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अपना भारत Exclusive: राहुल गांधी की इस मासूमियत पर प्यार नहीं आता

tiwarishalini
Published on: 27 Sept 2017 5:50 PM IST
अपना भारत Exclusive: राहुल गांधी की इस मासूमियत पर प्यार नहीं आता
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अनुराग शुक्ला

‘रहिमन जिह्वा बावरी, कह गयी सरग-पताल

आप तु कहि भीतर गई, जूती खात कपाल’

रहीम दास जी का यह दोहा शायद कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सुना नहीं होगा। सुना होगा तो ध्यान नहीं दिया होगा। इन दिनों अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि चमकाने अमरीका के एक पखवाड़े के दौरे पर गये राहुल गांधी ने कई विश्वविद्यालयों में जो बयान दिए हैं वह कम से कम यही साबित करते हैं। राहुल गांधी ने देश के आतंरिक मामलों का जिस तरह खुलासा किया, जिस तरह से देश की विदेश नीति को धता बताया, जिस तरह से मन की बात करते-करते अमरीका में जो कुछ कह गए उसके लिए न तो मौका इजाजत देता, न तो दस्तूर। और तो और, कहने की जगह भी सही नहीं थी।

बर्कले की कैलिफोर्निया यूनीवर्सिटी में अपने संबोधन में उन्होंने भारत को वंशवाद का पोषक बताकर अपने ही दादा परदादा और सैकड़ों स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को ठेस पहुंचाई जिन्होंने राजघरानों से लेकर अंग्रेज और फिर जमींदारों-जागीरदारों से संघर्ष किया। शायद वह देश के पहले प्रधानमंत्री, अपने पूर्वज, जवाहरलाल नेहरू और देश के लौहपुरुष सरदार पटेल को भूल गये थे। जबकि इन दिनों कांग्रेस इन्हें अपनी विरासत का प्रतीक बताने की जद्दोजहद कर रही है। उन्होंने अभिषेक बच्चन और अंबानी की फिल्मी विरासतों की तुलना देश चलाने से कर दी। कौन न मर जाए उनकी मासूमियत पर।

राहुल गांधी ने देश में तथाकथित असिहष्णुता का मुद्दा अमरीका में उठाया। विदेश और खासकर अमरीका से निवेश पाने के लिए भारत सरकार एड़ी चोटी एक कर रही है। यह संयोग नहीं कि राहुल के भाषण के तुरंत बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री एस. के. अब्बासी ने संयुक्त राष्ट्र संघ से यूएन रिजोल्यूशन को लागू कराने की अपील कर दी। काश राहुल समझ पाते कि यह मंच उनकी पार्टी का बनाया नहीं है। इस मंच के सामने की जनता सिर्फ उन्हें तालियों की सौगात ही नहीं देगी। इस मंच पर पूरी दुनिया की नजर है। वैश्विक स्तर पर एक एक शब्द का मतलब होता है।

निकाला जाता है। ऐसा भोलापन लिये राहुल जी आप देश के प्रधानमंत्री होने का सपना पाल रहे हैं। देश आप पर कैसे भरोसा करे। विदेश नीति की पुरोधा अपनी दादी से ही कुछ सीख लिया होता। जिन्होंने विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी को संयुक्त राष्ट्र संघ में देश का प्रतिनिधि बनाकर भेजा था। विदेश नीति में सिर्फ देश होता है। दल नहीं।

राहुल ने चीन के वन बेल्ट वन रोड की तारीफ कर दी। उस ओबीओआर प्रोजेक्ट की जो पाक अधिकृत कश्मीर से जाता है। जिसका विरोध किसी पार्टी की थाती नहीं, देश की नीति है। जिसके तोड़ के तौर पर बन रहे एशिया अफ्रीका ग्रोथ कारिडार के समर्थन में साउथ ईस्ट एशिया, अफ्रीका समेत दुनिया के छह दर्जन देश भारत के पक्ष में खड़े हैं।

उन्होंने अपने खिलाफ चल रहे राजनीतिक दांव को प्रधानमंत्री के सिर मढ़ा वो भी दुनिया के सामने। अब कौन बताये कि जब विदेश में आप यह सब कह रहे थे तो राजनैतिक दांव की सच्चाई भी सबके सामने आ रही थी।

एक वाकया याद आता है कि मैं बहुत छोटा था। किसी दावत में गया था। किसी ने पूछा कि घर में क्या चल रहा है। रट्टू तोते की तरह घर की सारी बात बता दी। घर आया तो मां के थप्पड़ और मेरे गाल। घर की बात क्यों बाहर बताई। शायद राहुल गांधी का सामना ऐसी स्थितियों से न हुआ हो।



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tiwarishalini

tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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