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नये रायपुर में आबादी बसाने की चुनौती, एक लाख होनी चाहिए आबादी 

raghvendra
Published on: 13 Oct 2017 7:09 AM GMT
नये रायपुर में आबादी बसाने की चुनौती, एक लाख होनी चाहिए आबादी 
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राम शिरोमणि शुक्ल की रिपोर्ट

रायपुर: लखनऊ, पटना, दिल्ली अथवा किसी अन्य जगह पर रहते हुए नया रायपुर को लेकर किसी के दिमाग में बनने वाली आकृति कोई जरूरी नहीं कि वैसी ही हो। बाहर की दुनिया के लिए यह निश्चित रूप से चंडीगढ़ जैसी कोई छवि बनाती होगी, लेकिन वास्तव में नया रायपुर अभी आबादी के लिए तरस रहा है। एक दशक से भी ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी अभी तक इसे पर्यटन के लिहाज से ही देखा जाता है। इस अत्याधुनिक शहर में रहने के लिए कोई आसानी से तैयार नहीं हो रहा है। इसीलिए यहां नाम मात्र की आबादी ही है।

केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटी योजना और उसकी जरुरतों के लिहाज से देखा जाए तो अभी भी नया रायपुर खरा नहीं उतर रहा है। ऐसे में केंद्रीय शहरी मंत्रालय की ओर से यह सवाल उठाए जाने के बाद कि बिना आबादी बसाए स्मार्ट सिटी कैसे बनाई जा सकती है, नए सिरे से इस पर ध्यान दिया जाने लगा है। जाहिर है यह काम बहुत पहले ही कर लिया जाना चाहिए था, लेकिन अभी तक नहीं किया गया था। अब उम्मीद जताई जा रही है कि तय समय सीमा में वे सारे प्रयास कर लिए जाएंगे जिससे स्मार्ट सिटी के लिए रास्त साफ हो सके।

अब से एक साल पहले तक नया रायपुर सिर्फ देखने और घूमने की जगह के रूप में ही ज्यादा इस्तेमाल हो रहा था। सरकार की ओर से भी लोगों को यहां लाकर दिखाया जाता रहा है। यहां आबादी बढ़ाने की जरुरत अथवा मजबूरी तभी महसूस की गई जब केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय की चिट्ठी नया रायपुर विकास प्राधिकरण (एनआरडीए) को मिली।

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इस चिट्ठी में कहा गया था कि स्मार्ट सिटी के लिए नया रायपुर में कम से कम एक लाख की आबादी और नगरीय निकाय की व्यवस्था हो। मंत्रालय ने इस बारे में एनआरडीए से जवाब भी मांगा था। स्थिति यह है कि नया रायपुर में न तो आबादी है और न ही नगरीय निकाय। पंचायतें भी नहीं हैं। खान-पान तक की उपयुक्त जगहें नहीं हैं। मनोरंजन के साधनों का भी अभाव है।

मल्टीनेशनल कंपनी के माध्यम से ब्रांडिंग

इस चिट्ठी के मिलने के बाद नया रायपुर में आबादी बसाने के लिए सुनियोजित प्रयास शुरू किए गए। एनआरडीए ने एक मल्टीनेशनल कंपनी के माध्यम से ब्रांडिंग शुरू की जो सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों पर नए रायपुर का प्रमोशन करेगी। ऐसी योजना बनाकर काम किया जा रहा है जिससे आने वाले तीन वर्षों में एक लाख की आबादी बसा दी जाए।

पूरा विकास तीन चरणों में किया जाएगा। करीब पांच लाख लोगों के रहने की व्यवस्था की जाएगी। इसमें कुल क्षेत्रफल का 26.37 प्रतिशत इलाका आवासीय होगा। कार्यालयों को स्थानांतरित किए जाने के बाद अधिकारियों को भी यहीं रहना अनिवार्य बना दिया जाएगा।

विकसित होंगी अत्याधुनिक सुविधाएं

नया रायपुर में लोक परिवहन और पर्यटन को बढ़ावा देने की अत्याधुनिक सुविधाएं विकसित की जाएंगी। बीच में बसे दो गांव कयाबांधा और कोटराभाटा स्मार्ट सिटी विलेज बनाए जाएंगे। यह नया रायपुर का सेक्टर 17, 19, 20 और 21 बन रहा है। इस क्षेत्र को मुख्य सडक़ से जोडऩे के लिए छोटी ट्रेन चलाई जाएगी।

