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जर्मन बेकरी केस :HC ने हिमायत बेग की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदला

Admin
Published on: 17 March 2016 12:59 PM GMT
जर्मन बेकरी केस :HC ने हिमायत बेग की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदला
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पुणे: बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2010 के पुणे जर्मन बेकरी विस्फोट मामले के एकमात्र दोषी हिमायत बेग की फांसी की सजा को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने विस्फोटक रखने के आरोप में बेग की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है।

बेग के वकील ने मुक़दमे की प्रक्रिया को दी चुनौती

-इससे पहले पुणे की सेशन्स कोर्ट ने बेग को फांसी की सजा सुनाई थी।

-इसके बाद बेग के वकील ने निचली अदालत के मुकदमे की प्रक्रिया को ही चुनौती देते हुए फिर से मुकदमा चलाने की मांग की थी।

क्या था मामला?

-पुणे के जर्मन बेकरी में 13 फरवरी 2010 को हुए ब्लास्ट में 17 लोगों की मौत हुई थी।

-इस ब्लास्ट में 58 लोग घायल हुए थे।

-हिमायत बेग को सितंबर 2010 में गिरफ्तार किया गया था।

-मामले में सिर्फ एक आरोपी हिमायत बेग ही गिरफ्तार हुआ था।

-बेग को इंडियन मुजाहिद्दीन का सदस्य बताया गया था।

बचाव पक्ष की दलीलें

-इंडियन मुजाहिद्दीन के आरोपी आतंकी यासीन भटकल ने कहा कि हिमायत बेग का जर्मन बेकरी से लेना-देना नहीं।

-एटीएस ये सबूत नहीं दे पाई कि हिमायत धमाके के वक्त पुणे में 2010 में मौजूद था।

-हिमायत के साथ बंद इस केस में एक और आरोपी कातिल सिद्दीकी की जेल में हत्या कर दी गई।

-सिद्दीकी हिमायत की बेगुनाही का सबूत दे सकता था।

-हिमायत के खिलाफ जो भी सबूत वह सिर्फ परिस्थितिजन्य, सीधे शामिल होने के सबूत नहीं है।

ATS की दलील

-यासीन भटकल का बयान अंतिम सबूत नहीं।

-एक आतंकी दूसरे आतंकी को क्लीनचिट कैसे दे सकता है।

-गिरफ्तारी के बाद सारे गुनाह अपने सिर लेने की कोशिश।

-टेरर मॉड्यूल के बाकी सदस्यों को बचाने की कोशिश।

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