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2015 में जनता एक्सप्रेस हादसे से भी नहीं चेता रेल प्रशासन, 31 यात्रियों की हुई थी मौत
लखनऊ: आये दिन होते रेल हादसे से ऐसा कहा जा सकता है कि जान जोखिम में डालकर लोगों को रेलवे की यात्रा करनी पड़ रही है। इसके बाद भी रेल प्रशासन लगातार हो रहे दुर्घटनाओं पर कोई भी ठोस कदम नहीं उठाता है। बुधवार की सुबह रायबरेली में हुआ रेल हादसा इसका जीता जागता उदाहरण है।
इस हादसे में 7 लोगों की मौत हो गई। जबकि दो दर्जन से ज्यादा यात्री घायल हो गये। आज हुए इस बड़े रेल हादसे ने 2015 में इसी रूट पर बछरावां रेलवे स्टेशन के पास जनता एक्सप्रेस ट्रेन हादसे की याद को भी ताजा कर दी।
उस दौरान भी कुछ इसी तरह की घटना सामने आई थी। तब रेलगाड़ी का इंजन और दो डिब्बे पटरी से उतरने के बाद बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे। उस रेल हादसे में 31 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 55 से ज्यादा लोग घायल बताए गये थे।
केंद्र सरकार ने रेल हादसे के शिकार लोगों के लिए मुआवजे की घोषणा तो कर दी लेकिन भविष्य में होने वाले रेल हादसों को रोकने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की।
आज हुए रेल हादसों पर सवाल उठाते हुए लोगों का सरकार से यही कहना है कि अगर समय रहते पहले ही रेलवे के अधिकारियों ने कोई ठोस कदम उठा लिया होता तो शायद आज रायबरेली में इतना बड़ा हादसा नहीं होता।
उसे रोका जा सकता था।
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