापार करने में आसानी लाना है। यह एक सरल प्रक्रिया प्रदान करेगा जिससे छोटे और मध्यम प्रकाशकों को मदद मिलेगी।

1867 का एक्ट

1857 की क्रांति के बाद भारत में अंग्रेजों ने आज़ादी या विद्रोह की किसी भी सुगबुगाहट को कुचलने के उद्देश्य से प्रेस पर अंकुश लगाने के लिए पीआरबी एक्ट लागू किया था। इस एक्ट के तहत सभी प्रकाशनों को सरकार के संग रजिस्ट्रेशन और नियमों का पालन करने की बंदिश लगाई गई थी और उल्लंघन पर सख्त सजाओं का प्रावधान किया गया था।

मिसाल के तौर पर, 1867 के अधिनियम के अनुसार, केवल जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) ही किसी पत्रिका की घोषणा यानी प्रकाशन के डिक्लेरेशन को रद्द कर सकता था, जबकि प्रेस रजिस्ट्रार जनरल (पीआरजी) के पास ऐसी कोई शक्ति नहीं थी। जबकि रजिस्ट्रार जनरल ही पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करता है। इसके बावजूद उसे अपने द्वारा जारी प्रमाणपत्र को रद्द करने या निलंबित करने की स्वत: शक्ति नहीं थी।अब पीआरपी विधेयक, 2023 के तहत पीआरजी को पंजीकरण निलंबित/रद्द करने का अधिकार दिया गया है।

और क्या क्या है नए विधेयक में

-नए विधेयक के अनुसार जिस व्यक्ति को आतंकवादी कृत्य या गैरकानूनी गतिविधि से जुड़े अपराध के लिए या राज्य की सुरक्षा के खिलाफ कुछ भी करने के लिए किसी भी अदालत द्वारा दोषी ठहराया गया हो, उसे पत्र-पत्रिका निकालने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

- नया विधेयक उन दो प्रावधानों को भी खत्म करने का प्रयास करता है जिनके लिए प्रकाशकों और मुद्रकों को डीएम के समक्ष घोषणा पत्र दाखिल करना आवश्यक था।

- नया विधेयक यह पीआरबी अधिनियम के दंडात्मक प्रावधानों को भी बदलने का प्रयास है। पीआरबी एक्ट के तहत गलत डिक्लेरेशन पर छह महीने तक की जेल की सजा के साथ दंडनीय अपराध बनाया गया है।

- नए विधेयक में केवल उन मामलों में छह महीने तक की जेल की सजा की परिकल्पना की गई है, जहां कोई पत्रिका बिना पंजीकरण प्रमाण पत्र के प्रकाशित होती है और प्रकाशक प्रेस रजिस्ट्रार जनरल के इस आशय के निर्देश जारी होने के छह महीने बाद भी ऐसे प्रकाशन की छपाई बंद करने में विफल रहता है।

- नए विधेयक के तहत एक अपीलीय प्राधिकारी का भी प्रावधान किया गया है। इस अपीलीय बोर्ड (प्रेस और पंजीकरण अपीलीय बोर्ड) में भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के अध्यक्ष और पीसीआई के दो सदस्य शामिल होंगे जो पीआरजी द्वारा पंजीकरण देने से इनकार करने, कोई जुर्माना लगाने या पंजीकरण को निलंबित/रद्द करने के खिलाफ अपील सुनेंगे।

- पीआरबी अधिनियम, 1867 के दायरे में किताबें भी चलती चली आ रही हैं लेकिन नए पीआरपी विधेयक 2023 के दायरे से किताबों को बाहर कर दिया गया है।

- नए विधेयक के तहत प्रिंटिंग प्रेसों को अब डीएम के समक्ष कोई घोषणा पत्र दाखिल नहीं करना होगा। प्रिंटिंग प्रेसों को सिर्फ पीआरजी और डीएम के समक्ष एक ऑनलाइन सूचना दाखिल करनी होगी।

डिजिटल मीडिया भी एक्ट में शामिल

प्रस्तावित कानून का एक विवादित उद्देश्य डिजिटल समाचार मीडिया को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के नियंत्रण में लाना है। नए विधेयक के अनुसार, कानून को संसद की मंजूरी मिलने पर डिजिटल मीडिया हाउसों को 90 दिनों के भीतर प्रेस रजिस्ट्रार जनरल के साथ पंजीकरण कराना आवश्यक होगा।

- नया कानून प्रेस रजिस्ट्रार जनरल को किसी भी उल्लंघन के लिए डिजिटल प्रकाशनों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार देता है, और उसे पंजीकरण निलंबित करने या रद्द करने और जुर्माना लगाने का अधिकार भी मिलता है। आपको बता दें कि विशेष रूप से डिजिटल समाचार पोर्टलों के लिए में वर्तमान में पंजीकरण जरूरी नहीं है।

Neel Mani Lal

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