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श्रमिकों के पलायन से दो राहे पर खड़ा पंजाब

कोरोना काल में पंजाब से मजदूरों का पलायन इस कदर शुरू हुआ कि यहां का कृषि और उद्योग क्षेत्र दोनो कराह उठा। इस पलायन को रोकने में सरकार और उद्योगपति और किसान दोनो नाकाम रहे।

Roshni Khan
Published on: 9 Jun 2020 8:55 AM GMT
श्रमिकों के पलायन से दो राहे पर खड़ा पंजाब
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श्रमिकों के पलायन से दो राहे पर खड़ा पंजाब

दुर्गेश पार्थ सारथी

कोरोना काल में पंजाब से मजदूरों का पलायन इस कदर शुरू हुआ कि यहां का कृषि और उद्योग क्षेत्र दोनो कराह उठा। इस पलायन को रोकने में सरकार और उद्योगपति और किसान दोनो नाकाम रहे। अ‍ब स्थिति यह है कि कर्फ्यू हटने और लॉकडान खुलने के बाद कारखानों ने न तो कारिगर मिल रहे हैं और ना ही श्रमिक। कुछ यही हाल खेती किसानी का भी। आधिकारिक तौर पर १० जून से पंजाब में धान को रोपाई शुरू हो जानी है, लेकिन पंजाब में मजदूरों का टोटा है। ऐसे में पंजाब दो राहे पर खड़ा है। उसे समय नहीं आ रहा है वह यहां श्रमिकों और कामगारों की कमी कैसे पूरी करे। जबकि, दूसरी तरफ मजदूरों का पलायन बदस्‍तूर जारी है।

किसानों को खली मजदूरों की कमी तो पहुंचे यूपी-बिहार

सालाना १२० लाख टन चावल का उत्‍पादन करने वाले पंजाब के किसानों को अंतरप्रांतीय मजदूरों की कमी खलने लगी है। इसे दूर करने और अपनी भूल सुधारने के लिए यहां कि किसानों ने उत्‍तर प्रदेश और बिहार के दूर-दराज के गांवों में रहने वाले श्रमिकों से संपर्क साध उन्‍हें लाने के लिए खुद के खर्चे पर लग्‍जरी बसें भेजी है। किसनों का कहना है कि यह काम उन्‍हें मंगहा पड़ रहा है। फिर भी कृषि संकट को दूर करने के लिए वह यह जोखिम उठाने को तैयार हैं।

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१५ दिनों में भेजी १०५ बसें

पंजाब के मालवा क्षेत्र के किसानों ने मजदूरों को वापस लाने के लिए १५ दिनों में विभिन्‍न ट्रांसपोर्ट कंपनियों की कुल १०५ बसों को उत्‍तर प्रदेश-बिहार, आंध्रप्रदेश, छत्तिसगढ़ और झारखंड भेजा है। मालवा के करीब १२ से अधिक गांवों से गई बसों से चार हजार से अधिक किसानों को वापस लागया है। धनौला के किसान बलकार सिंह और बोहड़ सिंह ने बताया कि कई गांवों के किसानों ने मिल कर पहले जिला प्रशासन से बात की और ऑनलाइन आवेदन किया। मंजूरी मिलने के बाद एक-एक बस में बैठक कर किसान खुद मजदूरों को वापस लाने के लिए उनके गांव गए।

बरेली से आए ५० मजदूर

इसी तरह मालवा के ही किसान गुरमुख सिंह, गुरमेल और बलजिंदर ने बताया कि वो लोग खुद बस लेकर उत्‍तर प्रदेश के बरेली गए थे। यहां से वे ५० मजदूरों को साथ लेकर आए हैं। उन्‍होंने कहा कि उनके पास खेती सौ एकड़ से अधिक है। ऐसे में अकेली खेती कर पाना मुश्किल है। इसलिए यह कदम उठाया गया।

बिहार से लाए २७ मजदूर, रहेंगे वातानुकूलित कमरे में

पंजाब में मजदूरों की किल्‍लत इस कद बढ़ी है कि यहां के किसान मजदूरों को अब ट्यूबवेल वाले कमरे में नहीं बल्कि एसी वाले कमरे में ठहरा रहे हैं। लुधियाना जिले खन्‍ना के किसानों ने बिहार के मधेपुरा से बस भेज कर करी २७ से अधिक मजदूरों को बुलवाया है। किसान हरगोबिंद सिंह का कहना है कि मजदूरों को रहने के लिए एसी वाली कोठी, मेडिकल सुविधा, राशन मुफ्त और मजदूरी भी अधिक दी जाएगी।

मजबूर हुए किसान तो मजदूरों वापस बुलाने का लिया फैसला

पंजाब के किसानों को अंतरप्रांतीय मजदूरों को इस लिए खुद के खर्चे पर वापस बुलवाना पड़ा क्‍योंकि स्‍थानीय मजदूर धान की रोपाई प्रतिएकड ६००० रुपये मांग रहे थे। जो मूज मजदूरी का दोगुना था। इस लिए कुछ गांवों की पंचायतों ने इन मजदूरों का सामुहिक बहिष्‍कार भी किया। किसानों ने इसका दूसरा रास्‍ता निकला। परिवार के साथ खुद खेतों में काम करना शुरू किया, लेकिन बात नहीं बनी आखिरकार थकहार कर गांवों की पंचायतों ने फैसला किया कि जो मजदूर पलायन कर गए हैं उन्‍हें वापस लाया जायाए।

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फैक्ट्रियों के बाहर लगे बोर्ड हमें कामगार चाहिए

प्रदेश की औद्योगिक नगरी लुधियाना का तो और बुरा हाल है। यहां इंडस्ट्रियल एरिया में फैक्ट्रियों के बाहर कामगारों की जरूरत वाले बोर्ड टंग गए हैं। होजरी यूनिटों में कटाई, सिलाई से लेकर इंटरलॉकिंग, काज और बटन करने माहिरों की जगह खाली। होजरी यूनिटों को कुशल कारिगर नहीं मिल रहे है। यूनिट मालिकों का कहना है कि सर्दियों का माल तैयार करना है, लेकिन कारिगर नहीं मिल रहे हैं। यही हाल लुधियाना की अन्‍य यूनिटों का भी है।

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