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Pune car accident: सपने हो गए चूर, बिखर गया पीड़ितों का परिवार, बोले-बिजनेस टाइकून है इसलिए...
Pune car accident: इस समय पुणे सड़क हादसा सुर्खियों में बना हुआ है। पुलिस ने नाबालिग आरोपी के पिता को गिरफ्तार तो कर लिया है लेकिन पीड़ित परिवार पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं।
Pune car accident: पुणे सड़क हादसा लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। दो युवा इंजीनियरों की जान लेने वाले बहुचर्चित पोर्श कार एक्सिडेंट मामले में पुलिस ने आरोपी नाबालिग के पिता को गिरफ्तार कर लिया है। रविवार आधी रात नाबालिग ने पिता की लग्जरी पोर्श कार से दो लोगों को कुचल दिया था।
जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने 15 घंटे के भीतर ही आरोपी नाबालिग को जमानत दे दी थी। लेकिन जब सोशल मीडिया से लेकर मीडिया तक में इस मामले ने तूल पकड़ा तो पुणे पुलिस हरकत में आ गई। पुलिस ने नाबालिग के बिल्डर पिता को भी अब आरोपी बनाया है। छत्रपति संभाजीनगर से पुलिस ने आरोपी के पिता को गिरफ्तार किया है।
रिश्तेदारों की आंखों से आंसुओं का सैलाब फूट पड़ा
वहीं इस हादसे में अपनी जान गवां चुके दो युवाओं के परिवार बिखर चुके हैं। किसी की इकलौती बेटी चली गई तो किसी का एकलौता बेटा। पुलिस की कार्रवाई और कोर्ट से आरोपी को मिली शर्त के बाद पीड़ित परिवार में गम भी है और गुस्सा भी। इस बीच जबलपुर में शक्तिनगर से सटे साकार हिल्स में युवा सॉफ्टवेयर इंजीनियर अश्विनी कोस्टा के घर मातम पसर गया है। पुणे के कल्याणीनगर में हुए इस दर्दनाक हादसे की शिकार अश्विनी का शव जब सोमवार शाम जबलपुर पहुंचा तो रिश्तेदारों की आंखों से आंसुओं का सैलाब फूट पड़ा। लोग मातम में हैं और गुस्से में भी कि आखिर दो लोगों की जान लेने वाले रईसजादे को जमानत कैसे मिल गई।
शोकाकुल परिवार पूछ रहा है आरोपी नाबालिग है तो क्या?
मृतक युवती अश्वनी के पिता सुरेश कोस्टा का कहना है कि बेटी ने पढ़ाई वहीं (पुणे) की थी और उसकी जॉब भी वहीं लग गई थी। वह दिसंबर में गई थी। अब तो हमारे सारे सपने चूर हो चुके हैं। उधर, अश्वनी के भाई संप्रीत ने कहा कि 4 महीने पहले ही जॉब के सिलसिले में वहां वापस शिफ्ट हुई थी। वह मेरी छोटी बहन थी और पढ़ाई में बहुत अच्छी थी। अब मैं अकेला रह गया हूं। मेरे पिताजी से वो रोज बात करती थी। उसने बताया था कि खाना खाने बाहर जा रहे हैं, पार्टी के लिए। फिर ये खबर आई। उसके मोबाइल फोन से ही कॉल आई थी। घटना के बाद उसके दोस्तों ने ही कॉल किया था। एक नाबालिग गाड़ी चला रहा था, वो भी इतनी महंगी कार। इतनी स्पीड में था कि उसकी कार दिख भी नहीं रही थी। उन्होंने कहा, सुविधाओं का दुरुपयोग दोबारा किसी मामले में न हो, इसलिए कार्रवाई अवश्य होनी चाहिए।
जमानत की कंडीशन हास्यास्पद
इसी घटना में जान गंवाने वाले अनीष के चाचा ने भी पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। मृतक अनीष के पिता अखिलेश अवधिया ने कहा कि यह केस वास्तव में 304ए का है। पुलिस ने गलत विवेचना की है। बेल की जो कंडीशन है, ये हास्यास्पद है। नए एक्ट के मुताबिक 7 साल की सजा है। उन्होंने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में पुलिस बिक चुकी है। 304 के तहत आरोपियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। दो सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स की हत्या की है और जुवेनाइल बोलकर आरोपी को छोड़ दिया गया।
यह आरोपी तो मानव बम है
उन्होंने कहा कि जो बेल की कंडीशन है, वो 5 क्लास के बच्चे को भी पढ़ा दिया जाता है, हास्यास्पद है जो बेल की कंडीशन लगाई है। आरोपी 3 करोड़ की कार चलाता है। यदि कोई आम आदमी होता तो फंस जाता। बिजनेस टाइकून का बेटा है, इसलिए छूट गया। उन्होंने आरोप लगाया इसने (नाबालिग आरोपी) पहले भी एक्सीडेंट किया है, लेकिन तब भी छूट गया था और इस बार भी छूट गया है। यह तो मानव बम है। अगर इस तरह छोड़ दिया जाता है आरोपी को ये तो कल किसी और भी मारेगा। कैसे उनके पिता ने गाड़ी दी? उनके माता-पिता को कोर्ट में ले जाना चाहिए। 3 करोड़ की गाड़ी कैसे दे दी, यह उनसे पूछा जाना चाहिए।