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Queen Elizabeth's First Visit to India: महारानी का यादगार पहला भारत दौरा, बापू के प्रति अगाध श्रद्धा, संजोकर रखा उपहार

Queen Elizabeth's First Visit to India: महारानी एलिजाबेथ ने भारत का तीन बार दौरा किया था मगर उनका 1961 का पहला दौरा सबसे यादगार माना जाता है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 9 Sept 2022 9:01 AM IST
Queen Elizabeths First Visit to India
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Queen Elizabeth's First Visit to India (Social Media)

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Queen Elizabeth's First Visit to India: ब्रिटेन में सबसे लंबे समय तक राज करने वाली महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का गुरुवार को निधन हो गया। 1952 में ब्रिटेन की महारानी बनने वाली एलिजाबेथ द्वितीय ने सबसे लंबे समय तक ब्रिटेन पर राज किया। वे सिर्फ ब्रिटेन ही नहीं बल्कि 14 और देशों की रानी रहीं उनके निधन से पूरी दुनिया में शोक की लहर दौड़ गई है। महारानी एलिजाबेथ ने भारत का तीन बार दौरा किया था मगर उनका 1961 का पहला दौरा सबसे यादगार माना जाता है। इस दौरान वे राजघाट पर सैंडल उतारकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने पहुंची थीं। उनके पास बापू का दिया हुआ एक अनमोल उपहार भी था जिसे उन्होंने आज तक संभालकर रखा हुआ था।

तीन बार किया था भारत का दौरा

ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने तीन बार 1961, 1983 और 1997 में भारत का दौरा किया। इन तीनों दौरों के समय महारानी एलिजाबेथ के साथ उनके पति प्रिंस फिलिप भी थे। भारत के तीनों दौरों के समय महारानी एलिजाबेथ का जोरदार स्वागत किया गया था मगर जानकारों का कहना है कि उनका पहला भारत दौरा सबसे ज्यादा यादगार था। भारत को ब्रिटिश राज से मुक्ति मिलने के 14 साल बाद 1961 में वे पहली बार भारत के दौरे पर पहुंची थीं। उस समय देश के राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद और प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू थे। हवाई अड्डे पर महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का स्वागत करने के लिए राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद, पंडित नेहरू और उपराष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन तीनों प्रमुख हस्तियां पहुंची थीं। भारत दौरे के बाद उन्होंने पाकिस्तान और नेपाल का भी दौरा किया था। पहले दौरे के समय उनकी झलक पाने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था।

सैंडल उतारकर बापू को नमन

भारत की पहली यात्रा के दौरान महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि राजघाट पर जाने का था। देश को अंग्रेजो की गुलामी से आजादी दिलाने के लिए महात्मा गांधी ने लंबा संघर्ष किया था और उनकी अगुवाई में ही देश के लोगों ने लंबी लड़ाई के बाद आजादी पाने में कामयाबी हासिल की थी। राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि पर पहुंचने के बाद महारानी एलिजाबेथ ने उन्हें काफी सम्मान दिया था और वे सैंडल उतार कर राष्ट्रपिता बापू को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंची थीं। महारानी एलिजाबेथ के सैंडल उतारने पर उनके पति प्रिंस फिलिप भी अपने जूते उतारकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे थे।

सहेज कर रखा था बापू का उपहार

महारानी एलिजाबेथ के पास राष्ट्रपिता बापू की ओर से दिया गया एक अनमोल उपहार भी था। इस बात का खुलासा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। पीएम मोदी ने 2015 और 2018 में ब्रिटेन की यात्राओं के दौरान महारानी एलिजाबेथ द्वितीय से मुलाकात की थी। पीएम मोदी ने बताया कि महारानी एलिजाबेथ के साथ उनकी मुलाकात में काफी यादगार रहीं। उनकी गर्मजोशी और दयालुता को कभी भुलाया नहीं जा सकता। प्रधानमंत्री मोदी के मुताबिक एक मुलाकात के दौरान महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने उन्हें व रुमाल दिखाई थी जो उन्हें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने उपहार में दी थी। मोदी ने कहा कि महारानी ने सार्वजनिक जीवन में हमेशा शालीनता और गरिमा का परिचय दिया और उन्हें हमेशा एक दिग्गज के रूप में याद रखा जाएगा।

केन्या दौरे पर मिली थी पिता के निधन की सूचना

महारानी एलिजाबेथ को जब 6 फरवरी 1952 को ब्रिटेन की महारानी की गद्दी मिली तब उनकी उम्र मात्र 25 वर्ष थी। 2 जून 1953 को उनका आधिकारिक रूप से राज्याभिषेक किया गया था। यह भी अजीब संयोग था कि एलिजाबेथ को अपने पिता किंग जॉर्ज के निधन की सूचना उस समय मिली जब वे ब्रिटेन में नहीं थीं। वे अपने पति प्रिंस फिलिप के साथ केन्या के दौरे पर गई हुई थीं और वहीं पर उन्हें अपने पिता के निधन की दुखद खबर मिली। उनके पिता किंग जॉर्ज लंबे समय से बीमार चल रहे थे। पिता के निधन की सूचना पाकर एलिजाबेथ तत्काल ब्रिटेन लौट आईं और स्वदेश वापसी के बाद उन्हें ब्रिटेन की महारानी का महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व सौंपा गया। तब से लेकर अभी तक उन्होंने इस महत्वपूर्ण दायित्व को पूरी जिम्मेदारी से निभाया। वे करीब सात दशक तक ब्रिटेन की महारानी बनी रहीं। हाल के दिनों में उम्र काफी बढ़ जाने और स्वास्थ्य खराब होने के कारण उनकी सक्रियता काफी कम हो गई थी।



Ramkrishna Vajpei

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