पर्यटकों को लुभाने के लिए विलेज टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाएगा। स्मार्ट सुविधाएं बढ़ाने की कोशिशों के तहत नया रायपुर विकास प्राधिकरण 2022 तक अनुमानित 16 सौ करोड़ रुपये खर्च की योजना पर काम कर रहा है।

सरकारी एजेंसियां भी सक्रिय

सरकारी एजेंसियां भी आबादी बढ़ाने के लिए काम कर रही है। इसके तहत फिलहाल नया रायपुर आने-जाने के लिए बीआरटीएस बसों की सुविधा दी जा रही है। इस दिशा में भी काम चल रहा है कि मंत्रालय या संचालनालय में काम करने वाले कर्मचारियों को नया रायपुर में ही मकान आवंटित कर दिया जाए।

एनआरडीए इस काम के अलावा सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट (सीबीडी) के कॉमॢशयल हिस्से की कुछ दुकानें और दफ्तर खोल दिए हैं। उम्मीद की जा रही है कि नये रायपुर में रोजमर्रा की जरूरतें पूरी होने लगेंगी तो वहां जाने में कर्मचारियों को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं महसूस होगी।

दिए जा रहे प्रोत्साहन

नए रायपुर में रहने वाले सरकारी कर्मचारियों को बसों में मुफ्त यात्रा समेत कई तरह के प्रोत्साहन भी दिए जा रहे हैं। यह सुविधा न लेने वालों को यात्रा भत्ता दिए जाने का भी प्रावधान किया गया है। दरअसल बहुत से कर्मचारी नए रायपुर में मकान मिलने के बावजूद रायपुर में रहते हैं और वहीं से आते-जाते हैं। उन्हें ध्यान में रखकर यह व्यवस्था बनाई गई है। वित्त विभाग के संयुक्त सचिव एसके चक्रवर्ती का आदेश बताता है कि नया रायपुर में मकान कब्जा लेने के दिन से यह आदेश लागू माना जाएगा। केंद्र सरकार से सुविधाएं व फंड लेने के लिए नया रायपुर की जनसंख्या में बढ़ोतरी जरूरी है।

काफी महंगे हैं प्लॉट

मास्टर प्लान के मुताबिक अनुमान था कि 2011 तक नये रायपुर में करीब एक लाख आबादी बस जाएगी। फिलहाल यहां 10 से 20 हजार की आबादी ही है। आबादी बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से नया रायपुर में हाउसिंग बोर्ड से लगभग 700 से 750 मकान अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए सरकारी क्वार्टर के रूप में खरीदा जाएगा जहां वे रह सकेंगे।

फिलहाल एनआरडीए अधिकारियों के समक्ष आबादी बसाना बड़ी चुनौती है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण सेक्टरों में कीमतें इतनी ज्यादा हैं कि वह किसी सामान्य व्यक्ति के क्षमता के बाहर है। सबसे सस्ते प्लॉट की कीमत भी 24 लाख रुपये है। केंद्रीय विद्यालय, निजी शिक्षण संस्थान, एम्स का नया आउटरीच सेंटर और अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं के लिहाज से भी काम किया जा रहा है। निजी कंपनियों को शॉपिंग मॉल व मल्टीप्लेक्स के लिए आकॢषत किया जा रहा है। ट्रांसपोर्ट सुविधा भी बढ़ाई जा रही है।

पहले ही हो चुका है काफी काम

जब नया राज्य छत्तीसगढ़ बना था, तब नया रायपुर की योजना में नए राज्य छत्तीसगढ़ की राजधानी प्रस्तावित थी। इस विश्वस्तरीय परियोजना में फिलहाल रायपुर से करीब 24 किलोमीटर दूर नया रायपुर बनाया गया है। इसके लिए शुरू में जमीन का अधिग्रहण किया जाना था और पक्की सडक़ों का निर्माण किया जाना था। वर्तमान में शुरुआती बहुत सारे काम किए जा चुके हैं।

