TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Rahul Gandhi Apology: आखिर राहुल गांधी ने गुलाम नबी आजाद से क्यों मांगी माफ़ी, किसी नए समीकरण के संकेत!

Rahul Gandhi Apology: राहुल गांधी ने जम्मू में कहा, अगर उनसे कोई चूक या गलती हुई हो तो वे गुलाम नबी आजाद से माफी मांगते हैं। उनके इस माफ़ी के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।

aman
Written By aman
Published on: 24 Jan 2023 9:36 PM IST
Rahul Gandhi Apology
X

Rahul Gandhi (Social Media)

Rahul Gandhi Apology: कभी कांग्रेस के बुरे प्रदर्शन के लिए राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराने वाले गुलाम नबी आज़ाद (Ghulam Nabi Azad) से राहुल गांधी के माफीनामे ने नये राजनीतिक समीकरणों को हवा दे दी है। जब जम्मू-कश्मीर में विधानसभा के चुनाव सिर पर हों, गुलाम नबी आज़ाद अपनी पार्टी बनाकर क़िस्मत आज़माने के रास्ते पर चल निकले हों, जम्मू कश्मीर में 370 का अस्तित्व समाप्त हो गया हो, कांग्रेस के पास कोई चेहरा न हो तब राहुल के माफ़ीनामे से आज़ाद के 'घर वापसी' की प्रतिध्वनि सुना जाना बेवजह नहीं कहा जायेगा।

राहुल के माफ़ी मांगने के बाद यह भी जेरे बहस है कि आख़िर राहुल ने ऐसी क्या गलती की थी जिसके चलते आजाद को कांग्रेस छोड़नी पड़ी। राहुल को माफ़ी मांगना पड़ा। बहुत लंबे समय बाद ऐसा समय आया है जब आज़ाद देश की संसद के सदस्य नहीं हैं। विदाई के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज़ाद की बहुत प्रशंसा की थी।

क्या कहा राहुल ने?

भारत जोड़ो यात्रा पर मंगलवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में राहुल ने गुलाम नबी आज़ाद को लेकर एक बड़ा बयान दिया। राहुल ने कहा," अगर मेरी वजह से कभी उनको (गुलाम नबी) को तकलीफ पहुंची हो तो मैं इसके लिए माफी मांगता हूं।' राहुल के इस बयान के बाद आज़ाद की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। पर किसी तरह की प्रतिक्रिया के न आने को कांग्रेसी हलकों में आज़ाद के साथ नई संभावना के मद्देनज़र देखा जा रहा है।

आज़ाद की नाराजगी की कहीं ये वजह तो नहीं

सूत्रों की मानें तो राहुल व आज़ाद के बीच रिश्तों की खटास जम्मू कश्मीर में कांग्रेस अध्यक्ष की तैनाती के साथ शुरू हुई। पार्टी आलाकमान ने प्रदेश अध्यक्ष के लिए गुलाम नबी से नाम मांगे थे। आजाद ने भी परंपरा के अनुसार, अपनी पसंद के चार नाम दिए। राहुल गांधी ने राज्य के नेताओं से बात कर विकार रसूल वानी (Vikar Rasool Wani) को अध्यक्ष बना दिया। कहा जाता है इसी बात से आजाद नाराज़ हो गए। क्योंकि, वो चार नामों की सूची में दूसरे नंबर के नाम को अध्यक्ष बनाना चाहते थे। जबकि, राहुल गांधी सहित शीर्ष नेतृत्व का तर्क था कि आपने ही सभी चार नाम दिए थे। इसलिए इनमें से ही एक को पार्टी ने चुन लिया। आपको कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।

वहीं, गुलाम नबी आजाद का कहना था कि उन्होंने पार्टी के प्रोटोकॉल के अनुसार चार नाम भले ही दिए मगर दूसरे नंबर के नाम की अपनी पसंद को उन्होंने रजनी पाटिल और वेणुगोपाल को भी बता दिया था। इसे आज़ाद की उस वक़्त पार्टी छोड़ने की अन्य वजहों में से एक माना गया। संभवतः, अब जब भारत जोड़ो यात्रा जम्मू-कश्मीर में है तो राहुल उस कड़वाहट को मिटाने और आज़ाद से संबंध फिर मधुर करने की सोच रहे हों।

आज़ाद का घाटी में राजनीतिक कद किसी से छिपा नहीं

चूंकि, आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं। सभी राजनीतिक दल आगामी चुनाव के लिए कमर कस रही है, ऐसे में राहुल गांधी, आज़ाद को पार्टी से फिर जोड़ने की कवायद में जुटे हो सकते हैं। याद रहे कि कांग्रेस सरकार में लंबे वक्त तक गुलाम नबी आज़ाद ही उनके मुख्यमंत्री रहे थे। घाटी में आज़ाद का क्या राजनीतिक रसूख है ये भी किसी से छिपा नहीं है। हो सकता है राहुल गांधी उनके इसी साख को एक बार फिर भुनाने की सोच रहे होंगे।

