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मुल्लीवाईकल नरसंहार की याद में दिल्ली के कांस्टीटूशनल क्लब में कार्यक्रम, आत्मा की शांति के लिये शांति पाठ का आयोजन

Mullivaikal Massacre: आज से चौदह साल पहले (18 मई 2009) श्रीलंका में आतंकी संगठन लिट्टे को समाप्त करने के बाद वहां की सेना ने बदले की कार्रवाई करते हुए मुल्लिवैक्कल में निर्दोष तमिल हिन्दुओं व उनके परिवारों को लिट्टे से सहानुभूति रखने के संदेह के कारण उनका जघन्य नरसंहार किया था।

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Published on: 19 May 2023 3:22 PM IST
मुल्लीवाईकल नरसंहार की याद में दिल्ली के कांस्टीटूशनल क्लब में कार्यक्रम, आत्मा की शांति के लिये शांति पाठ का आयोजन
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Program organized in the Constitutional Club of Delhi in memory of the Mullivaikal massacre

Mullivaikal Massacre: हिन्दू संघर्ष समिति ने श्रीलंका सरकार व सेना द्वारा निर्दोष तमिल हिन्दु नागरिको के जघन्य मुल्लीवाईकल नरसंहार की याद में दिल्ली के कांस्टीटूशनल क्लब में कार्यक्रम कर मारे गए तमिल हिन्दुओं को श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम की शुरूआत ब्राह्मणों के एक समूह ने श्रीलंकाई सेना द्वारा अकाल मृत्यु को प्राप्त निर्दोष नागरिकों की आत्मा की शांति के लिये शांति पाठ किया। ग़ौरतलब है कि इस युध्द अपराध में मारे गये लोगों को सम्मान पूर्वक अंतिम संस्कार भी प्राप्त नहीं हुआ था।

18 मई 2009 की घटना

आज से चौदह साल पहले (18 मई 2009) श्रीलंका में आतंकी संगठन लिट्टे को समाप्त करने के बाद वहां की सेना ने बदले की कार्रवाई करते हुए मुल्लिवैक्कल में निर्दोष तमिल हिन्दुओं व उनके परिवारों को लिट्टे से सहानुभूति रखने के संदेह के कारण उनका जघन्य नरसंहार किया था। उनकी लाशो को समुद्र में फेंक दिया था। श्रीलंका में हुए इसी नरसंहार की याद में हर साल 18 मई को हिन्दू संघर्ष समिति श्रद्धांजलि सभा आयोजित करता है। इस साल आयोजित हुयी सभा में मुख्य अतिथि एम. एस. सरवनन ने तमिल हिन्दुओं को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि श्रीलंकाई सरकार लगातार वहॉं के तमिल हिन्दुओं से धार्मिक रूप से भेदभाव पूर्ण व पूर्वाग्रह ग्रस्त दमनकारी नीतियों से उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक के तौर पर उनके मानवाधिकारों से खिलवाड़ कर रही है यही कारण है कि उन्हें वहॉं गृहयुद्ध भी झेलना पड़ा ।

श्रीलंका सरकार पर लगाए कई आरोप

श्रीलंका सरकार वर्तमान भयावह आर्थिक संकट के बावजूद अपनी करतूतों से बाज नहीं आ रही है। वहॉं लगातार हिन्दू मंदिरों के मूल स्वरूप को विकृत करने और हिन्दू तमिलों के नागरिक व धार्मिक अधिकारों को कुचलने का काम जारी है। ये सब चीज़ें भारत सरकार के संज्ञान भी है और भारत सरकार ने भी कई मंदिरों को बचाने के लिये संरक्षण में लिया है । अपनी भूराजनैतिक रणनीतिक मजबूरियों के कारण अभी भारत सरकार इस संबंध में बहुत ज़्यादा हस्तक्षेप करने में झिझक रही है परन्तु धीरे धीरे पानी सिर से ऊपर जा रहा है । वर्तमान श्रीलंकाई आर्थिक संकट में भारत सरकार श्रीलंका की सबसे बड़ी संकटमोचन बनकर उभरी थी फिर भी श्रीलंका का व्यावहार कृतघ्नतापूर्ण है। विडम्बना यह है कि हिन्दू मंदिरों के दर्शन करने जाने वाले भारतीय पर्यटक वहां के पर्यटन उद्योग में योगदान करने वाले सबसे बड़े घटक तत्व है फिर भी ऐसे दुर्भावना कृत्य करके श्रीलंका अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहा है ।

कार्यक्रम में शामिल अन्य अतिथियों में से इस्कॉन से जुड़े प्रशांत मुकुंद दास प्रभु ने अपने विचार रखते हुए कहा कि वो श्रीलंका में इस नरसंहार में मारे गये निर्दोष नागरिकों को श्रध्दाजंलि अर्पित करते है और उनकी आत्मा की शॉंति के लिये प्रार्थना करते है । साथ ही साथ उनके वर्तमान में चल रहे हिन्दू तमिलों सांस्कृतिक नरसंहार के लिये श्रीलंकाई सरकार की कड़ी भर्त्सना की । उन्हें वहॉं लगातार तोड़े जा रहे सैकड़ों वर्ष पुराने हिन्दू मंदिरों के मामले पर भारत सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करने का आग्रह किया ।

