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हरियाणा की हार के बाद बदले राहुल गांधी के तेवर, अब राज्य के क्षत्रपों की मनमानी बर्दाश्त नहीं
Haryana Election Results: हरियाणा की हार के बाद शुक्रवार को समीक्षा बैठक में हार के कारणों पर चर्चा की गई। हालांकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा और सुरजेवाला मौजूद नहीं थे।
Haryana Election Results: हरियाणा के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत का सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा था मगर भाजपा ने अप्रत्याशित जीत हासिल करते हुए कांग्रेस को बैकफुट पर धकेल दिया है। इस हार के बाद कांग्रेस ने भले ही चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की हो मगर पार्टी नेतृत्व को इस बात का एहसास हो गया है कि पार्टी की गुटबाजी और नेताओं की आपसी खींचतान इस हार का बड़ा कारण रही है।
कांग्रेस की इस हार के बाद पार्टी नेता राहुल गांधी के तेवर बदले हुए नजर आ रहे हैं। शुक्रवार को पार्टी के शीर्ष नेताओं की बैठक के दौरान राहुल गांधी के तेवर से साफ हो गया है कि अब वे क्षेत्रीय क्षत्रपों को मनमानी करने की छूट देने के मूड में नहीं है। अब पार्टी हार के कारणों का पता लगाने के लिए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाने जा रही है। अब सबकी निगाहें इस बात पर लगी हुई हैं कि इस कमेटी की रिपोर्ट के बाद पार्टी नेतृत्व की ओर से क्या एक्शन लिया जाता है।
समीक्षा बैठक में राहुल गांधी के तीखे तेवर
हरियाणा की हार के बाद शुक्रवार को बुलाई गई समीक्षा बैठक के दौरान हार के कारणों पर गहराई से चर्चा की गई। हालांकि इस बैठक के दौरान हरियाणा में कांग्रेस के बड़े चेहरे भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला तीनों मौजूद नहीं थे। बैठक के दौरान राहुल गांधी ने हार को अप्रत्याशित बताते हुए कहा कि यह परिणाम किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं है। उनका कहना था कि जब सारे सर्वे में कांग्रेस जीतती हुई दिख रही थी तो फिर इस हार के कारणों की तह में जाना होगा।
उनका यह भी कहना था कि कुछ नेता खुद को पार्टी से बड़ा समझते हैं और पूरे चुनाव के दौरान उन्होंने पार्टी हित को दरकिनार करते हुए अपना हित साधने की कोशिश की। हरियाणा में नेता आपस में ही लड़ते रहे और उन्होंने पार्टी के बारे में तनिक भी नहीं सोचा। अब फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनेगी और यह कमेटी हार के कारणों का पता लगाने की कोशिश करेगी। कांग्रेस पहले भी कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हार चुकी है मगर हार के बाद राहुल गांधी का यह तेवर पहली बार देखा है।
हरियाणा में हार के कारणों का होगा विश्लेषण
कांग्रेस की यह समीक्षा बैठक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर हुई। इस बैठक में राहुल गांधी और खड़गे के अलावा अशोक गहलोत, अजय माकन, दीपक बाबरिया और पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल भी मौजूद थे। जानकार सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी की ओर से हरियाणा के नेताओं की गुटबाजी का मुद्दा उठाए जाने के बाद बैठक में सन्नाटा छा गया।
जानकारों का कहना है कि फैक्ट फाइंडिंग कमेटी हरियाणा की हार का गहराई से विश्लेषण करने का प्रयास करेगी। अब सबको इस बात का इंतजार रहेगा कि कमेटी की रिपोर्ट के बाद पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से क्या कदम उठाया जाता है। वैसे अभी तक फैक्ट फंडिंग कमेटी के सदस्यों की घोषणा नहीं की गई है।
कांग्रेस में शुरू हुआ आरोप-प्रत्यारोप का दौर
हरियाणा की हार के बाद पार्टी के भीतर चल रहा घमासान अब खुलकर सामने आ गया है। पार्टी की हार को लेकर नेता खुलकर बयानबाजी करने लगे हैं। कैप्टन अजय यादव का कहना है कि मिस मैनेजमेंट ने पार्टी को हरवा दिया। उचाना कलां से 32 वोटों से चुनाव हारने वाले कांग्रेस प्रत्याशी का कहना है कि उन्हें बागियों के कारण हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के कार्यकर्ता भी खुलकर कहने लगे हैं कि अपनों ने ही पार्टी का बंटाधार कर दिया।
असांध से चुनाव हारने वाले कांग्रेस प्रत्याशी शमशेर सिंह का कहना है कि इस चुनाव में हुड्डा कांग्रेस हारी है,कांग्रेस नहीं। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा और उनके सांसद मेरे बेटे दीपेंद्र हुड्डा पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि बाप-बेटे की वजह से कांग्रेस को शर्मनाक हार झेलनी पड़ी। उन्होंने कहा कि राज्य नेतृत्व राहुल गांधी के असांध दौरे से खुश नहीं था और भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मंच पर मेरा नाम तक नहीं लिया। अगर कांग्रेस सही तरीके से चुनाव लड़ती तो पार्टी की सरकार बनती मगर बाप-बेटे की जोड़ी ने पार्टी को चुनाव हरवा दिया।
कांग्रेस नेतृत्व इसलिए हुआ सतर्क
जानकार सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी हरियाणा में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन के पक्ष में थे मगर हरियाणा इकाई के विरोध के कारण दोनों दलों का गठबंधन नहीं हो सका। हरियाणा की कई सीटों पर इसलिए कांग्रेस को हार का भी सामना करना पड़ा है। हुड्डा कैंप आप को एक भी सीट देने के लिए तैयार नहीं था। इसका भी पार्टी को खामियाजा भुगतना पड़ा है।
कांग्रेस नेतृत्व इसलिए सतर्क हो गया है कि पार्टी को आने वाले दिनों में महाराष्ट्र और झारखंड में भी विधानसभा चुनाव लड़ना है। पार्टी नेतृत्व हरियाणा की कहानी को इन दोनों राज्यों में नहीं दोहराना चाहता। महाराष्ट्र में भी पार्टी के भीतर जबर्दस्त गुटबाजी है और नेता एक-दूसरे पर हावी होने की कोशिश में जुटे हुए हैं। यहां पर पार्टी को अंदरूनी कलह का भी सामना करना पड़ रहा है।