Rajasthan Politics: कौन हैं राजेंद्र गुढ़ा, जिन्होंने अशोक गहलोत के लिए मायावती को दिया था बड़ा झटका

Rajasthan Politics: दलित समुदाय से आने वाले राजेंद्र गुढ़ा दो बार के विधायक हैं। 2008 में चुनावी राजनीति में कदम रखने वाले गुढ़ा ने तीन बार विधानसभा चुनाव में अपना किस्मत आजमाया, जिसमें दो बार उन्हें सफलता मिली।

Krishna Chaudhary
Published on: 22 July 2023 6:21 AM GMT
Rajasthan Politics: कौन हैं राजेंद्र गुढ़ा, जिन्होंने अशोक गहलोत के लिए मायावती को दिया था बड़ा झटका
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राजेंद्र गुढ़ा (photo: social media )

Rajasthan Politics: शुक्रवार का दिन राजस्थान की सियासत में कांग्रेस को बेहद असहज करने वाला रहा। मणिपुर में महिलाओं के साथ हुई दरिंदगी की घटना को लेकर पार्टी राजस्थान विधानसभा में भी विरोध कर रही थी। कांग्रेस विधायक तख्तियां लेकर सदन में दाखिल हुए थे, हंगामे के बीच कुछ ऐसा हुआ कि सत्ताधारी दल ने इसकी कल्पना भी नहीं की होगी। सरकार के एक मंत्री ने प्रदर्शन के बीच अपनी ही सरकार पर सवाल उठा दिया। उन्होंने कहा कि सरकार राज्य में महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने में असफल रही।

ये बयान देकर राजस्थान की राजनीति में भूचाल लाने वाले राजेंद्र गुढ़ा शुक्रवार शाम तक गहलोत मंत्रिमंडल में पंचायती राज और ग्रामीण विकास राज्यमंत्री का दायित्व संभाल रहे थे। लेकिन रात होते-होते उन्हें सरकार से बेदखल कर दिया गया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अनुशंसा पर राज्यपाल कलराज मिश्रा ने राजेंद्र गुढ़ा की बर्खास्तगी को मंजूरी दे दी। गुढ़ा राजस्थान की राजनीति के दिलचस्प किरदारों में से एक हैं। तो आइए एक नजर उनपर डालते हैं।

कौन हैं राजेंद्र गुढ़ा ?

दलित समुदाय से आने वाले राजेंद्र गुढ़ा दो बार के विधायक हैं। 2008 में चुनावी राजनीति में कदम रखने वाले गुढ़ा ने तीन बार विधानसभा चुनाव में अपना किस्मत आजमाया, जिसमें दो बार उन्हें सफलता मिली। वर्तमान में वे झुंझुनूं जिले की उदयपुरवाटी विधानसभा सीट से विधायक हैं। गुढ़ा को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबियों में गिना जाता था। उन्होंने राज्य में दो बार उनके नेतृत्व में बनने वाली कांग्रेस सरकार को स्थायित्व प्रदान करने में अपनी भूमिका अदा की।

साल 2008 और 2018 में जब कांग्रेस राजस्थान में विधानसभा चुनाव के नतीजों में स्पष्ट बहुमत के आंकड़े से पीछे रह गई, तब गुढ़ा ही अशोक गहलोत की मदद को आगे आए। गुढ़ा ने इसके लिए बीएसपी सुप्रीमो मायावती को भी धोखा देने से परेहज नहीं किया। राजस्थान में पूरी की पूरी बीएसपी के साथ वे सरकार में शामिल हो गए। 2008 में राजस्थान में उनके अलावा पांच और विधायक बीएसपी के जीते थे। सभी बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए। अशोक गहलोत ने इसके लिए गुढ़ा को पुरस्कृत भी किया और मंत्री बना दिया।

2018 में राजेंद्र गुढ़ा फिर से बसपा के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए। उनके अलावा चार अन्य बीएसटी के टिकट पर विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे। दस साल बाद गुढ़ा ने एक फिर मायावती को दगा देते हुए उनके इच्छा के विपरीत जाते हुए सभी बीएसपी विधायकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए। सीएम अशोक गहलोत ने इसबार फिर पुरस्कृत करते हुए उन्हें मंत्रिमंडल में जगह दी थी।

गहलोत के कैंप से निकलकर पायलट के खेमे में पहुंचे

राजस्थान की राजनीति में सीएम अशोक गहलोत के करीबी के तौर पर देखे जाने वाले राजेंद्र गुढ़ा का उनसे से जल्द मोहभंग हो गया था। बताया जाता है कि सरकार में कम दखल और मलाईदार विभाग न मिलने से वो नाराज थे। इसलिए उन्होंने गहलोत विरोधी खेमा यानी सचिन पायलट कैंप में शामिल हो गई और जमकर सरकार में रहते हुए गहलोत के खिलाफ बयानबाजी की। बताया जाता है कि अशोक गहलोत उन्हें बेदखल करने के लिए बेकरार थे लेकिन कोई ठोस वजह नहीं मिल रही थी। शुक्रवार को आखिरकार उन्हें वो वजह मिल ही गई और उन्होंने आलाकमान से बात कर गुढ़ा को बाहर का रास्ता दिखा दिया।

बीएसपी ने भी अपने दरवाजे किए बंद

राजस्थान की चुनावी राजनीति में पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा को सफलता बहुजन समाज पार्टी से ही मिली। उन्होंने अब तक तीन बार चुनाव लड़ा है। दो बार 2008 और 2018 में वो बीएसपी के टिकट पर जीतने में सफल रहे लेकिन 2013 में उन्हें कांग्रेस के टिकट पर हार का सामना करना पड़ा था। 2008 में जब उन्होंने बीएसपी छोड़ी थी, तब उन्होंने मायावती पर टिकट बेचने का आरोप लगाया था। 2018 में भी उन्होंने बसपा सुप्रीमो के लिए काफी तल्ख तेवर अपनाए थे। ऐसे में बीएसपी ने इसबार उनके लिए दरवाजे बंद कर लिए हैं।

राजस्थान के बसपा प्रमुख भगवान सिंह बाबा ने कहा कि राजेंद्र सिंह गुढ़ा की घर वापसी नहीं होगी। उन्होंने दो बार पार्टी के साथ विश्वासघात किया है। भगवान सिंह ने कहा कि गुढ़ा के अलावा उन पांच विधायकों को भी पार्टी में नहीं आने दिया जाएगा, जिन्होंने धोखा दिया है।

बता दें कि पिछले दिनों जयपुर में राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने एआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी से मुलाकात की थी। ऐसे में सियासी हलकों में अटकलें हैं कि कांग्रेस से बेदखल और बीएसपी द्वारा अपने दरवाजे बंद किए जाने के बाद गुढ़ा ओवैसी की पार्टी या निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। राज्य में अगले तीन महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं।

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