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Rajasthan Politics: राजस्थान में वसुंधरा समर्थकों के बागी तेवर ने बढ़ाई मुसीबत, डैमेज कंट्रोल में जुटी BJP, बागियों को मनाने के लिए बनाई कमेटी

Rajasthan Politics:सूची में वसुंधरा के कई समर्थकों का पत्ता साफ हो गया है जिसे लेकर काफी नाराजगी दिख रही है। वसुंधरा के कई समर्थकों ने टिकट कटने के बाद राज्य के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 12 Oct 2023 10:46 AM IST (Updated on: 12 Oct 2023 2:04 PM IST)
Vasundhara Raje
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Vasundhara Raje  (Photo: social media )

Rajasthan Politics: राजस्थान के विधानसभा चुनाव में बागियों का तेवर भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत बनता दिख रहा है। भाजपा की पहली सूची जारी होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कई समर्थकों ने बागी तेवर अपना लिए हैं। दरअसल इस सूची में वसुंधरा के कई समर्थकों का पत्ता साफ हो गया है जिसे लेकर काफी नाराजगी दिख रही है। वसुंधरा के कई समर्थकों ने टिकट कटने के बाद राज्य के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।

हिमाचल प्रदेश के चुनाव में भी भाजपा को बागियों के कारण बड़ा सियासी नुकसान उठाना पड़ा था और अब वही स्थिति राजस्थान में भी दिख रही है। बागियों के तेवर को देखते हुए भाजपा नेतृत्व डैमेज कंट्रोल की कोशिश में जुट गया है। बागियों को मनाने के लिए कैलाश चौधरी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है। हालांकि इस कमेटी को कामयाबी मिलने की उम्मीद कम है क्योंकि बागी झुकने को तैयार नहीं दिख रहे हैं। इस कारण कांग्रेस के खिलाफ कड़े मुकाबले में फंसी भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

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भाजपा की पहली सूची में सात सांसदों को टिकट

राजस्थान के विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की ओर से सोमवार को 41 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की गई थी। इस सूची में 7 सांसदों के नाम भी शामिल हैं। इस सूची से साफ हो गया है कि टिकट बंटवारे में वसुंधरा राजे की नहीं चल सकी है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से उनके कई समर्थकों का टिकट काट दिया गया है जबकि कई क्षेत्रों में उनके धुर विरोधी प्रत्याशियों को चुनावी अखाड़े में उतारा गया है। भाजपा की पहली सूची में वसुंधरा राजे का नाम भी शामिल नहीं है।




वसुंधरा समर्थकों का बागी तेवर

पार्टी नेतृत्व के फैसले के खिलाफ कई क्षेत्रों में वसुंधरा समर्थकों ने बागी तेवर अपना लिया है। भरतपुर जिले में नगर सीट की पूर्व विधायक अनिता सिंह गुर्जर ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। गुर्जर को वसुंधरा समर्थक माना जाता है। बानसूर में वसुंधरा समर्थक पूर्व मंत्री रोहिताश्व शर्मा ने भी बगावत कर दी है। जयपुर ग्रामीण में वसुंधरा समर्थक जितेंद्र मीणा ने निर्दलीय चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं। बरसी में पूर्व विधायक कन्हैया लाल मीणा ने समर्थकों से चर्चा के बाद आगे की रणनीति अपनाने का ऐलान किया है।

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वसुंधरा समर्थक राजवी का तीखा हमला

राजस्थान के दिग्गज नेता रहे भैरों सिंह शेखावत के दामाद और विधायक नरपत सिंह राजवी भी टिकट काटने से बेहद नाराज हैं। राजवी को भी वसुंधरा समर्थक माना जाता है। पार्टी ने इस बार जयपुर की विद्याधरनगर सीट से राजवी का टिकट काटकर सांसद दीया कुमारी को चुनावी अखाड़े में उतारा है। दीया कुमारी को टिकट दिए जाने के ऐलान के बाद राजवी ने उन पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि मुगलों के सामने घुटने टेकने वालों पर भाजपा इतनी मेहरबान क्यों दिख रही है। उनके इस बयान के बाद काफी बवाल मच गया। बवाल मचने के बाद राजवी ने अपने बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किए जाने की बात कही।



वसुंधरा समर्थकों के बागी तेवर से भाजपा हाईकमान कितना परेशान है,इसका पता इसी से लगता है कि प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह खुद राजवी को मनाने के लिए उनके घर पर पहुंच गए। अरुण सिंह से बातचीत के बाद राजवी के तेवर नरम पड़े हैं मगर उन्होंने समर्थकों से चर्चा के बाद आगे की रणनीति का ऐलान करने की बात कही है।

धुर विरोधियों को चुनाव मैदान में उतारा

भाजपा की पहली सूची से साफ हो गया है कि पार्टी ने जहां वसुंधरा समर्थकों के टिकट काट दिए हैं,वहीं उनके धुर विरोधियों को चुनावी मैदान में उतार दिया है। सीएम पद की दावेदार मानी जा रही वसुंधरा की धुर विरोधी सांसद दीया कुमारी को जयपुर की विद्याधरनगर सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया है। मजे की बात यह है कि वसुंधरा समर्थक नरपत सिंह राजवी का टिकट काटकर दीया कुमारी को विद्याधरनगर से चुनाव मैदान में उतारा गया है। दीया कुमारी का ताल्लुक भी राजघराने से है। वे जयपुर के महाराजा सवाई सिंह और महारानी पद्मिनी देवी की बेटी हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि वसुंधरा की काट के लिए दीया कुमारी को तैयार किया जा रहा है।



सवाई माधोपुर से पार्टी के सांसद किरोड़ी लाल मीणा को भी चुनाव मैदान में उतारा गया है। मीणा को भी वसुंधरा का धुर विरोधी माना जाता रहा है। राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को टिकट देकर पार्टी नेतृत्व ने वसुंधरा विरोधियों का एक पूरा मंच तैयार कर दिया है। जानकारों का कहना है कि बीजेपी के सत्ता में आने की स्थिति में ये सारे नेता मिलकर वसुंधरा के खिलाफ बड़ा मोर्चा खोल सकते हैं।

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भाजपा नेतृत्व की क्यों बढ़ गई चिंता

अब सबकी निगाहें भाजपा की दूसरी सूची पर लगी हुई हैं। दूसरी सूची में वसुंधरा समर्थकों की आस पूरी नहीं हुई तो उनके तेवर और कड़े हो सकते हैं। राजस्थान के सियासी अखाड़े में वसुंधरा समर्थकों का यह तेवर भाजपा के लिए भारी पड़ सकता है। इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच पिछले चुनावों की तरह कड़ा मुकाबला माना जा रहा है।

बागियों के चुनाव मैदान में उतरने से भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगनी तय मानी जा रही है और यह भाजपा के लिए काफी नुकसानदेह स्थापित हो सकता है। यही कारण है कि वसुंधरा समर्थकों के तेवर से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की चिंताएं बढ़ गई है।

Monika

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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