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जयंती पर विशेष : राजीव गांधी ने की थी देश में कम्प्यूटरीकरण की शुरुआत

Rishi
Published on: 20 Aug 2017 5:00 PM IST
जयंती पर विशेष : राजीव गांधी ने की थी देश में कम्प्यूटरीकरण की शुरुआत
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नई दिल्ली। चालीस साल की उम्र में देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने वाले राजीव गांधी की जयंती पर रविवार को देश में विविध आयोजन हुए। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी, बेटी प्रियंका गांधी, दामाद रॉबर्ट वाड्रा, नातिन मिराया ने राजधानी में उनकी समाधि पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर देश के विकास में उनके योगदान को याद किया। 20 अगस्त 1944 को जन्मे राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद कंप्यूटर को बढ़ावा देने, दुनिया के स्तर पर भारत की पहचान बनाने, खेल के क्षेत्र में देश को आगे बढ़ाने, भ्रष्ट नौकरशाही पर शिकंजा कसने और देश को एक समृद्ध और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में इक्कीसवी सदी के ओर ले जाने का नारा देकर जनमानस में नई आशाएं जगाईं।

इंदिरा की हत्या के बाद संभाली थी पीएम की कुर्सी

31 अक्टूबर,1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी ने देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला था। उनके कुर्सी संभालते ही देश में सिख विरोधी दंगे भडक़ उठे थे क्योंकि सिख हत्यारे की गोली से ही इंदिरा गांधी की जान गयी थी। इस दंगे को काबू में करने के लिए राजीव गांधी को काफी मशक्कत करनी पड़ी।

हालांकि सिखों की बड़े पैमाने पर हत्या और उनकी संपत्तियों की लूट के लिए उन्हें आलोचक आज भी कठघरे में खड़ा करते हैं। वैसे राजीव गांधी का राजनीति में पदार्पण एक दुखद घटना के कारण हुआ। अपने भाई संजय गांधी की विमान हादसे में अकस्मात मृत्यु के बाद वे राजनीति के क्षेत्र में उतरे थे। इसके पहले वे इंडियन एयरलाइंस में पायलेट थे।

1981 में उन्होंने अमेठी से संसद सदस्य का चुनाव जीता और सन 1983 वे कांग्रेस के महासचिव नियुक्त हुए। 31 अक्तुबर, 1984 के दिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नृशंस हत्या के बाद उन्होंने कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।

कांग्रेस को मिला सहानुभूति लहर का लाभ

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सहानुभूति लहर का खासा लाभ मिला। राजीव गांधी ने देश भर चुनावी सभाएं कर कांग्रेस के पक्ष में एक बड़ी लहर पैदा कर दी। कांग्रेस की चुनावी सभाओं में इंदिरा गांधी का वह चर्चित बयान खूब सुनाया गया जिसमें उन्होंने कहा था कि मेरे खून का एक-एक कतरा देश के लिए काम आएगा।

1985 के आम चुनावों में मिले प्रचंड बहुमत के पीछे जनता जनार्दन की सहानुभूति तो एक महत्वपूर्ण कारण तो थी ही मगर एक महत्वपूर्ण कारण विभिन्न मसलों पर राजीव गांधी का आधुनिक दृष्टिकोण और युवा उत्साह भी था। इसका नतीजा यह हुआ कि पार्टी ने 508 में से रिकॉर्ड 401 सीटें हासिल कीं और राजीव गांधी सर्वसम्मति से देश के प्रधानमंत्री चुने गए।

अमेरिका व अन्य देशों से संबंध मजबूत किए

प्रधानमंत्री के रूप में अपने शुरुआती दिनों में राजीव गांधी बेहद लोकप्रिय थे। उन्होंने देश को आगे ले जाने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले किए। उन्हें भारत में कंप्यूटर की शुरुआत करने का श्रेय जाता है। माना जाता है कि उनमें दूरदृष्टि थी और इसी कारण वे समझ सके कि आने वाला समय कंप्यूटर का ही है। इसलिए उन्होंने अपने पांच साल के कार्यकाल में इसे बढ़ावा देने का भरपूर प्रयास किया।

उन्होंने इंदिरा गांधी के समाजवादी राजनीति से हटकर अलग दिशा में देश का नेतृत्व करना शुरू किया। उन्होंने अमेरिका के साथ द्विपक्षीय संबंधों में सुधार किया और आॢथक एवं वैज्ञानिक सहयोग का विस्तार किया। अमेरिका के साथ अन्य देशों से संबंध मजबूत करने की दिशा में उन्होंने ठोस प्रयास किए।

उन्होंने विज्ञान, तकनीक और इससे सम्बंधित उद्योगों की ओर ध्यान दिया और टेक्नोलोजी पर आधारित उद्योगों विशेष रूप से कंप्यूटर, एयरलाइंस, रक्षा और दूरसंचार पर आयात कोटा, कर और शुल्क को कम किया। उन्होंने प्रशासन को नौकरशाह घपलेबाजों से बचाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण काम किया। 1986 में राजीव गांधी ने देश में उच्च शिक्षा कार्यक्रमों के आधुनिकीकरण और विस्तार के लिए एक राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा की।

