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Karnataka Caste Census: जाति जनगणना के मुद्दे पर घिरी कांग्रेस, राहुल कर रहे वकालत मगर कर्नाटक में अपनी ही सरकार ने दबा रखी है रिपोर्ट, जारी करने का बढ़ा दबाव
Karnataka Caste Census: कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने अभी तक बरसों पहले कराई गई जाति जनगणना की रिपोर्ट नहीं जारी की है। अब राज्य में कांग्रेस के एक बड़े नेता बीके हरिप्रसाद ने प्रदेश सरकार से रिपोर्ट को जल्द से जल्द जारी करने की मांग की है।
Karnataka Caste Census: कांग्रेस की ओर से पूरे देश में जाति जनगणना कराने की मांग जोर-शोर से की जा रही है। बिहार सरकार की ओर से जाति जनगणना के आंकड़े जारी किए जाने के बाद कांग्रेस ने इसका स्वागत किया था। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता 'जितनी आबादी,उतना हक' की वकालत करने में जुटे हुए हैं। कांग्रेस की ओर से चुनावी राज्यों में भी जाति जनगणना करने का वादा किया जा रहा है मगर कांग्रेस शासित कर्नाटक में पार्टी इस मुद्दे पर घिर गई है।
दरअसल कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने अभी तक बरसों पहले कराई गई जाति जनगणना की रिपोर्ट नहीं जारी की है। अब राज्य में कांग्रेस के एक बड़े नेता बीके हरिप्रसाद ने प्रदेश सरकार से रिपोर्ट को जल्द से जल्द जारी करने की मांग की है। उन्होंने बिहार सरकार की ओर से रिपोर्ट जारी करने के कदम को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि कर्नाटक में भी रिपोर्ट को जल्द ही जारी किया जाना चाहिए। पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली समेत विपक्ष की ओर से भी इस बाबत राज्य सरकार से मांग की गई है।
कांग्रेस नेता ने की रिपोर्ट जारी करने की मांग
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बीके हरिप्रसाद ने कहा कि कर्नाटक सरकार को भी बिहार सरकार की तरह हिम्मत दिखाते हुए जाति जनगणना की रिपोर्ट को जारी करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे नेता राहुल गांधी ने पिछड़े वर्ग के खिलाफ हो रहे अन्याय के मुद्दे पर आवाज उठाई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी का मानना है कि जाति जनगणना की रिपोर्ट पिछड़े और शोषित सहित सभी वर्गों के उत्थान और विकास में मदद करती है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी खुद इस मुद्दे पर जोर दे रहे हैं मगर हमारी ही पार्टी की सरकार ने अभी तक रिपोर्ट नहीं जारी की है।
बिहार सरकार की ओर से जाति जनगणना की रिपोर्ट जारी किए जाने के बाद राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमला बोला था। उनका कहना था कि इस रिपोर्ट से साफ हो गया है कि राज्य में पिछड़ा वर्ग,एससी और एसटी को मिलाकर कुल 84 फीसदी आबादी है। उन्होंने केंद्र में 90 सचिवों में से केवल तीन के ओबीसी होने पर भी सवाल उठाए थे। उनका कहना था कि इसलिए पूरे देश का जातिगत आंकड़ा जारी होना जरूरी है। उन्होंने जितनी आबादी,उतना हक का नारा भी बुलंद किया था।
वीरप्पा मोइली ने भी उठाए सवाल
इस बीच पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री और कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने कहा कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को जाति जनगणना की रिपोर्ट जल्द से जल्द जारी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सिद्धारमैया के पिछले कार्यकाल (2013-2018) के दौरान कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की ओर से राज्य में जाति जनगणना कराई गई थी मगर अभी तक इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई।
उन्होंने कहा कि अब जब राज्य में एक बार फिर सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बन चुके हैं तो उन्हें इस दिशा में अविलंब कदम उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की ओर से हमेशा पिछड़े वर्ग के लोगों के हितों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने की बात की जाती है और इसलिए कर्नाटक सरकार को इस दिशा में पहल करनी चाहिए।
रिपोर्ट दबाए रखने के मुद्दे पर घिर रही कांग्रेस
दूसरी ओर विपक्ष के नेताओं की ओर से भी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से इस बाबत मांग की गई है। कर्नाटक में जाति जनगणना की रिपोर्ट को दबाए रखने के मुद्दे पर कांग्रेस घिरती जा रही है।
जानकारों का करना है कि मुख्यमंत्री पर रिपोर्ट जारी करने का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि राज्य सरकार की ओर से इस दिशा में जल्द ही कदम उठाए जा सकता है।