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PV Narasimha Rao: पीवी नरसिम्हा राव और बाबरी मस्जिद विध्वंस के अनसुलझे सवाल
PV Narasimha Rao: पीवी नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्री काल में ही बाबरी का विध्वंस हुआ और इसे लेकर उनपर मिलीभगत तक के भी आरोप लगे। बाबरी मस्जिद विध्वंस का दावा राव पर कुछ ऐसा लगा जिसने उनके अच्छे कामों पर भी ग्रहण लगा दिया।
PV Narasimha Rao: पीवी नरसिम्हा राव भारत के नौवें प्रधानमंत्री बने जब देश अब तक के सबसे बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा था। उन्होंने कई क्रांतिकारी बदलावों को लागू कर देश को संकट से न सिर्फ उबारा बल्कि आर्थिक प्रगति और विकास के रास्ते पर अग्रसर किया। हालाँकि उन्हें भारत में आर्थिक सुधारों का गुमनाम नायक कहा जाता है, लेकिन राव का कार्यकाल काफी विवादास्पद भी था। और उनमें सबसे बड़ा विवाद था बाबरी मस्जिद विध्वंस का। राव के प्रधानमंत्री काल में ही बाबरी का विध्वंस हुआ और इसे लेकर उनपर मिलीभगत तक के भी आरोप लगे। बाबरी मस्जिद विध्वंस का दावा राव पर कुछ ऐसा लगा जिसने उनके अच्छे कामों पर भी ग्रहण लगा दिया।
हुआ ये कि 90 के उस दशक में राम मंदिर आंदोलन उफान पर था। आडवाणी की यात्रा निकाली थी। खासकर यूपी में माहौल बेहद गर्म था। उस समय कल्याण सिंह की सरकार थी। कारसेवक और विहिप आदि के नेता अयोध्या पहुंच रहे थे। दिल्ली में नरसिम्हा राव की सरकार को सब जानकारी मिल रही थी। फिर भी विध्वंस हुआ, दंगे हुए। नरसिम्हा राव पर मिलीभगत और अकर्मण्यता तक के आरोप लगे। कहा गया कि विध्वंस शुरू होने से आखिरी ईंट हटने तक वह पूजा में बैठे रहे।
नरसिम्हा राव और बाबरी विध्वंसक में उनकी भूमिका पर अलग अलग लिखा है।
- अपनी ऑटोबायोग्राफी द इनसाइडर में नरसिम्हा राव लिखते हैं- अयोध्या का विवाद मुझे विरासत में मिला था। मैंने शुरुआत में इसे खत्म करने के लिए कई प्रयोग किए, लेकिन मैं सफल नहीं हो पाया।
- राव के मीडिया एडवाइजर पीवीआरके प्रसाद ने ‘सीएम, पीएम और उससे आगे’ नामक किताब लिखी जिसमें बताया गया है कि राव जैसे ही प्रधानमंत्री बने, उन्होंने राम मंदिर पर काम करना शुरू कर दिया। राव ने विध्वंस से कुछ दिन पहले बताया था कि बीजेपी से राम मंदिर का मुद्दा हड़पना है। हम चाहते हैं कि एक गैर-राजनीतिक ट्रस्ट राम मंदिर का निर्माण करे।
प्रसाद आगे लिखते हैं- बाबरी विध्वंस के बाद राव ने राम मंदिर निर्माण पर फोकस करना शुरू किया। 1995 तक उन्होंने इसका खाका भी तैयार कर लिया था, लेकिन 1996 में उनकी सरकार ही चली गई।
- पूर्व केंद्रीय मंत्री माखन लाल फोतेदार अपनी आत्मकथा 'द चिनार लीव्स' में लिखते हैं - बाबरी विध्वंस के बाद यूपी की सरकार को बर्खास्त करने के लिए राव ने कैबिनेट की मीटिंग बुलाई। यह पहली बार हुआ था, जब कैबिनेट की मीटिंग में प्रधानमंत्री कुछ नहीं बोले। अर्जुन सिंह समेत कुछ मंत्रियों ने बाबरी विध्वंस के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया। मैंने खुद कहा कि बाबरी विध्वंस कराकर आपने कांग्रेस को खत्म करने की कोशिश की है।
- पत्रकार एमडी नलपथ ने साल 2004 में द स्टेट्समैन अखबार में पीवी नरसिम्हा राव का एक इंटरव्यू किया था। राव ने इस इंटरव्यू में कहा कि कांग्रेस और जनता पार्टी के कुछ नेताओं ने मिलकर बाबरी विध्वंस का पूरा आरोप मुझ पर ही मढ़ दिया। बाबरी विध्वंस से पहले कल्याण सिंह की सरकार को क्यों नहीं बर्खास्त किया? इस सवाल पर राव ने कहा था कि राज्यपाल ने जो रिपोर्ट भेजी थी, उसमें कानून व्यवस्था के खराब होने की बात नहीं कही गई थी।
बहरहाल, कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विध्वंस में नरसिम्हा राव की मौन स्वीकृति थी। वे चाहते, तो मस्जिद बच जाती। उन्होंने बीजेपी, आरएसएस और वीएचपी नेताओं से हाथ मिला लिया था। इन आरोपों के चलते राव को खुद अपनी पार्टी में भी उपेक्षा का सामना करना पड़ा।
दूसरी ओर, एक वर्ग ये मानता है कि राव को धोखा दिया गया। उन्हें आश्वस्त किया गया था कि बाबरी मस्जिद के ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर भी राव की भूमिका पर सवाल खड़े होते हैं।