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रेल यातायात से जुड़ेगा श्रावस्ती, रेलवे ने तेज की कवायद....

raghvendra
Published on: 29 Dec 2017 12:44 PM IST
रेल यातायात से जुड़ेगा श्रावस्ती, रेलवे ने तेज की कवायद....
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तेज प्रताप सिंह

गोंडा: भारत-नेपाल सीमा पर स्थित बौद्ध एवं जैन तीर्थस्थल के रूप में श्रावस्ती सारी दुनिया में प्रसिद्ध है। श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र (पूर्व में बलरामपुर) पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भी कर्मभूमि रहा है। इसके बावजूद श्रावस्ती अभी तक रेल लाइन से नहीं जुड़ सका है। रेल यातायात न होने से यहां पहुंचने में काफी दिक्कत होती है, लेकिन अब यह स्थिति बदलने वाली है। सब कुछ ठीकठाक रहा तो महात्मा बुद्ध की तपोभूमि और जैन तीर्थस्थली जल्द ही रेल यातायात से जुड़ जाएगी। इसेे लेकर रेलवे ने कवायद तेज कर दी है। छह जिलों के 328 गांवों से होकर गुजरने वाली इस नई रेल लाइन के बन जाने पर सिद्धार्थनगर, उतरौला, बलरामपुर, श्रावस्ती, इकौना, भिनगा और बहराइच की यात्रा आसान हो जाएगी।

श्रावस्ती में सर्वे कार्य पूरा हो जाने के बाद रेल लाइन बिछाने के लिए पूर्वाेत्तर रेलवे ने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर जिले की भिनगा और इकौना तहसील क्षेत्र के उन गांवों का मानचित्र उपलब्ध कराने को कहा है, जिन गांवों से रेल लाइन निकलनी है। इससे कुछ माह पहले सर्वे कम्पनी के अधिकारियों की मांग पर जनपद की सीमा में पडऩे वाले गांवों के नक्शे संत कबीर नगर जिला प्रशासन ने उन्हें उपलब्ध करा दिए हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि चालू वित्तीय वर्ष में ही नई रेल लाइन बिछाए जाने का कार्य शुरू हो जाएगा।

श्रावस्ती पहुंचने के विकल्प

नेपाल सीमा से जुड़ा होने के कारण एसएसबी के जवानों की तैनाती जिले में रहती है। रेल सुविधा न होने के कारण विश्व के कोने-कोने से आने वाले पर्यटक, स्थानीय नागरिकों के अलावा एसएसबी जवानों को सडक़ मार्ग से लगभग 100 किलोमीटर की दुरुह यात्रा करनी पड़ती है। ट्रेन से श्रावस्ती तक पहुंचने के लिए दो विकल्प हैं। एक बलरामपुर से है जहां एक छोटा स्टेशन है तथा यहां कई गाडिय़ां आती हैं। दूसरा व सरल विकल्प गोंडा स्टेशन है जो बड़े शहरों जैसे दिल्ली, लखनऊ, अहमदाबाद, बंगलुरु, कोलकाता और आगरा आदि से जुड़ा हुआ है। गोंडा से टैक्सी से श्रावस्ती पहुंचा जा सकता है। यहां वाया बहराइच अथवा बलरामपुर के रास्ते भी पहुंचा जा सकता है।

