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जल जीवन मिशन: राजस्थान को इस वर्ष 2,522 करोड़ रुपए आबंटित, 21 लाख नल कनेक्शन देने का लक्ष्य

राजस्थान के कई इलाकों में महिलाओं के दिन की शुरुआत पानी लाने से ही होती है और पूरा दिन उनका उसी पानी को बूंद-बूंद इस्तेमाल करने में बीतता है।

Newstrack
Published on: 29 July 2020 1:52 AM IST
जल जीवन मिशन: राजस्थान को इस वर्ष 2,522 करोड़ रुपए आबंटित, 21 लाख नल कनेक्शन देने का लक्ष्य
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जल जीवन मिशन: राजस्थान को इस वर्ष 2,522 करोड़ रुपए आबंटित, 21 लाख नल कनेक्शन देने का लक्ष्य

राजस्थान की चिलचिलाती धूप और बेहद दुर्गम स्थानों पर पैदल चलकर पानी लाना!!

ये है महिलाओं के दिन की शुरुआत और उनकी जीवन शैली का सार। राजस्थान के कई इलाकों में महिलाओं के दिन की शुरुआत पानी लाने से ही होती है और पूरा दिन उनका उसी पानी को बूंद-बूंद इस्तेमाल करने में बीतता है। यानि, महिलाएं अपने दिन के कई घंटे पानी की जद्दो-जहद में ही गुजार देती हैं। पर अब जल जीवन मिशन योजना इन महिलाओं को एक अच्छा जीवन स्तर प्रदान करने के लिए प्रयासरत है। जल जीवन मिशन के तहत पूरे देश में नल से जल पहुंचाऩे की महत्वाकांक्षी योजना पर काम किया गया है, स्वाभाविक है कि दीर्घकालिक जल जीवन मिशन से राजस्थान के लोगों को बहुत उम्मीद है। इस योजना से देश के ग्रामीण इलाकों में माँ व बहिनों के जीवन के कठिन श्रम को कम करने की कोशिश की जा रही है।

जल जीवन मिशन सिर्फ योजना नहीं है बल्कि सही अर्थों में गांधी जी के ग्राम स्वराज की मूल धारणा का का एक बड़ा उदाहरण है। इस योजना में केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर लोगों की जिंदगी में सुगमता लाने का प्रयास कर रही हैं। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि साल 2023-24 तक हर घर तक नल से जल पहुंचाया जाए। लेकिन राजस्थान के 1.01 करोड़ ग्रामीण परिवारों में सिर्फ 1 लाख 28 हजार परिवारों को ही अब तक नल का कनेक्शन मिल सका है। राजस्थान सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में करीब 21 लाख (20.70 लाख) परिवारों तक कनेक्शन पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।

इस काम में राजस्थान सरकार के पास पैसों की भी कमी नहीं है। साल 2019-20 में केंद्र सरकार ने 1,051 करोड़ रुपए राजस्थान सरकार को रिलीज किए गए जिसमें 468 करोड़ रुपए अभी तक खर्च नहीं हो सके हैं। इसी तरह फ्लोराइड अथवा आर्सेनिक प्रभावित सभी बसावटों तक पीने योग्य पानी पहुंचाने की मद के लिए रिलीज किए गए 1,145 करोड़ रुपये में से 389 करोड़ रुपये भी अभी खर्च नहीं हो सके हैं। इस साल राजस्थान सरकार को आबंटन करते हुए 2,522 करोड़ रुपए आवंटित किए गये हैं। यानी पिछले साल की शेष राशि और इस बार के बढ़े हुए आवंटन के बाद करीब साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए (3,517 करोड़ रुपए) केंद्र सरकार की तरफ से जल से नल पहुंचाने की मद के लिए राज्य सरकार के पास उपलब्ध हैं। राज्य के अंश को मिला लें तो इस वित्तीय वर्ष में राजस्थान सरकार के पास जलजीवन मिशन के जरिए हर ग्रामीण परिवार तक नल से जल पहुंचाने के लिए सात हजार करोड़ रुपए से ज्यादा (7,090) का फंड है। इसके अलावा केंद्र सरकार जल जीवन मिशन के तहत अच्छी कार्य कुशलता दिखाने पर परफार्मेंस बेस्ड इंसेंटिव भी देती है, ऐसे में अतिरिक्त फंड की भी कोई कमी नहीं है।

