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राजीव गांधी का हत्याराः 19 साल में किया ऐसा कांड कि हिल गई दुनिया, अब 50 की उम्र में आया बाहर
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी एजी पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट ने रिहा करने का फरमान दिया है। जांच एजेंसियों के मुताबिक, इस हत्याकांड में पेरारिवलन का रोल काफी अहम था।
Rajiv Gandhi Murder Case: 21 मई, 1991 को दुनिया उस समय हतप्रभ रह गई, जब उसके सामने भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी की हत्या की खबर आई। एक पल तो लोगों को खबर पर ऐतबार नहीं हुआ, लेकिन मीडिया के रपटों ने इस पर भरोसा करने के अलावा कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी थी। तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में हुए इस राजनीतिक हत्या की गूंज काफी दिनों तक देश में सुनाई देती रही। पूरे देश को हिला देने वाले इस जघन्य हत्याकांड में सात लोगों को दोषी पाया गया था। उनमें से एक एजी पेरारिवलन भी था, जिसे आज सुप्रीम कोर्ट ने 31 साल जेल में रहने के बाद रिहा करने का फरमान दिया है। जांच एजेंसियों के मुताबिक, इस हत्याकांड में पेरारिवलन का रोल काफी अहम था।
कॉलेज जाने के उम्र में कर दिया बड़ा कांड
एजी पेरारिवलन उर्फ अरिवु तमिल कवि कुयिलदासन का बेटा है। 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को बम से उड़ा दिया गया था। पेरारिवलन तब महज 19 साल का था। हत्याकांड के 20 दिन बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था। वह तमिलनाडु के जोलारपेट कस्बे का रहने वाला था। कहा जाता है कि वो आगे की पढ़ाई के लिए चेन्नई आया था, इसी दौरान उसका नाम राजीव गांधी हत्याकांड में आया और उसे अरेस्ट कर लिया गया।
जेल में रहकर भी नहीं छोड़ी पढ़ाई
पेरारिवलन एक शिक्षित परिवार से आता था। उसके पिता तमिल कवि थे जबकि उसकी दोनों बहनें अरुलसेवी और अंबुमनी सरकारी नौकरी करती है। फिलहाल बड़ी बहन रूरल डेवलपमेंट डिपार्टमेंट में काम करती है और छोटी बहन अन्नामलाई यूनिवर्सिटी में लेक्चरर है। यही वजह है कि पेरारिवलन ने जेल जाकर भी पढ़ाई नहीं छोड़ी। उसने जेल से ही 12 वीं की परीक्षा दी थी, जिसमें वह 91.33 प्रतिशत अंक के साथ पास हुआ था। फिर उसने तमिलनाडु ओपन यूनिवर्सिटी से डिप्लोमा का कोर्स किया था। जिसमें उस गोल्ड मेडल भी मिला था। इसके बाद उसने इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी से बीसीए और फिर कंप्यूटर साइंस में मास्टर की डिग्री हासिल की।
राजीव गांधी हत्याकांड में रोल
1980 औऱ 1990 के दशक में श्रीलंका में गृह युद्ध चरम पर था। बहुसंख्यक सिंहली आबादी वाले श्रीलंका में तमिल समुदाय के लोग अल्पसंख्यक थे, इनकी जड़ें भारत के तमिलनाडु से जुड़ी हुई थीं। औपनिवेशिक काल में इन्हें अंग्रेजों द्वारा यहां बसाया गया था। ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद श्रीलंका में अल्पसंख्यक तमिल समुदाय के साथ भेदभाव होने लगा और उन्हें दबाया जाने लगा। इस अत्याचार के खिलाफ वी.प्रभाकरन के नेतृत्व में एक खूंखार आतंकवादी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) का उदय हुआ। जिसने सशस्त्र संघर्ष शुरू करके लंबे समय तक श्रीलंका में गृह युद्ध की ज्वाला भड़काए रखा। श्रीलंका में रह रहे तमिलों के साथ हो रहे अत्याचार से तमिलनाडु के लोगों में खासा आक्रोश था। उस दौरान तमिलनाडु के लोग लिट्टे और प्रभाकरन से प्रभावित थे।
पेरारिवलन भी उन्हीं मे से एक था। बताया जाता है कि वह स्कूल के दिनों से ही लिट्टे से प्रभावित था। राजीव गांधी हत्याकांड के मुख्य आरोपी शिवरासन ने पेरारिवलन की लिट्टे के प्रति समर्पण को देखते हुए उसे बम धमाके के लिए बैटरी के इंतजाम करने का काम सौंपा। पेरारिवलन पर दो आरोप हैं – पहला उसने 9 वोल्ट की दो बैटरियां खरीदकर हत्याकांड के मास्टरमाइंड LTTE के सिवरासन को दी थी, जिनका इस्तेमाल बम बनाने में हुआ। दूसरा, राजीव गांधी की हत्या से कुछ दिन पहले सिवरासन को लेकर पेरारिवलन दुकान पर गया था और वहां गलत एड्रेस बताकर एक मोटसाइकिल खरीदी।
28 जनवरी 1998 को टाडा कोर्ट ने पेरारिवलन समेत 26 लोगों को मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद केस चलता रहा। 11 जून 1991 को गिरफ्तार हुए पेरारिवलन को अंततः 31 साल बाद आज यानि 18 मई 2022 को देश की सर्वोच्च अदालत ने रिहा कर दिया। 19 साल की उम्र में गिरफ्तार हुए पेरारिवलन की उम्र आज 50 साल है।