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राइट टू डिस्कनेक्ट ! बोले तो अब नहीं डराएगा बॉस का फोन और मेल, पत्नी पर लागू नहीं
भाइयों और बहनों कृपया ध्यान दें, यदि आप किसी निजी संस्थान या फिर या सरकारी नौकरी में हैं। तो आप जानते होंगे कि घर आने के बाद भी बॉस के फोन और मेल का जवाब देना पड़ता है। इससे आपका निजी जीवन भी प्रभावित होता है। अभी तक आप इससे पीछा नहीं छुड़ा सकते थे।
नई दिल्ली: भाइयों और बहनों कृपया ध्यान दें, यदि आप किसी निजी संस्थान या फिर या सरकारी नौकरी में हैं। तो आप जानते होंगे कि घर आने के बाद भी बॉस के फोन और मेल का जवाब देना पड़ता है। इससे आपका निजी जीवन भी प्रभावित होता है। अभी तक आप इससे पीछा नहीं छुड़ा सकते थे। लेकिन एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने आपके लिए लोकसभा में एक प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया जिसके बाद अब आप बॉस की टेंशन को पेंशन लेने भेज सकेंगे।
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इस बिल को नाम मिला है राइट टू डिसकनेक्ट। इसके मुताबिक, नौकरी करने वाले लोग अपने ऑफिस आवर्स के बाद कंपनी से आने वाले फोन कॉल्स और ईमेल का जवाब न देने का अधिकार प्राप्त कर लेंगे। राइट टू डिस्कनेक्ट बिल कर्मचारियों के स्ट्रेस और टेंशन को कम करने की सोच के साथ लाया गया है।
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अब नया क्या होगा
बिल के अध्ययन के लिए जल्द कल्याण प्राधिकरण का गठन होगा। इस प्राधिकरण में केंद्र के सूचना तकनीक, संचार और श्रम मंत्रियों को रखा जाएगा। अध्ययन के बाद चार्टर तैयार होगा। इसके बाद जिन कंपनियो में 10 से ज्यादा कर्मचारी हैं वे अपने कर्मचारियों के साथ बात करें और वो जो चाहते हैं वे चार्टर में शामिल करें।