वर्ष 2014 में मंत्रालय नया रायपुर में स्थानांतरिक किया जा चुका है। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम और पुरखौती मुक्तांगन भी बन चुका है। जंगल सफारी भी पिछले साल शुरू हो चुका है जो पर्यटन के लिहाज से काफी लोकप्रिय हो रहा है। नए मास्टर प्लान के मुताबिक करीब 27 फीसदी जमीन आवासीय, इतनी ही ग्रीन बेल्ट, 23 फीसदी पब्लिक सेक्टर और 11.05 फीसदी व्यावसायिक व औद्योगिक जरूरतों के लिए तय की गई थी। इंफ्रास्ट्रक्चर के लिहाज से नया रायपुर को हवाई, रेल और सडक़ मार्ग से भी जोड़ा गया है।

बसाहट के लिए पहले भी हुई हैं कोशिशें

ऐसा भी नहीं है कि नया रायपुर में आबादी बसाने की कोशिशें नहीं हुई हैं। चिट्ठी मिलने से काफी पहले से इस दिशा में काम किए जा रहे थे। यह अलग बात है कि वे परवान नहीं चढ़ रहे थे। लोगों को बसाने के लिए 40 हजार सस्ते मकान बनाने पर काम आरंभ हो चुका था। छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल ने संयुक्त रूप से गुजरात एवं भिलाई की कंपनी को फ्लैट बनाने का जिम्मा सौंपा था।

राज्य शासन ने विभिन्न सेक्टरों में फ्लैट बनाने के लिए हाउसिंग बोर्ड को 160 करोड़ रुपये की जमीन मुफ्त दी थी। मध्यम वर्ग को ध्यान में रखते हुए हाउसिंग बोर्ड निर्बल आय वर्ग और निम्न आय वर्ग के फ्लैट का निर्माण करना था। इन्हें करीब 04 से 10 तक में उपलब्ध कराया जाना था। इससे पता चलता है कि आबादी बसाने के लिए सरकार की ओर से प्रयास किए गए थे। यह अलग बात है कि इस सबके बावजूद आबादी बसाई नहीं जा सकी।

चलो चलें नया रायपुर योजना

आम लोगों को परिचित कराने और पर्यटकों को आसानी से भ्रमण कराने के लिए चलो चलें नया रायपुर योजना बीते अगस्त में शुरू की गई। इसके तहत रायपुर और अन्य स्थानों से आने-जाने वालों को वातानुकूलित बसों में नया रायपुर का भ्रमण कराना है। आरंभ में योजना के तहत सप्ताह में दो दिन शनिवार और रविवार को बसों का संचालन किया जाता है। विशेष गाइड भी उपलब्ध कराए गए हैं।

इन बसों से नया रायपुर के जंगल सफारी, पुरखौती मुक्तांगन, सेंटर पार्क, एकात्म पथ, इमॢसव डोम, सेंध जलाशय की साहसिक गतिविधियों, सत्य साईं सौभाग्यम, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, राजधानी सरोवर, मंत्रालय समेत अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर पर्यटकों को घुमाया जाता है।

योजनाएं जल्द पूरे करने के निर्देश

आबादी बसाने की कोशिशों को और तेज करने के लिए शासन स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें खुद मुख्य सचिव विवेक ढांड रुचि ले रहे हैं। ढांड ने नया रायपुर विकास प्राधिकरण की विभिन्न योजनाओं को जिम्मेदारी के साथ जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने आवासीय कॉलोनियों का निरीक्षण करने के साथ ही उन सेक्टरों को भी देखा जहां बिल्डर काम कर रहे हैं।

व्यावसायिक जरूरत पूरी करने के लिए सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट (सीबीडी) में रिटेल कॉम्प्लेक्स के निर्माण के बाबत भी जानकारी हासिल की। कारपोरेट सेक्टर को भी यहां लाने के लिए संभावनाएं तलाशने की बात कही। नॉथ ब्लॉक में सूचना आयोग, जल संसाधन विभाग, वन विभाग, स्मार्ट सिटी के लिए तैयार किए जा रहे कमांड एंड कंट्रोल सेंटर का भी निरीक्षण किया। ढांड का मानना है कि जब तक व्यवसायिक, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य मूलभूत सुविधाएं नहीं उपलब्ध होंगी, तब तक लोग क्यों रहना चाहेंगे।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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