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एक्सीडेंट के मामले में सऊदी की अदालत ने सुनाया फरमान, पैर के बदले पैर दें वरना...
संदीप सिंह 2017 में सऊदी अरब गया था लेकिन वहां जाने के एक महीने बाद ही उसका जम्मू-कश्मीर के एक युवक के साथ एक्सीडेंट हो गया।
नई दिल्ली: सऊदी अरब दुनिया भर में अपने कड़े कानून की वजह से जाना जाता है। वहां की अदालतें अपने फैसलों की वजह से अक्सर चर्चा में बनी रहती है।
अपराध छोटा हो या बड़ा लेकिन आरोपी को सख्त से सख्त सजा दी जाती है। यही वजह है कि वहां पर कानून को तोड़ने या फिर उसे हाथ लेने के बारें में कोई नहीं सोचता है।
पंजाब के जिला मोगा के गांव धल्लेके से संदीप सिंह अपने घर की आर्थिक दशा सुधारने के लिए वर्ष 2017 में सऊदी कमाने गए थे लेकिन उनके साथ ऐसा वाकया हुआ कि उन्हें जेल जाना पड़ गया। चार साल से वह जेल में ही बंद हैं। उनके घरवाले उनके सही सलामत घर वापसी के लिए दौड़ भाग कर रहे हैं।
एक्सीडेंट के मामले में सऊदी की अदालत ने सुनाया फरमान, पैर के बदले पैर दें वरना...(फोटो:सोशल मीडिया)
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क्या है ये पूरा मामला
दरअसल संदीप सिंह 2017 में सऊदी अरब गया था लेकिन वहां जाने के एक महीने बाद ही उसका जम्मू-कश्मीर के एक युवक के साथ एक्सीडेंट हो गया। इस एक्सीडेंट में जम्मू-कश्मीर के युवक की दोनों टांगे चली गईं जिसके बाद पिछले 4 साल से मोगा का नौजवान जेल में है।
कोर्ट ने कुछ दिन पहले यह फैसला सुनाया था कि या तो यह नौजवान टांग के बदले टांग दे या फिर 50 हजार सऊदी रयाल (लगभग 10 लाख रुपये) दे। तभी वह जेल से रिहा हो सकता है।
इसके चलते संदीप सिंह के परिवार वालों की ओर से और प्रवासी भारतीयों के सहयोग से 10 लाख रुपये का चेक जम्मू-कश्मीर के पीड़ित के परिजनों को सौंप दिया गया। जिसके बाद अब संदीप सिंह की माता को उसके बेटे की घर वापसी की उम्मीद जगी है।
एक्सीडेंट के मामले में सऊदी की अदालत ने सुनाया फरमान, पैर के बदले पैर दें वरना...(फोटो:सोशल मीडिया)
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घरवाले बेटे के आने की देख रहे हैं राह
मोगा के रहने वाले संदीप सिंह की माता बलजीत कौर, गांव वासी हरबंस सिंह और जरनैल सिंह ने मामले की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि रोजी-रोटी के लिए सऊदी अरब में गए। उसके बेटे से जाते समय जम्मू-कश्मीर के रहने वाले एक युवक का एक्सीडेंट हो गया था और इस एक्सीडेंट में उस युवक की दोनों टांगें टूट गई थीं।
संदीप की मां बलजीत कौर के मुताबिक पिछले 4 साल से उसका बेटा जेल में बंद है और अदालत ने यह फैसला सुनाया था कि या टांग के बदले टांग दें या 10 लाख रुपये का जुर्माना भरें।
इसलिए हमने लोगों की मदद से पैसे का प्रबंध करके जम्मू-कश्मीर के पीड़ित के परिजनों को सौंप दिया। अब हम लोगों को अपने बेटे की रिहाई का इंतजार है।
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