जल जीवन मिशन के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए भारत सरकार, राज्य सरकारों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है। राजस्थान के कुल गांवों यानी 43,304 में से करीब 50 प्रतिशत यानी 24 हजार से ज्यादा (24,436) गांवों में जल आपूर्ति प्रणाली है। लेकिन इन गांवों में सिर्फ 12 लाख 70 परिवार ऐसे हैं जिनके पास नल का कनेक्शन है। ऐसे में 50 लाख परिवारों को कनेक्शन दिए जाने हैं और राज्य सरकार को मिशन मोड पर काम करके इन 50 लाख परिवारों को 4 से 6 महीने में ही पाइप लाइन से पानी पहुंचाने के लिए योजना बनानी होगी। जिन परिवारों को नल का कनेक्शन नहीं मिल सका है उनमें से अधिकांश परिवार समाज के सीमांत वर्ग यानी गरीब अनुसूचित जाति वर्ग के हैं। इस योजना में आकांक्षी जिलों, अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जन जाति बाहुल्य गांवों, बस्तियों, सांसद आदर्श ग्राम योजना के गांवों को प्राथमिकता दिए जाने की आवश्यकता है।

राज्य सरकार की योजना फ्लोराइड प्रभावित सभी 3,746 बसावटों के हर परिवार को इसी साल दिसंबर तक नल से जल पहुंचाने की है। इसके लिए 8 से 10 एलपीसीडी की दर से पीने और खाना बनाने योग्य पानी हेतु सामुदायिक जल शोधन यंत्र लगाए जाने हैं। जल जीवन मिशन का जोर पानी की गुणवत्ता की जांच पर भी है। हर गांव के कार्यकर्ताओं खासकर महिलाओं को इसके लिए ट्रेनिंग दिए जाने की योजना है। पेयजल के गुणवत्ता परीक्षण में, हर स्त्रोत का साल में एक बार रसायनिक एवं दो बार जैविक परीक्षण किया जाना है। राज्यों से भी अपेक्षा की गई है कि वो साधारण जन की पहुंच वाले पानी की गुणवत्ता जांचने वाले लैब खोलें।

राजस्थान सरकार को 15 वें वित्त आयोग अनुदान के तौर पर पंचायती राज संस्थानों हेतु 3,862 करोड़ रुपए आवंटित किए गये हैं जिसमें 50 प्रतिशत राशि जल आपूर्ति और स्वच्छता पर खर्च की जानी है। राज्य सरकार को मनरेगा, स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण, डिस्ट्रिक मिनरल फंड, कैंपा और सीएसआर जैसे तमाम फंड को एकीकृत कर जल स्त्रोतों को सुदृढ़ बनाकर जल सुरक्षा को सुनिश्चित करते हुए उनके रखरखाव और संचालन की व्यवस्था भी करनी है।

जल जीवन मिशन सिर्फ पानी ही नहीं अपितु अवसरों को भी उत्पन्न करेगा। हर ग्रामीण घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए राजमिस्त्री, प्लंबिंग, फिटिंग, बिजली का काम करने वाले कार्यकुशल कामगारों की जरुरत होगी। कोविड 19 महामारी की स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार को जल आपूर्ति और जल संरक्षण से जुड़े काम तुरंत शुरु करने होंगे जिससे गांव में रहने वाले परिवारों को पीने योग्य जल नल के मिल सके व कामगारों को काम मिल सकेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी तेजी आएगी।

जल जीवन मिशन का क्रियान्वयन जन भागीदारी को ध्यान में रख कर अमल किया जा रहा है ज़िससे यह ग्रामवासियों के लिए खुशी का माध्यम बन गया है। इस मिशन से न सिर्फ हर आंगन में नल से जल मिल रहा है बल्कि देश की ग्रामीण महिलाओं भी ख़ुश हैं। और अपने बचे समय को वो अपने दूसरे काम पर लगा पा रही हैं।



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