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सुरेश प्रभु ने कहा- रेलवे को अधिक लाभप्रद बनाने के लिए 8 लाख करोड़ का करेंगे निवेश
कोलकाता: रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा, कि 'सरकार रेलवे को और अधिक लाभप्रद बनाने के लिए भारतीय रेल के बुनियादी ढांचे में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।' प्रभु ने यहां कई रेल परियोजनाओं को समर्पित करते हुए कहा, 'भारतीय रेल दुष्चक्र में फंसी थी। हम इसे बदलना चाहते हैं। हम एक कुशल सेवा प्रदाता की तरह भारतीय रेल में निवेश को बढ़ाने और वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।'
सुरेश प्रभु ने कहा, कि रेलवे ने 8 लाख करोड़ रुपए से अधिक की निवेश योजना तैयार की है। साथ ही बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 3.75 लाख करोड़ रुपए के पूंजीगत व्यय को अंतिम रूप दिया गया है।
और निवेश का लिया फैसला
रेल मंत्री ने कहा, कि 'पिछले तीन सालों में 16,500 किलोमीटर की रेलवे लाइनों की दोहरीकरण या तिगुनी कार्य को मंजूरी दी गई है।' उन्होंने कहा, 'लगभग 16 प्रतिशत नेटवर्क (रेलवे) 60 प्रतिशत से ज्यादा ट्रैफिक को संभालने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जबकि बाकी का नेटवर्क 40 प्रतिशत यातायात का प्रबंधन करता है। इससे क्षमता का उपयोग 150-160 प्रतिशत हो जाता है। इसलिए हमने निवेश करने का फैसला किया है।'
रेलवे और 40,000 कोच खरीदेगा
सुरेश प्रभु ने कहा, '42 फीसदी रेलवे लाइन विद्युतीकृत है। हमने अगले पांच सालों में इसका दोहन करने का फैसला किया है। साथ ही परियोजनाओं के कार्यान्वयन की गति दोगुना ज्यादा बढ़ाई गई है।' रेलवे पटरियों और रोलिंग स्टॉक में सुधार के लिए जोर देते हुए प्रभु ने कहा कि रेलवे और 40,000 कोच खरीदेगा।
कई परियोजनाओं का किया उद्घाटन
प्रभु ने पूर्वी रेलवे के तहत शनिवार को सियालदह डिवीजन में बेलदंगा और कोसिमबाजार के बीच दोहरी लाइन, हावड़ा डिवीजन में गदाधरपुर और तारापीठ रोड स्टेशनों के बीच तीसरी लाइन, पैदल पार पुल, हावड़ा क्षेत्र में 250 किलोवाट सौर संयंत्र, 175 स्टेशनों में एलईडी लाइट की व्यवस्था और अन्य परियोजनाओं का उद्घाटन किया।
पश्चिम बंगाल का बजट चौगुना किया
इस दौरान रेल उन्होंने कहा, कि पश्चिम बंगाल का बजट आवंटन 2017-18 में बढ़ाकर 6,336 करोड़ रुपए कर दिया गया, जो 2013-14 में 1,604 करोड़ रुपए था।
जुर्माना वसूलना आमदनी का अच्छा जरिया
प्रभु ने कहा, 'फिलहाल स्लीपर कोच में सफर करने वाले यात्री जेनरल बोगी का टिकट लेकर घुसने वाले और वेटिंग के टिकट वालों से परेशान हैं। हालत यह है कि बर्थ आरक्षित कराने का उन्हें लाभ नहीं मिल रहा है। समूचे बोगी से लेकर टॉयलेट तक लोगों के खड़े या लेटे रहने के कारण टॉयलेट तक पहुंचने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ती है। कई ट्रेनों के टॉयलेट में तो पानी ही नहीं होता। टॉयलेट की बदबू समूचे बोगी में भर जाती है। जेनरल बोगी के यात्रियों को स्लीपर कोच में सफर करने की छूट देकर उनसे जुर्माना वसूलना रेलवे की अतिरिक्त आमदनी का अच्छा जरिया बन गया है।'
आईएएनएस