Rajasthan Politics: गहलोत-पायलट के बीच सुलह से भाजपा की चुनौतियां बढ़ी, अब राजस्थान में पार्टी को बदलनी होगी रणनीति

Rajasthan Politics: सचिन पायलट ने सीएम अशोक गहलोत को पूरी इज्जत और सम्मान देते हुए मतभेद भुलाने की बात कही है। पायलट के इस बयान से साफ हो गया है कि कांग्रेस पूरी एकजुटता के साथ इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में उतरेगी।

Anshuman Tiwari
Published on: 9 July 2023 4:52 AM GMT (Updated on: 9 July 2023 4:53 AM GMT)
Rajasthan Politics: गहलोत-पायलट के बीच सुलह से भाजपा की चुनौतियां बढ़ी, अब राजस्थान में पार्टी को बदलनी होगी रणनीति
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सचिन पायलट और सीएम अशोक गहलोत ( सोेशल मीडिया)
Rajasthan Politics: राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच एकजुटता की शीर्ष नेतृत्व की पहल का बड़ा असर दिख सकता है। कांग्रेस ने राज्य में बगैर सीएम फेस के चुनाव लड़ने का फैसला किया है। माना जा रहा है कि पायलट की वजह से पार्टी नेतृत्व ने यह फैसला किया है। राजधानी दिल्ली में राजस्थान को लेकर हाल में हुई बड़ी बैठक के बाद पायलट भी भूलो,माफ करो और आगे बढ़ो की रणनीति पर चलते हुए दिख रहे हैं। उन्होंने अपने ताजा बयान में गहलोत को पूरी इज्जत और सम्मान देते हुए मतभेद भुलाने की बात कही है।

पायलट के इस बयान से साफ हो गया है कि कांग्रेस पूरी एकजुटता के साथ इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में उतरेगी। गहलोत और पायलट के बीच विवाद सुलझने का राजस्थान की सियासत में बड़ा असर दिख सकता है। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के इस कदम से भाजपा की चुनौतियां बढ़ गई हैं। भाजपा अभी तक कांग्रेस में चल रही खींचतान का सियासी फायदा उठाने की कोशिश में जुटी हुई थी मगर अब उसे बदली हुई रणनीति के साथ कांग्रेस से दो-दो हाथ करना होगा।

दिल्ली बैठक का दिखने लगा नतीजा

दरअसल राजस्थान कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच लंबे समय से विवाद चलता रहा है। दोनों नेता कई मौकों पर एक-दूसरे के खिलाफ खुलकर तो कई मौकों पर इशारों में हमला करते रहे हैं। राजस्थान कांग्रेस का विवाद सुलझाने के लिए दिल्ली में पार्टी नेतृत्व की ओर से पहले भी बैठक की गई थी मगर उसका कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकल सका था। पार्टी में चल रही खींचतान से चिंतित शीर्ष नेतृत्व की ओर से हाल में राजस्थान को लेकर फिर बैठक की गई थी।

इस बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा समेत प्रदेश कांग्रेस से जुड़े लगभग सभी बड़े नेताओं ने हिस्सा लिया था। हालांकि पैर में फ्रैक्चर होने के कारण अशोक गहलोत इस बैठक में शामिल नहीं हो सके थे मगर वे वर्चुअल ढंग से इस विचार विमर्श की प्रक्रिया में शामिल थे। इस बैठक के बाद सचिन पायलट के तेवर नरम पड़ते हुए दिख रहे हैं।

अब नरम पड़े पायलट के तेवर

पायलट ने शनिवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में सामूहिक नेतृत्व ही मजबूती के साथ चुनाव लड़ने का एकमात्र रास्ता है। पायलट ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मुझसे भूलो,माफ करो और आगे बढ़ो की रणनीति पर अमल करने को कहा है। खड़गे ने इस सुझाव के साथ ही पार्टी अध्यक्ष के रूप में सभी को एकजुटता का निर्देश भी दिया है।

इस बैठक के बाद पायलट भी तेवर बदलते हुए दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि गहलोत मुझसे उम्र में बड़े हैं और उनके पास मुझसे ज्यादा अनुभव भी है। पायलट ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष के रूप में मैंने राजस्थान में सबको साथ लेकर चलने का प्रयास किया था और अब मुख्यमंत्री के रूप में सबको साथ लेकर चलने की जिम्मेदारी अशोक गहलोत के कंधों पर है।

भूमिका पर फैसला हाईकमान लेगा

पायलट का कहना है कि राजस्थान में किसी भी व्यक्ति की ओर से यह दावा नहीं किया जा सकता कि वह चुनाव जीतने का जादू कर सकता है। 2018 के विधानसभा चुनाव में हम सभी मिलकर लड़े थे और इस कारण नतीजा भी कांग्रेस के पक्ष में आया और कांग्रेस बड़ी जीत हासिल करने में कामयाब रही। विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री के चेहरे से जुड़े सवाल पर पायलट ने कहा कि लंबे समय से कांग्रेस में यह परंपरा रही है कि चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद का फैसला किया जाता है।

पार्टी दशकों से मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित न करने की रणनीति पर चल रही है। विधानसभा चुनाव के दौरान अपनी भूमिका से जुड़े सवाल पर पायलट ने कहा कि मेरी भूमिका के संबंध में पार्टी हाईकमान को फैसला लेना है। राजस्थान का चुनाव जीतने के लिए जो भी संभव होगा, वह किया जाएगा।

कांग्रेस में एका का दिखेगा बड़ा असर

पायलट के ताजा बयान से साफ हो गया है कि राजस्थान का संकट सुलझाने में पार्टी नेतृत्व को काफी हद तक कामयाबी मिली है। राज्य के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने भी पूरी ताकत लगा रखी है। भाजपा अभी तक गहलोत और पायलट के बीच पैदा हुए विवाद का सियासी लाभ पाने की कोशिश में जुटी हुई थी। पार्टी नेताओं की ओर से अपने भाषणों में कांग्रेस नेताओं के बीच मतभेद के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाता रहा है।

वैसे अब राज्य के सियासी हालात बदलते हुए नजर आ रहे हैं। कांग्रेस में एका होने से भाजपा की चुनौतियां बढ़ गई हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि अगर राजस्थान कांग्रेस में ऐसा ही माहौल बना रहा तो राज्य में भाजपा की चुनौतियां बढ़ जाएंगी। भाजपा को बदली हुई रणनीति के साथ कांग्रेस पर हमला करना होगा।

इसकी झलक भी दिखने शुरू हो गई है। शनिवार को बीकानेर की चुनावी सभा में प्रधानमंत्री मोदी ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर गहलोत की सरकार को घेरने का प्रयास किया। उनका कहना था कि दिल्ली की ओर से भेजी गई मदद पर राजस्थान में कांग्रेस का पंजा झपट्टा मार लेता है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में भाजपा की ओर से गहलोत पर और तीखे हमले किए जाएंगे।

Anshuman Tiwari

Anshuman Tiwari

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