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कांग्रेस की कमान संभालने से हिचक रहे हैं राहुल गांधी, पार्टी में प्लान बी भी तैयार
पार्टी में कई महीनों से स्थायी अध्यक्ष की मांग उठ रही है मगर अब यह जानकारी सामने आ रही है कि राहुल गांधी खुद ही अध्यक्ष बनने के इच्छुक नहीं हैं। ऐसे में पार्टी की ओर से प्लान बी भी तैयार किया गया है।
नई दिल्ली: पिछले लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले राहुल गांधी एक बार फिर पार्टी की कमान संभालने से हिचक रहे हैं। पिछले 18 महीनों से पार्टी अंतरिम अध्यक्ष के सहारे चल रही है। राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद पिछले साल अगस्त में सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष चुना गया था।
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पार्टी में कई महीनों से स्थायी अध्यक्ष की मांग उठ रही है मगर अब यह जानकारी सामने आ रही है कि राहुल गांधी खुद ही अध्यक्ष बनने के इच्छुक नहीं हैं। ऐसे में पार्टी की ओर से प्लान बी भी तैयार किया गया है।
फिर अध्यक्ष बनने को तैयार नहीं राहुल गांधी
एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक राहुल गांधी एक बार फिर पार्टी की कमान संभालने को तैयार नहीं हैं। पार्टी के कोर ग्रुप के दो नेताओं ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि कई बार मनाने की कोशिश करने के बावजूद राहुल गांधी इस पद पर वापसी के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं।
कोर ग्रुप के एक और नेता ने इस बात की पुष्टि की है कि अब यह करीब-करीब निश्चित हो गया है कि राहुल गांधी हाल फिलहाल पार्टी के अध्यक्ष के रूप में वापसी नहीं करेंगे।
सुरजेवाला ने किया था यह दावा
वरिष्ठ नेता और मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने पिछले दिनों दावा किया था कि 99.9 फ़ीसदी कांग्रेसी राहुल गांधी को ही पार्टी अध्यक्ष बनाना चाहते हैं। उनका कहना था कि पार्टी में नए अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी को लेकर एक राय बनती दिख रही है।
उन्होंने दावा किया था कि राहुल गांधी के नेतृत्व के लिए पूरी पार्टी एकजुट है। उनका अध्यक्ष बनना तय है मगर अब इस बात का खुलासा हो रहा है कि राहुल खुद ही अध्यक्ष बनने के लिए तैयार नहीं है।
असंतुष्ट नेताओं ने लिखी थी चिट्ठी
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का स्वास्थ्य इन दिनों ठीक नहीं है और पार्टी में नए अध्यक्ष की मांग लगातार होती रही है। इस साल अगस्त महीने के दौरान कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी की कार्यशैली में बदलाव किए जाने की मांग की थी।
उनका कहना था कि भाजपा सियासी रूप से लगातार मजबूत होती जा रही है और भाजपा की बढ़ती ताकत का मुकाबला करने के लिए पार्टी को अपना तौर तरीका बदलना होगा।
नया अध्यक्ष बनाने की भी मांग
इन नेताओं ने पार्टी की सक्रियता बढ़ाने के लिए नया अध्यक्ष बनाने की भी मांग की थी। इस चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने वाले नेताओं में राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, शशि थरूर, मनीष तिवारी, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा शामिल थे।
राहुल गांधी को मनाने की कोशिशें
पार्टी में नए अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया से जुड़े एक नेता ने बताया कि पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को अध्यक्ष पद संभालने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं। इन नेताओं ने इस संबंध में पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी बातचीत की है ताकि वे राहुल गांधी को फैसला बदलने के लिए तैयार कर सकें, लेकिन अभी तक की स्थिति के हिसाब से यही कहा जा सकता है कि राहुल गांधी अध्यक्ष बनने से हिचक रहे हैं।
पार्टी का प्लान बी तैयार
एक वरिष्ठ नेता ने पहचान न बताने की शर्त पर बताया कि यदि राहुल गांधी अध्यक्ष बनने के लिए तैयार नहीं होते हैं तो कांग्रेस में प्लान बी भी तैयार है। इस योजना के मुताबिक सोनिया गांधी पार्टी में चार उपाध्यक्ष नियुक्त कर सकती हैं।
हर जोन की जिम्मेदारी एक उपाध्यक्ष को सौंपी जाएगी। सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष के पद पर बनी रहेंगे मगर ये चारों उपाध्यक्ष आपसी सहमति से मिलकर पार्टी से जुड़े सभी फैसले लेंगे। इन चारों उपाध्यक्षों के नीचे तीन-तीन महासचिवों को भी नियुक्त करने की तैयारी है।
किसी और नाम पर सहमति बनना मुश्किल
सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी को 2017 में पार्टी का अध्यक्ष चुना गया था और उनका कार्यकाल दिसंबर 2022 तक था मगर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद उन्होंने पिछले साल ही पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
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सोनिया गांधी को पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष चुना गया है और वे तभी तक पार्टी की अध्यक्ष रहेंगी जब तक पार्टी अगला अध्यक्ष नहीं चुन लेती।
पार्टी में राहुल गांधी के सिवा किसी और के नाम पर आम राय बनना बड़ा मुश्किल दिख रहा है और राहुल गांधी पार्टी की कमान संभालने के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में पिछले 18 महीनों से स्थायी अध्यक्ष के बिना काम कर रही कांग्रेस में अभी भी दुविधा की स्थिति दिख रही है।
रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी
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