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कौन है 2 दिन में 26 फ्लैट्स खरीदने वाली ऑफिसर ज्योति भारद्वाज? CM गहलोत की 'धनकुबेर अधिकारी' ने मचा दिया हड़कंप
Jyoti Bhardwaj News: राजस्थान की गहलोत सरकार के सचिवालय में वित्तीय सलाहकार के रूप में कार्यरत ज्योति भारद्वाज ने अपनी संपत्ति में इन 26 फ्लैट्स का कोई जिक्र नहीं किया। सरकार को दिए ब्यौरे में सिर्फ तीन मकान बताए हैं।
Jyoti Bhardwaj News: राजस्थान विधानसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ा है। राज्य की अशोक गहलोत सरकार (Ashok Gehlot government) भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के भले ही दावे करती रही हो, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है। मुख्यमंत्री गहलोत की सरकार के खिलाफ बीजेपी करप्शन के लगातार आरोप लगाती रही है। इस बीच, एक ऐसी सनसनीखेज खबर आई है, जो बीजेपी के उन आरोपों को पुख्ता करती नजर आ रही है।
ताजा मामला जयपुर सचिवालय (Jaipur Secretariat) में तैनात वित्तीय सलाहकार के बड़े भ्रष्टाचार से जुड़ा है। यहां की एक महिला अधिकारी का आय से अधिक संपत्ति का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। दरअसल, जयपुर सचिवालय में वित्तीय सलाहकार पद पर तैनात ज्योति भारद्वाज (Jyoti Bhardwaj) ने महज 2 दिन में ही 5 करोड़ रुपए कीमत के 26 फ्लैट खरीद लिए।
ज्योति भारद्वाज ने 15 फ़्लैट अपने नाम से लिए
इस पूरे मामले में चौंकाने वाली बात ये रही कि उच्च पद पर काबिज महिला अधिकारी ज्योति भारद्वाज (Jyoti Bhardwaj Rajasthan) ने 15 फ्लैट स्वयं के नाम और 11 फ्लैट अपने बेटे रोशन वशिष्ठ (Roshan Vashishtha) के नाम से दो दिन में ही रजिस्ट्री करवाई। रजिस्ट्री में जल्दबाजी का आलम ये रहा कि अधिकारियों से सांठगांठ कर 48 घंटे के भीतर ही महिला अधिकारी ने दस्तावेजी कार्य पूरे कर लिए।
परत दर परत कई चौंकाने वाले खुलासे
वहीं, अब ये बात भी सामने आई है कि, फ्लैटों की रजिस्ट्री में ज्योति भारद्वाज (Jyoti Bhardwaj News) ने जो चेक दिए, उन्हें आज डेढ़ साल बाद भी बैंक से कैश नहीं करवाया गया। इन सबसे बड़ी बात ये है कि अधिकारियों-कर्मचारियों द्वारा राज्य सरकार (state government) को हर साल दिए जाने वाले अपने संपत्ति के ब्यौरे में भी ज्योति भारद्वाज ने इन फ्लैट्स का कोई जिक्र नहीं किया। मतलब उन्होंने इन फ्लैट्स की जानकारी सरकार से छुपा ली। राजस्थान सरकार को दिए विवरण में महिला अधिकारी ज्योति भारद्वाज ने सिर्फ 3 मकान का जिक्र किया। इनमें से एक मकान पति द्वारा लोन तथा दूसरे दो मकान पर खुद के लोन से लेना बताया गया है।
एक झटके में ख़रीदे 26 फ्लैट्स
सोचिए जहां एक सामान्य आदमी अपने लिए आशियान तैयार करने या खरीदने में जीवन भर की जमा पूंजी लगा देता है। वहां ये मोहतरमा एक झटके में एक-दो नहीं 26 फ़्लैट खरीद लेती हैं। सभी 26 फ्लैट्स की रजिस्ट्री जयपुर के मानसरोवर सब रजिस्ट्रार कार्यालय में हुई। बताया जा रहा है कि इन फ्लैटों की कीमत 4.71 करोड़ रुपए है। रजिस्ट्री में स्टांप ड्यूटी के तौर पर करीब 30 लाख रुपए चुकाए गए हैं।
कौन है ज्योति भारद्वाज?
अब आपके मन में सजह सवाल उठना लाजमी है कि ज्योति भारद्वाज हैं कौन? तो आपको बता दें, ज्योति भारद्वाज फिलहाल शासन सचिवालय जयपुर में कार्मिक विभाग के स्टोर डिपार्टमेंट में सामान खरीदने की प्रभारी अधिकारी के तौर पर वित्तीय सलाहकार (Financial Advisor) के पद पर तैनात हैं। ज्योति अलवर में भी काफी समय तक जिला कोषाधिकारी और मत्स्य यूनिवर्सिटी में वित्तीय नियंत्रक के पद पर रह चुकी हैं। ये सभी पद मलाईदार माने जाते हैं।
डेढ़ साल बाद भी चेक भुनाया नहीं गया
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सभी 26 फ्लैट मानसरोवर लिंक रोड के जेडीए मार्केट स्थित बोनी बिल्डटेक के डायरेक्टर अजय सिंह से खरीदे गए। इन सभी फ्लैट को खरीदने में किसी प्रकार का कोई लोन नहीं लिया गया। मगर, अहम सवाल ये उठता है कि करीब 5 करोड़ रुपए का पेमेंट कहां से आया? जानकारी में ये भी सामने आया है कि बिल्डर को दिए गए चेक डेढ़ साल बाद भी बैंक से भुनाया नहीं गया।
'सभी चेक बाउंस हो गए'
ये पता चला है कि, सभी चेक DLC रेट पर दिए गए। जबकि इन फ्लैट्स की वास्तविक बाजार कीमत कई गुना अधिक है। बोनी बिल्डर के निदेशक अजय सिंह से जब बाबत पूछा गया तो उन्होंने बताया, हमारे साथ फ्रॉड हुआ है। ये मामला अभी अदालत में विचाराधीन है। उनके अनुसार ज्योति भारद्वाज द्वारा दिए गए सभी चेक बाउंस हो गए हैं।
ज्योति को नोटिस भेजने की तैयारी, FIR पर चुप्पी
वहीं, इस मामले के सामने आने से राजस्थान के सरकारी अमले में हड़कंप मचा है। लेखा और कार्मिक विभाग (Accounts and Personnel Department) इस बात की जांच कर रहा है कि सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों की ओर से हर वर्ष दिए जाने वाले संपत्ति विवरण में ज्योति भारद्वाज ने 26 फ्लैट खरीदने की जानकारी क्यों नहीं दी? अब ज्योति को विभाग द्वारा नोटिस देने की तैयारी की जा रही है। लेकिन, सवाल ये उठ रहा है कि ज्योति भारद्वाज के खिलाफ अभी तक विभाग ने FIR क्यों नहीं दर्ज करवाई?