ग़ौरतलब है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने पिछले साल कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता सहित सभी पदों से इस्तीफा दिया। आजाद ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को 5 पन्नों का अपना इस्तीफा भेजा था। जिसमें उन्होंने दर्जनों सवाल खड़े किए थे। चिट्ठी में आज़ाद ने खुद को 'टारगेट' करने का भी आरोप लगाया था। साथ ही, पार्टी के बुरे प्रदर्शन की वजह के लिए राहुल गांधी को जिम्मेदार बताया था। तब राहुल गांधी चुप रहे थे। उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया। मगर, आज जब उन्होंने माफ़ी मांगी तो इसके मायने तलाशे जा रहे हैं।

सोनिया ने किया था 'फ्री हैंड' का वादा

गुलाम नबी आजाद को कांग्रेस पार्टी के बड़े चेहरों में गिना जाता रहा है। लंबे समय तक वो राज्यसभा में विपक्ष के नेता भी रहे। गुलाम नबी आजाद काफी समय से कांग्रेस से असंतुष्ट चल रहे थे। वो कांग्रेस से नाराज नेताओं के G- 23 गुट में भी शामिल थे। ये वही गुट है जो लगातार कांग्रेस में आमूल-चूल बदलावों की मांग करता रहा है। कहा जाता है सोनिया गांधी ने आजाद को मनाने और समाधान का रास्ता तलाशते हुए उन्हें उनके गृह राज्य यानी जम्मू-कश्मीर में 'फ्री हैंड' देने का वादा किया था। जिसके बाद प्रभारी रजनी पाटिल (Rajni Patil) और संगठन महासचिव वेणुगोपाल (Venugopal) ने आजाद से बात कर उनकी सहमति से कमेटी का गठन किया।

राहुल खोल रहे 'बातचीत' के द्वार !

गुलाम नबी आज़ाद ने अपने इस्तीफे के साथ 5 पन्नों की चिट्ठी में जगह-जगह राहुल गांधी को लेकर गुस्सा, सवाल और फैसलों को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था। आज़ाद ने कहा, कि 'दुर्भाग्य से जब से पार्टी में राहुल गांधी की एंट्री हुई खासतौर पर 2013 में जब उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया तब से उन्होंने पार्टी में 'बातचीत का खाका' ही ध्वस्त कर दिया।' उन्होंने लिखा, राहुल के नेतृत्व में पार्टी के सभी सीनियर और अनुभवी नेताओं को कांग्रेस में पूरी तरह साइड लाइन कर दिया गया। पार्टी के अनुभवहीन नेता मामले को देखने लगे। जिसके बाद से लगातार कांग्रेस को चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ा। साल 2014 से लेकर अब तक कांग्रेस दो लोकसभा चुनाव हार चुकी है।' राहुल गांधी को भी ये पता है कि अगर जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव और 2024 में लोकसभा चुनाव में पार्टी को बढ़त हासिल करनी है तो उसके लिए आज़ाद का क्या महत्त्व है। राहुल गांधी गुलाम नबी आज़ाद के जरिये G- 23 के अन्य नेताओं को भी साधने की कोशिश कर सकते हैं। क्योंकि, आज़ाद पार्टी के भीतर भी गंभीर और सर्वमान्य चेहरा माने जाते रहे हैं।

मैंने उन्हें किसी तरह से कोई दुख पहुंचाया हो, तो..

भारत जोड़ो यात्रा के बीच में मीडिया से बात करते हुए राहुल गांधी ने चौधरी लाल सिंह का भी नाम लिया। राहुल ने गुलाम नबी के साथ ही चौधरी लाल सिंह से भी माफी मांगी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब एक पत्रकार ने राहुल गांधी से पूछा कि आप भारत जोड़ने की बात कर रहे हैं तो आपने जम्मू के लाल सिंह चौधरी सहित कई स्थानीय दलों को अपनी यात्रा में शामिल क्यों नहीं किया? गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी को यात्रा में शामिल होने का न्योता क्यों नहीं दिया? इस पर राहुल गांधी ने कहा कि, 'लाल सिंह चौधरी ने हमारी यात्रा को सपोर्ट किया। इसके लिए हम उन्हें धन्यवाद देते हैं। राहुल गांधी ने आगे कहा, गुलाम नबी जी की जो पार्टी थी। वो हमारी स्टेज पर बैठे थे। उनकी पार्टी के 90 प्रतिशत लोग अब कांग्रेस में ही हैं। बस उस तरफ सिर्फ गुलाम नबी आजाद रह गए हैं। अगर आप चाहते हो कि मैं उनका आदर करूं? तो मैं उनका सम्मान भी कर रहा हूं। इसमें कोई दिक्कत नहीं है। मेरी गुलाम नबी जी का आदर करता हूं। अगर मैंने उन्हें किसी तरह से कोई दुख पहुंचाया हो, तो मैं उनसे माफी मांगता हूं।'



\
aman

aman

Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

Next Story