श्रीलंका में मिली कूटनीतिक विफलता

उनके कार्यकाल के समय पंजाब में आतंकी घटनाएं हो रही थीं। इंदिरा गांधी के आपरेशन ब्लूस्टार के बावजूद आतंकियों को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सका था। राजीव गांधी ने पंजाब में आतंकवादियों के खिलाफ व्यापक पुलिस और सेना अभियान चलाया। श्रीलंका सरकार और एलटीटीई विद्रोहियोंके बीच शांति वार्ता के प्रयासों का उल्टा असर हुआ और राजीव की सरकार को एक बड़ी असफलता का सामना करना पड़ा।

1987 में किये गए शांति समझौते के अनुसार भारतीय शांति सेना को श्रीलंका में एलटीटीई को नियंत्रण में लाना था पर अविश्वास और संघर्ष की कुछ घटनाओं ने एलटीटीई आतंकवादियों और भारतीय सैनिकों के बीच एक खुली जंग के रूप में बदल दिया। हजारों भारतीय सैनिक मारे गए और अंतत: राजीव गांधी ने भारतीय सेना को श्रीलंका से वापस बुला लिया। यह राजीव की एक बड़ी कूटनीतिक विफलता थी। जानकारों का मानना है कि भारतीय शांति सेना को श्रीलंका भेजने का फैसला सही नहीं था।

महंगा पड़ा बोफोर्स घोटाला

कुर्सी संभालने के बाद राजीव गांधी ने देश से भ्रष्टाचार समाप्त करने का वादा किया था मगर वे अपने वादे पूरी तरह खरे नहीं उतर सके। उन पर और उनकी पार्टी पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे। सबसे बड़ा घोटाला स्विडिश बोफोर्स हथियार कंपनी द्वारा कथित भुगतान से जुड़ा बोफोर्स तोप घोटाला था। वीपी सिंह सहित उनके कई करीबी लोगों ने उनका साथ छोड़ दिया और भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बना दिया।

घोटालों के कारण उनकी लोकप्रियता तेजी से कम हुई और 1989 में आयोजित आम चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। एक गठबंधन की सरकार सत्ता में आई और वीपी सिंह देश के प्रधानमंत्री चुने गए। उनके शासनकाल में मंडल कमीशन की सिफारिशों को लेकर भारी बवाल हुआ और आखिरकार उन्हें अपनी कुर्सी छोडऩी पड़ी। बाद में कांग्रेस के समर्थन से चंद्रशेकर प्रधानमंत्री बने। उनका शासन भी लंबा नहीं चला और कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया।

दो साल बाद ही 1991 में फिर आम चुनाव करवाए गए। राजीव गांधी चुनाव में विजय हासिल करने के लिए जोरदार प्रचार में जुटे थे मगर इसी दौरान 21 मई 1991 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनाव प्रचार के दौरान एलटीटीई से जुड़े आत्मघाती हमलावरों ने राजीव गांधी की हत्या कर दी।

अमिताभ बच्चन के घर हुई थी राजीव गांधी की शादी

राजीव गांधी और अभिनेता अमिताभ बच्चन की दोस्ती बचपन से ही थी। जब राजीव गांधी एक बड़ी दिक्कत में फंसे तो अमिताभ ने उनकी मदद की थी। तीन साल के लंबे लव अफेयर के बाद राजीव गांधी ने सोनिया गांधी से शादी करने का फैसला लिया था।

मां इंदिरा गांधी भी इस रिश्ते के लिए तैयार हो गई थीं। शादी के लिए 1968 में सोनिया गांधी पहली बार भारत आईं। सबसे बड़ी समस्या यह थी कि आखिर शादी को कैसे संपन्न कराया जाए क्योंकि भारतीय रीति-रिवाज में शादी के दौरान दुल्हन को उसके पिता दान करने की रस्म को निभाते हैं। राजीव अमिताभ के घर पहुंचे और उन्हें अपनी दिक्कत बताई। अमिताभ ने अपने घर से शादी कराने का सुझाव दिया। यह सुझाव सभी को पसंद आया।

सोनिया गांधी जब 13 जनवरी 1968 को दिल्ली पहुंचीं तो अमिताभ बच्चन भी राजीव गांधी के साथ उन्हें रिसीव करने पालम एयरपोर्ट पर पहुंचे थे। सोनिया अमिताभ के घर पर ही ठहरीं। बाद में राजीव गांधी अमिताभ के घर बारात लेकर पहुंचे। अमिताभ के पिता और चर्चित कवि हरिवंश राय बच्चन ने सोनिया गांधी का कन्यादान किया।

साथ में राजीव गांधी को इन कारणों से भी स्मरण किया जाता है :

# श्री लंका में हस्तक्षेप। बेवजह भारतीय सेना भेजना। वहां मानवाधिकार हनन और भारतीय सैनिकों का बड़ी तादाद में मारा जाना।

# इंदिरा गांधी की हत्या के तुरंत बाद सिखों की हत्याएं।

# 420 सांसदों के बहुमत के बावजूद शाहबानो केस में कुछ भी सकारात्मक न करना।

# अपने कार्यकाल के दौरान कश्मीरी पंडितों की हत्याएं व उनका पलायन।

# 1 रुपये में से 15 पैसे ही जनता तक पहुंचने का बयान। लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई कदम न उठाना

# बोफोर्स कमीशन कांड।

Rishi

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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