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राजस्थान के राज्यपाल कलराज ने खुद किया था ये काम, तब ये था मामला

लेकिन क्या आपको पता है कि जो घटनारक्रम आज कल राजस्थान में हो रहा है। वो अब से करीब ढाई दशक पहले देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भी हो चुका है।

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Published on: 28 July 2020 10:29 AM GMT
राजस्थान के राज्यपाल कलराज ने खुद किया था ये काम, तब ये था मामला
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राजस्थान में सियासी घटनारक्रम लगातार जाारी है। अब मामला अशोक गहलोत और सचिन पायलट की जगह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र के बीच का हो गया है। अशोक गहलोत विधानसभा सत्र के जरिए सचिन पायलट खेमे को सियासी मात देना चाहते थे। जिसके लिए सीएम गहलोत अपनी सरकार के लिए विश्वासमत हासिल करने की रणनीति के तहत विधानसभा सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल कलराज मिश्र से गुहार लगाई, लेकिन राज्यपाल राजी नहीं है। इसके बाद राजभवन के घेराव की चेतावनी और यहां धरना देकर गहलोत ने राजभवन से ही टकराव मोल ले लिया।

25 साल पहले कलराज मिश्र ने भी किया था गहलोत वाला काम

लेकिन क्या आपको पता है कि जो घटनारक्रम आज कल राजस्थान में हो रहा है। वो अब से करीब ढाई दशक पहले देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भी हो चुका है। और ये जानकर आपको और भी हैरानी होगी कि उस समय भी उस घटनारक्रम के मुख्य केंद्र कलराज मिश्र ही थे। जो इस समय अब राजस्थान के घटनारक्रम में भी राज्यपाल होने के नाते मुख्य केंद्र में आ गए हैं। शोक गहलोत की तरह ही 25 साल पहले यूपी के राजभवन में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए कलराज मिश्रा ने धरना देकर राज्यपाल से सरकार को भंग करने की मांग की थी।

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उत्तर प्रदेश में 1993 में सपा-बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था और बीजेपी का सफाया कर दिया था। मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने थे। सरकार बनने के दो साल के बाद सपा-बसपा गठबंधन में दरार पड़ने लगी थी। ऐसे में कांशीराम ने मायावती को उत्तर प्रदेश में बसपा नेताओं के साथ बैठक करने के लिए भेजा था।

धरने के बाद मायावती बनीं मुख्यमंत्री

मायावती 2 जून 1995 को दोपहर में बसपा नेताओं और विधायकों के साथ लखनऊ के वीआईपी गेस्टहाउस में बैठक कर रही थी। इस बात की चर्चा तेज हो गई थी कि मायावती सपा के समर्थन वापस ले सकती है। इस बात की भनक लगते ही सपा के कुछ नेता गेस्ट हाउस पहुंच गए और उन्होंने बसपा विधायकों को उठाना शुरू कर दिया। जिसके बाद मायावती ने अपने नेताओं के साथ एक कमरे में खुद को बंद कर लिया। लखनऊ की वरिष्ठ पत्रकार अमिता वर्मा बताती हैं कि गेस्टहाउस कांड की खबर बीजेपी नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी को लगी। उन्होंने गेस्टहाउस पहुंचे और बाकी पार्टी के नेता भी सक्रिय हो गए।

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कलराज मिश्र उस समय बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष थे। 2 जून 1995 की शाम होते-होते कलराज मिश्र बीजेपी नेताओं के साथ राजभवन पहुंच गए और राज्यपाल मोतीलाल वोरा का घेराव कर मुलायम सरकार को बर्खास्त करने की मांग करने लगे। कलराज मिश्रा ने बीजेपी नेताओं के साथ धरने पर बैठे थे। कलराज मिश्र बीजेपी नेताओं के साथ काफी देर रात तक राजभवन में धरने पर बैठे रहे थे। उस वक्त केंद्र में नरसिम्हा राव की सरकार थी, जो किसी भी फैसले को बहुत विचार-विमर्श करने के बाद ही करती थी। इसीलिए तत्कालीन राज्यपाल मोतीलाल वोरा को फैसले लेने में काफी देर हो रही थी और 3 जून 1995 को राज्यपाल ने मुलायम सरकार को बर्खास्त किया। जिसके बाद मायावती बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बनी।

अटल बिहारी बाजपेयी भी दे चुके हैं धरना

कलराज मिश्र ही नहीं बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी राज्यपाल के खिलाफ धरने पर उत्तर प्रदेश में बैठ चुके हैं। अमिता वर्मा बताती हैं कि 1998 में भी बीजेपी नेता राजभवन का घेराव कर चुके हैं। 1998 में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रोमेश भंडारी थे और उन्होंने तत्कालीन कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त करके जगदम्बिका पाल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला थी। हालांकि, जगदम्बिका पाल महज एक दिन के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रह सके थे। अमिता कहती हैं कि इस राजनीतिक घटनाक्रम ने बीजेपी को अंदर तक हिला दिया था।

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इस बात की खबर पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को लगी। वो उस समय लखनऊ के दौरे पर थे और वीआईपी गेस्ट हाउस में ही रुके थे। राज्यपाल रोमेश भंडारी के खिलाफ वाजपेयी राजभवन धरने पर आ रहे थे। लेकिन बाद में वो गेस्टहाउस में ही धरने पर बैठ गए थे। हालांकि, राज्यपाल ने दूसरे दिन ही जगदम्बिका पाल को हटा दिया था और कल्याण सिंह ही सत्ता पर बने रहे।

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