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सचिन पायलट की कांग्रेस ने की अनदेखी! सिर्फ इस बड़े नेता ने की एक काॅल, हुई ये बात

राजस्थान में गहलोत सरकार के लिए बड़ा सियासी संकट इतना जल्दी खत्म होता दिखाई नहीं दे रहा है। सचिन पायलट को लेकर कांग्रेस खुद संकट में फंसी है।

Newstrack
Published on: 16 July 2020 12:59 AM IST
सचिन पायलट की कांग्रेस ने की अनदेखी! सिर्फ इस बड़े नेता ने की एक काॅल, हुई ये बात
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नई दिल्ली: राजस्थान में गहलोत सरकार के लिए बड़ा सियासी संकट इतना जल्दी खत्म होता दिखाई नहीं दे रहा है। सचिन पायलट को लेकर कांग्रेस खुद संकट में फंसी है। सचिन पायलट को लेकर कांग्रेस आलाकमान अभी भी अनिश्चय की स्थिति में है।

कांग्रेस ने डिप्टी सीएम के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष के पद से भी हटा दिया गया है मगर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने उनसे एक बार फिर मिल-बैठकर मतभेदों को दूर करने की अपील की है। हालांकि मंगलावर को इन्हीं सुरजेवाला ने सचिन पायलट को कहा था उन्होंने बीजेपी के इशारे पर गहलोत सरकार को गिराने की साजिश की।

सचिन पायलट ने साफ कह दिया है कि वे बीजेपी में शामिल नहीं होंग, लेकिन अपनी भावी राजनीति को लेकर उन्होंने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता सुरजेवाला ने विधायकों की बैठक के बाद अभी तक पार्टी ने सचिन पायलट को क्या-क्या दिया है। सब गिनती करा दी।

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मीडिया में खबरें आईं की सचिन पायलट को कांग्रेस को खूब मनाने की कोशिश की गई, लेकिन वह अपनी मांग पर अड़ रहे हैं। बताया गया कि उनको कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, राहुल गांधी और राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांड समेत कई नेताओं ने उनको कई बार फोन किया और मनाने की कोशिश की।

हालांकि आपको जानकर हैरानी होगी कि यह एक कोर झूठ है सचिन पायलट को 10 जनपथ से फोन ही नहीं किया गया। उनको किसी ने मनाने की कोशिश नहीं की और नही फोन किया है। सूत्रों के मुताबिक सचिन पायलट को सिर्फ एक काॅल की गई और उनसे पूछा गया कि आप क्या चाहते हैं, तो उन्होंने कहा कि आत्मसम्मान। सूत्रों ने बताया कि वह फोन कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने की थी और उनके अलावा सचिन पायलट को किसी कांग्रेस नेता फोन ही नहीं किया।

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कांग्रेस की यह पूरानी रीति है। अगर हम उसका इतिहास देखें तो कांग्रेस में अनदेखी की वजह से कई दिग्गज नेताओं ने पार्टी का साथ छोड़ दिया और वह अलग-अलग राज्यों मुख्यमंत्री बने और सरकार में मंत्री रहे। अभी अगर हाल में देखें तो आंध्र प्रदेश का सबसे बड़ा उदाहरण है। जगन मोहन रेड्डी ने अनदेखी का आरोप लगाकर कांग्रेस छोड़ दी और अपनी अलग पार्टी वाईएसआर कांग्रेस बना ली और अब वह मुख्यमंत्री हैं।

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दरअसल साल 2009 में आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री और जगन मोहन के पिता वाई एस राजशेखर रेड्डी का एक हवाई दुर्घटना में निधन हो गया। उस वक्त जगन ने कांग्रेस नेतृत्व के सामने मांग रखी थी कि उन्हें पिता की विरासत मिले और सीएम की कुर्सी दी जाए। लेकिन कांग्रेस की राज्य ईकाई और केंद्रीय आलाकमान ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और नतीजा यह हुआ कि वह पार्टी से चले गए और वहां से कांग्रेस की सरकार भी चली गई। आंध्र प्रदेश जो कि कांग्रेस का गढ़ था।

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