328 गांवों से होकर जाएगी रेल लाइन

करीब 250 किलोमीटर की दूरी तक ब्रॉड गेज रेल लाइन का निर्माण होना है। सर्वे कार्य पूरा करने में करीब तीन माह का समय लग गया। यह रेलवे लाइन बहराइच, भिनगा, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, संतकबीर नगर और बस्ती जनपद के 328 गांवों से होकर जाएगी। बहराइच तहसील क्षेत्र के 11 गांव, श्रावस्ती जिले की इकौना तहसील क्षेत्र के 28 गांव, भिनगा तहसील क्षेत्र के 18 गांव, बलरामपुर जनपद की उतरौला तहसील क्षेत्र के 46 गांव, बलरामपुर तहसील क्षेत्र के 30 गांव, सिद्धार्थनगर जिले के डुमरियागंज तहसील क्षेत्र के 47 गांव, बांसी तहसील क्षेत्र के 58 गांव, संतकबीरनगर जिले की मेंहदावल तहसील क्षेत्र के 39 गांव, खलीलाबाद तहसील क्षेत्र के 46 गांव और बस्ती जिले की भानपुर तहसील क्षेत्र के पांच गांवों से होकर नई रेल लाइन जाएगी। सर्वे कर रही हरिद्वार ईलाइट कंसल्टेंट रुडक़ी कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि छह जिलों के इन गांवों के नक्शे जिला प्रशासन की मदद से जुटाए जा रहे हैं। जबकि संतकबीर नगर प्रशासन से गांवों के नक्शे हासिल कर लिए गए हैं। कम्पनी के प्रोजेक्ट सहायक विपिन वर्मा ने बताया कि किस गांव में कितनी जमीन रेलवे लाइन के लिए अधिग्रहीत की जा रही है, इसकी रिपोर्ट तैयार रेलवे प्रशासन को सौंप दी जाएगी।

दस स्टेशन व दो पुल बनेंगे

बहराइच जिले से लेकर बलरामपुर जिले के बीच करीब 80 किलोमीटर की इस रेल लाइन पर कुल दस स्टेशन बनाए जाएंगे। इनमें से बहराइच जिले में अजतापुर, श्रावस्ती में धुसवा, बरदेहरा, हरिहरपुररानी, भिनगा, विशुनापुर रामनगर, मुजेहनिया, इकौना, श्रावस्ती एवं बलरामपुर जिले में हंसुआडोल रेलवे स्टेशन बनेंगे। इस रेल लाइन को बलरामपुर जिले के झारखंडी रेलवे स्टेशन से जोड़ा जाएगा। इस रेल मार्ग के लिए राप्ती नदी पर दो बड़े पुल भी बनाए जाएंगे।

इन गांवों के मांगे गए नक्शे

रेल लाइन बिछाने के लिए श्रावस्ती जिले की भिनगा तहसील के बेनीडिहवा, रेहली विशुनपुर, भिनगा देहात, पूरे खैरी, टड़वा वनकटवा, गलकटवा, वर्गा-वर्गी, भगडा, सिसवा, पटना खरगौरा, हरिहरपुर रानी, रेवनिया, लखाही, तिलकपुर और इकौना तहसील क्षेत्र के राजगढ़ गुलरिहा, हुसैनजोत, मनक, मलौना खशियारी, लक्ष्मणपुर गोड पुरवा, गिलौला और औरया टिकई गांवों के भौगोलिक नक्शे पूर्वाेत्तर रेलवे ने जिला प्रशासन से मांगे हैं।

काफी संघर्ष के बाद मिली सफलता

क्षेत्रीय सांसद दद्दन मिश्रा ने 30 जून 2014 को तत्कालीन रेलमंत्री सदानंद गौड़ा से मिलकर मांग की थी कि बहराइच से भिनगा होते हुए तुलसीपुर तक 100 किमी, बहराइच से श्रावस्ती होते हुए बस्ती, खलीलाबाद तक नई रेलवे लाइन बिछवाकर श्रावस्ती जिले को रेलमार्ग से जोडऩे के लिए आगामी बजट में प्रावधान करते हुए समुचित राशि जारी की जाए। इस पर रेल मंत्री ने 2015 में इस रेल मार्ग के निर्माण की घोषणा की। रेल बजट 2016 में बहइराइच-भिनगा-बलरामपुर के बीच 80 किलोमीटर नई रेल लाइन बिछाने के लिए 1600 करोड़ रुपये आवंटित किए गए। सहेट महेट और श्रावस्ती जिला मुख्यालय भिनगा को रेल लाइन से जोडऩे की मांग को लेकर श्रावस्ती को रेल से जोड़ो संघर्ष समिति का गठन किया गया। जिला मुख्यालय के अलावा संघर्ष समिति के बैनर तले पंकज देव मिश्र व दिवाकर शुक्ल के नेतृत्व में नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन किया गया। क्षेत्रीय भाजपा सांसद दद्दन मिश्र ने भी इस समस्या को संसद में उठाया। इसके केन्द्र सरकार ने 2015 के रेल बजट में इस रेल लाइन को बिछाने की घोषणा की।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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