मानवाधिकार अधिवक्ता अमित कुमार, सुरजिता पटनायक, शालू चौहान, शैफाली दुआ ने कड़े शब्दों में श्रीलंका आर्मी के द्वारा किए गए नरसंहार पर खुलकर चर्चा की। युद्ध बंदी और आम लोगों की इस प्रकार की नृशंस हत्या के बारे में न्याय की मांग की। एडवोकेट शालू चौहान ने कहा के हिंदुओ के भी मानवाधिकार होते हैं। रुकेट सैफ अली दुआ ने बताया कि किस प्रकार से लंका की आर्मी ने महिला और बच्चों को भी नहीं बख्शा। एडवोकेट सृजिता पटनायक में भविष्य में भी हिंदुओं के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए सभी को एक साथ आने को कहा है।

हिन्दू संघर्ष समिति के अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष अरुण उपाध्याय ने कहा कि श्रीलंका ने भारत के साथ किये गए किसी भी समझौते का आज तक पालन नहीं किया । उलटे भारत से ही मदद लेकर हमारे साथ लगातार धोखा करता आया है। हाल फ़िलहाल में वहॉं के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने तीसरी बार भारत का दौरा रद्द किया है । उनकी नीयत संदिग्ध है। अभी ये सही समय है कि भारत वहॉं तमिल हिन्दुओं के मानवाधिकार व गरिमा की रक्षा हेतु भारतीय हितों के अनुरूप कदम उठाये ॥

इस अवसर पर वर्ल्ड हिन्दू फेडरेशन के अध्यक्ष श्री अजय सिंह भी शामिल हुए और कहा कि श्रीलंका में तमिल हिन्दुओं की स्थिति सुधारने हेतु जमीनी स्तर पर तमिल हिंदुओं के बढ़ते दमन व नागरिक व सांस्कृतिक नरसंहार को रोकने के लिए मजबूत कूटनीतिक कदम तुरंत प्रभाव से उठायें। नरसंहार के पीड़ितों को मुआवजा, राहत व न्याय प्रदान करवाने में अपनी भूमिका निभाये इसमें हिन्दू तमिलो के आत्मनिर्णय के अधिकार पर आधारित लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष का एक स्थायी राजनीतिक समाधान शामिल होना चाहिए। ताकि इस प्रकार के अपराधों की पुनरावृत्ति की संभावनाओं को मिटाया जा सके ।

भारतीय जनता युवा मोर्चा दिल्ली प्रदेश की युवा नेता दीक्षा कौशिक ने तमिल हिन्दुओं को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि और अंतरराष्ट्रीय हिन्दू समुदाय व भारत सरकार को सुनिश्चित करना चाहिये कि श्रीलंका में तमिल हिन्दू सुरक्षा, सम्मान व गरिमा के साथ रह सकें। जिससे उन्हें अपनी राजनीतिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक नियति तय करने में सक्षम हो सकें। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का सुझाया गया एक सक्षम संघीय सरकार जिसमें तमिलों हिन्दुओं की भागीदारी शामिल हो ताकि वो मुख्यधारा में शामिल हो सके । ​​​​​​​इस अवसर पर मुल्लीवाईकल नरसंहार से संबंधित फ़ोटो प्रदर्शनी भी लगाई गई तथा एक शॉर्ट फ़िल्म का प्रदर्शन भी किया गया ।

सभा को पूर्व आई ए एस वेद प्रकाश, भाजपा के वरिष्ठ नेता विजय जौली और दिल्ली भाजपा के तमिलनाडु प्रकोष्ठ सहसंयोजक के जी धंधापानी ने भी संबोधित करते हुये कहा कि हमें श्रीलंका के तमिल हिन्दुओं के मामले में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी से बहुत अपेक्षायें हैं। वो जाफना का दौरा करने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं हमारे विदेश मंत्री एस जयशंकर जी ने भी गत फ़रवरी में जाफना का दौरा किया था । हाल फ़िलहाल में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में काशी तमिल संगम , सौराष्ट्र तमिल संगम और तमिल नववर्ष के आयोजनों के भाजपा और नरेन्द्र मोदी जी से हमारी अपेक्षाओं को बहुत बढ़ा दिया है ।

सबसे अच्छी बात है कि तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष अन्नामलाई भी कई बार जाफना का दौरा कर वहॉं के ज़मीनी हालातों की पड़ताल कर चुके हैं और ये बात सर्वविदित है कि इस मामले में तमिलनाडु के लोगों की पूरी सहानुभूति जाफना के तमिल हिन्दुओं के साथ है और ये हमेशा से हमारे लिये एक भावनात्मक मुद्दा रहा है । इस अवसर पर अंतराष्ट्रीय अध्ययन संकाय जे एन यू से सहायक अध्यापक अभिषेक श्रीवास्तव जी के नेतृत्व में अंतराष्ट्रीय अध्ययन के बहुत सारे शोधार्थीयो ने भी भाग लिया।



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