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प्रियंका गांधी वाड्रा को पार करने होंगे 5 हिमालय, तभी होगा चमत्कार
इसबार लोकसभा के चुनाव कांग्रेस के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं, इसका अंदाजा इस बात से हो जाता है कि पार्टी ने अपने ट्रंप के इक्के को पूर्वांचल की बिसात पर फेंक दिया है। ये वही इलाका है जहां से पीएम मोदी और सीएम योगी आते हैं। सूबे के उपमुख्यमंत्री केशव आते हैं।
लखनऊ : इसबार लोकसभा के चुनाव कांग्रेस के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं, इसका अंदाजा इस बात से हो जाता है कि पार्टी ने अपने ट्रंप के इक्के को पूर्वांचल की बिसात पर फेंक दिया है। ये वही इलाका है जहां से पीएम मोदी और सीएम योगी आते हैं। सूबे के उपमुख्यमंत्री केशव आते हैं। प्रियंका गांधी वाड्रा अब सिर्फ गांधी-नेहरू परिवार की वंशज नहीं रहीं बल्कि पार्टी की महासचिव बन चुकी हैं। यूपी कांग्रेस उत्साह में है, लेकिन 26 सीटों की कमान संभालने वाली प्रियंका के लिए राह में 5 हिमालय जैसे मुद्दे खड़े हैं जो उनको कड़ी चुनौती देंगे।
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परिवारवाद
प्रियंका की एंट्री होते ही बीजेपी परिवारवाद के मुद्दे को लेकर हमलावर हो चुकी है। जैसे-जैसे चुनावी मौसम बनेगा जुबानी हमले तेज होगें। प्रियंका को महासचिव बना कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने विरोधियों को अपने खिलाफ हथियार दे दिया है। अभीतक गैरराजनीतिक प्रियंका सीधे तौर पर हमले के निशाने पर नहीं होती थीं। अब जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा, संजय, राजीव, सोनिया और राहुल के बाद जुबानी तोप का निशाना प्रियंका बनेंगी।
राबर्ट वाड्रा
प्रियंका निशाने पर होंगी तो उनके पति रॉबर्ट वाड्रा भी जद में होंगे। बीकानेर और गुड़गांव की जमीन का मुद्दा फिर सामने होगा। एफआईआर की बात होगी। अभीतक राहुल जब किसानों के मुद्दे उठाते थे तो बीजेपी को उनका विरोधी बताते थे। लेकिन प्रियंका जब किसानों का मुद्दा उठाएंगी तो रॉबर्ट की कृषि भूमि का लैंड यूज चेंज कराने का भी मुद्दा उठेगा। रॉबर्ट भी इस चुनाव में बड़ा मुद्दा होंगे। उनकी कारोबारी गतिविधियों पर निशाने साधे जाएंगे। तब प्रियंका कैसे निपटेंगी इसपर भी नजर होगी।
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नए शक्ति केंद्र का उदय
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक हाल में ही जब राज्यों में सीएम चुने जाने लगे तो पार्टी अध्यक्ष नहीं बल्कि प्रियंका की चली। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में प्रियंका की पसंद को सोनिया ने अपनी पसंद बना लिया। वर्ना ज्योतिरादित्य, तम्रद्द्वाज और सचिन सीएम बने होते। ऐसे में राहुल के नेतृत्व में असहज मसहूस कर रहे बुजुर्ग नेताओं को प्रियंका के रूप में नया शक्ति केंद्र नजर आ रहा है।
इसके बाद प्रियंका के सामने ये बड़ी चुनौती होगी की वो पार्टी के अंदर दो केंद्र ना बनने दें। वर्ना समाजवादी पार्टी जैसी हालत से इंकार नहीं किया जा सकता है।
जातीय गणित
राहुल ने प्रियंका को उस इलाके की कमान सौंपी है, जहां से पीएम नरेंद्र मोदी, राज्य मंत्री मनोज सिन्हा, योगी आदित्यनाथ केशव मौर्या और महेंद्र पांडेय आते हैं। इस इलाके की सीटें ब्राह्मण और ठाकुर मतदाताओं की अधिकता वाली हैं। ये दोनों बड़ी जातियां बीजेपी और कांग्रेस दोनों का वोट बैंक हैं। वहीं दलित मुस्लिम और पिछड़े सपा-बसपा के वोटर्स हैं। फिलहाल कांग्रेस अकेले दम चुनाव में उतरने का मन बना रही है। ऐसे में प्रियंका की राह यहां आसान नहीं होगी।
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कांग्रेस संगठन
वैसे कागज पर देखने पर यूपी कांग्रेस संगठन काफी मजबूत नजर आता है। लेकिन गुटबंदी चरम पर है। सबके अपने अपने खेमें हैं। यूपी कांग्रेस के पास ऐसा कोई चेहरा नहीं है जो प्रियंका के साथ कदम से कदम मिला कर चल सके। विधानसभा तो रहने दीजिए कोई नेता ये नहीं कह सकता की मेरा बूथ सबसे मजबूत। सिनेस्टार राज बब्बर भी दगे कारतूस ही साबित हुए हैं। ऐसे में प्रियंका को यूपी में कांग्रेस को नए सिरे से खड़ा करना होगा।