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...तो अब पंजाब के किसान उगाएंगे अफीम

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Published on: 12 Oct 2018 8:30 AM GMT
...तो अब पंजाब के किसान उगाएंगे अफीम
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...तो अब पंजाब के किसान उगाएंगे अफीम

दुर्गेश पार्थसारथी

अमृतसर। इन दिनों पंजाब के सियासतदान अफीक की पिनक में हैं। इस बार राजनीति गरमाने का मुद्दा कोई जनसमस्या या सूबे की समस्या नहीं है बल्कि स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिद्धू का वह बयान जिसमें उन्होंने कहा कि राज्य में नशा रोकना है तो यहां के किसानों को अफीम की खेती करने की अनुमति देनी चाहिए। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब किसी राजनेता इस तरह का बयान दिया हो या फिर अफीम की खेती के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से यहां के खेतिहर लोगों को प्रोत्साहित कर रहा हो।

इससे पहले आम आदमी पार्टी के सांसद धर्मवीर गांधी भी लोकसभा में यह मुद्दा उठाकर फजीहत करा चुके हैं। फिर भी उन्होंने अपनी मांग नहीं छोड़ी है। यही नहीं गांधी और सिद्धू के सुर में सुर मिलाते हुए आम आदमी पार्टी के ही विधायक और पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुखपाल सिंह खैहरा ने भी कहा है कि सभी पार्टियों को एकजुट होकर सांसद गांधी के अफीम की खेती के प्रस्ताव पर बैठक करनी चाहिए। हो सकता है कि इसके अच्छे परिणाम सामने आएं। आप सांसद गांधी ने तो दो कदम आगे बढ़कर कुछ किसानों को पोस्त की खेती के लिए बीज भी बांट दिए है, जिसके खिलाफ गांधी की जांच चल रही है।

कैप्टन सरकार के मंत्री दो धड़ों में बंटे

हालांकि सिद्धू और गांधी के इस प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस और कैप्टन सरकार के मंत्री ही दो धड़ों में बंट गए हैं। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्म महिंद्रा और शहरी विकास मंत्री तृप्त राजेंद्र सिंह बाजवा ने इसका भारी विरोध किया है। वहीं सूबे के मुखिया कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि इस पर राष्ट्रीय नीति बनाई जानी चाहिए। कांग्रेस नेताओं के बड़े तबके का मानना है कि सेंथेटिक नशा के मकडज़ाल से निकल के क्यों न अफीम की खेती को ही बढ़ावा दिया जाए। इनका तर्क है कि राजस्थान और मध्य प्रदेश सहित देश के कई अन्य राज्यों में इसकी खेती की इजाजत है तो फिर पंजाब में क्यों नहीं। इन नेताओं का कहना है कि इसका विरोध करने वाले नेताओं का हो सकता है कि ड्रग्स माफिया को समर्थन हो।

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कैप्टन प्रस्ताव केन्द्र को भेजें

सांसद धर्मवीर गांधी का अपना तर्क है। उनका कहना है कि केमिकल नशों के जाल में फंसे पंजाब को अफीम की खेती से राहत मिलेगी। उन्होंने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से अपील की कि इस संबंध में वे एक प्रस्ताव तैयार कर केंद्र सरकार को भेजें। उन्होंने कहा कि 1947 तक अंग्रेजों ने भी अफीम की खेती को अपने अधिकार में रखा। आजादी के बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों को इसकी खेती की मंजूरी मिली, लेकिन पंजाब को नहीं। गांधी ने कहा आज यहां पर राजस्थान से बड़े स्तर पर अफीम व भुक्की की तस्करी हो रही है। इसके आरोप में एनडीपीएक्ट के तहत लोग पकड़े भी जाते हैं। मजबूरन वह केमिकल नशा की ओर प्रोत्साहित होते हैं। इसे रोकने के लिए अफीम की खेती को मंजूरी मिलनी चाहिए।

सिद्धू बोले-मेरे चाचा भी खाते थे अफीम

पोस्त की खेती की वकालत करते हुए नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि उन्हें याद है कि उनके चाचा भी अफीम का सेवन करते थे और सबसे तंदुरुस्त थे। मेहनत भी किसी से कम नहीं करते थे। उन्होंने कहा कि अफीम मेडिकल वैल्यू के तौर पर बेहतर है। इसलिए केन्द्र सरकार इस पर राष्ट्रीय ड्रग नीति बनाए। पंजाब सरकार पोस्त की खेती पर विचार करेगी। सिद्धू ने कहा कि उनका मानना है कि अफीम का सेवन करने वाला व्यक्ति किसी अन्य तरह के नशे का सेवन नहीं करता। वह कड़ी मेहनत भी करता है। इसलिए पोस्त की खेती को मंजूरी मिलनी चाहिए।

अब किसी और नशे की ओर धकेलना गलत

प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा ने सिद्धू, गांधी, खैहरा सहित अन्य नेताओं के तर्क को नकारते हुए कहा कि यह उन लोगों की अपनी राय हो सकती है। मेरा ख्याल है कि नशे की चपेट में आ चुके युवाओं को अब और किसी नशे में धकेलना गलत होगा। पंजाब में नशे पर काफी हद तक नियंत्रण पा लिया गया है। सेहत मंत्री के तर्क से सहमति जताते हुए शहरी विकास मंत्री तृप्त इंद्र बाजवा ने कहा कि वह एक नशे को खत्म करने के लिए दूसरे नशे को बढ़ावा देने के समर्थन में नहीं हैं। वह इसका पुरजोर विरोध हैं।

शिअद व भाजपा ने किया विरोध

सिद्धू व आप नेताओं की इस मांग का शिरोमणि अकाली दल बादल और भाजपा नेताओं ने कड़ा विरोध किया है। दोनों ही पार्टियों के नेताओं का कहना है कि नशे के भंवर में फंसे राज्य के युवाओं को सिद्धू व गांधी जैसे लोग नशे के दलदल में धकेलना चाहते हैं। सिद्धू की यह मांग किसी भी कीमत पर पूरी नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि देना ही है तो युवाओं को रोजगार के अवसर व किसानों को कर्ज मुक्त करवाने की सोचें न कि किसानों को अफीम की खेती के लिए उकसाएं। सिद्धू व आप नेताओं के पंजाब में अफीम की खेती पर दिए जा रहे जोर को देखते हुए तो ऐसा लग रहा है कि क्या पंजाब के किसान अब गेहूं, धान, कपास और मक्की की खेती छोड़ पोस्त की खेती करें।

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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