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किसके कहने पर पार्टी से निकाले गए राम गोपाल ने RS में रखा सपा का पक्ष?

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Published on: 16 Nov 2016 1:24 PM IST
किसके कहने पर पार्टी से निकाले गए राम गोपाल ने RS में रखा सपा का पक्ष?
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नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी से 6 महीने के लिए बाहर निकाले गए पूर्व सपा महासचिव और मुलायम सिंह के चचेरे भाई प्रोफसर राम गोपाल ने आखिर किसके निर्देश पर राज्‍यसभा में सपा का पक्ष रखा। राम गोपाल को पिछले दिनों पार्टी के खिलाफ गतिविधियों में लिप्‍त होने के आरोप में बाहर कर दिया गया था। सपा प्रदेश अध्‍यक्ष ने उन्‍हें 6 साल के लिए बाहर कर दिया था। इसके बाद भी अखिर किसके कहने पर उन्‍होंने सपा का पक्ष राज्‍यसभा में रखा?

प्रोफेसर राम गोपाल ने नोटबंदी पर केंद्र सरकार को घेरते हुए जांच की मांग की है। मायावती की तरह राम गोपाल ने भी आरोप लगाया कि बीजेपी ने अपना पैसा ह्वाइट कर लिया है।

राम गोपाल ने कहा कि मोदी जी बबूल का पेड़ लगाना चाहते थे लेकिन वो कांटे का निकला। किसी बड़े आदमी के चेहरे पर सिकन नहीं आई। कोई बड़ा आदमी लाइन में मुझे लगा नहीं मिला। आदमी अपना पैसा लेकर भी भिखारी बन गया है। पैसे से कोई चुनाव नहीं जीतता चुनाव जीता जाता है जनता दम पर।

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फोटो सौ. राज्‍यसभा टीवी

पैसे से नहीं जीता जाता चुनाव

-देश में लगी इस आर्थिक इमरजेंसी में आम आदमी अपना पैसा लेकर ही बैंक के आगे भिखारी बन गया।

-पैसे से चुनाव नहीं जीता जाता है। अगर ऐसा होता तो कांग्रेस सत्ता से कभी बाहर नहीं होती। चुनाव जनता के विश्वास से जीता जाता है।

-इटावा जाते हुए मैंने देखा कि लाइनों में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं लगी हुईं थी।

-चेहरे से देखकर साफ लग रहा था कि वो बेहद परेशान हैं।

-पीएम की मां ने भी बैंक जाकर लाइन में लगकर 4500 रुपए के नोट बदलवाए।

-यह स्थिति आज की तारीख में हर बुजुर्ग मां की है।

-बीजेपी के लोग बताएं कि अब तक कितना कालाधन सरकार के पास आ चुका है।

किसानों को सबसे ज्‍यादा नुकसान

10 से 12 फीसदी लोगों के पास ही कालाधन जमा है। बाकी तो रोजमर्रा की जिंदगी काट रहे हैं। इस फैसले से सबसे ज्यादा नुकसान किसानों का हुआ है। बुआई का टाइम था। किसानों को बीज खरीदन थे, लेकिन वो नहीं खरीद पाए। एक-एक दिन में करोड़ों रुपयों की सब्जियों फेंकी गईं, क्योंकि कोई लेने वाला नहीं है। सारे मजदूर भूखे मरने की स्थिति में है।

लोगों को हो रही है परेशानी

नकली करेंसी को देश में फैलाने का पड़ोसी देश के पास इससे अच्छा मौका कोई और नहीं मिलेगा, क्योंकि लोग परेशान हैं। ऐेसे में उन्हें जो भी नोट मिलेगा वो ले लेंगे। क्या ऐसे करेंसी को बदलकर आतंकवाद को रोका जा सकता है। मुझे दुख इस बात का है कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, उन पर यह आरोप लगाया जा रहा है कि वो सब कालाधन का सपोर्ट करने वाले लोग हैं। देश में कालाबाजारी करते हैं।

आज के दिन की यह हालत है कि अगर जल्दी चुनाव करा दिए गए और गांव में वोट मांगने गए तो गांव की महिलाएं बेलन से पीठ सीधी कर देंगी और आपको कार्यकर्ताओं को ठीक करने के लिए हल्दी लगानी पड़ेगी।

आगे की स्‍लाइड में पढ़ें राम गोपाल को पार्टी से निकालने के बाद क्‍या बोले थे शिवपाल...

समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने रामगोपाल यादव को 6 साल के लिए सभी पदों (राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता) और पार्टी से निष्कासित कर दिया है। इसे मुलायम सिंह यादव की तरफ से अब तक सबसे बड़ी कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है। इसे अखिलेश के एक्शन का रिएक्शन के तौर पर भी देखा जा रहा है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में रविवार को शिवपाल यादव ने कहा,”रामगोपाल यादव का लेटर अब तक सभी ने पढ़ लिया होगा। यह सब मुख्यमंत्री समझ नहीं पा रहे हैं। वह अब तक तीन बार बीजेपी के बड़े नेता से मिल चुके हैं। ऐसा उन्होंने सीबीआई से बचने के लिए किया। यादव सिंह मामले में उनके बेटे अक्षय और बहू के खिलाफ CBI जांच चल रही है। रामगोपाल बीजेपी के एजेंट हैं। नेताजी का अपमान हममें से कोई बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने भ्रम फैलाकर बिहार में गठबंधन तुड़वाया। मेरे खिलाफ भी रामगोपाल यादव ने खूब साजिश की है। पार्टी के हित में उन्होंने एक भी काम नहीं किया है।”

और क्या बोले शिवपाल ?

-प्रोफेसर रामगोपाल अगर अपने ज्ञान का इस्तेमाल पार्टी को बढ़ाने में करते तो अच्छा होता।

-उनका रवैया तानाशाही हो चुका था। वह भ्रष्टाचारियों से मिल गए हैं।

-स्वार्थ के लिए रामगोपाल यादव ने कई हथकंडे अपनाए। नेताजी और पार्टी को धोखा दिया है।

-सीबीआई से अपने परिवार को बचाने के लिए रामगोपाल ने यह सब किया।

-यह पूरी तरह से बीजेपी से मिल गए हैं और उनके लिए काम कर रहे हैं।

-नेताजी और समाजवादी पार्टी को कमजोर करने में उन्होंने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी।

-सपा के कार्यकर्ताओं को अपमानित और उनका शोषण किया। मैंने हमेशा से ईमानदारी से काम किया है।

-हमेशा प्रोफेसर तिकड़म करते रहें हैं। मुख्यमंत्री को यह समझना होगा कि कौन अपना सगा है और कौन पराया।

-बसपा सरकार में जब लोग जेल गए तो यह किसी से मिलने नहीं गए और जनेश्वरजी जब जेल में थे अब उनसे भी मिलने नहीं गए।

-इन्होंने ब्रजभूषण तिवारी समेत समाजवादी नेताओ का अपमान किया, लेकिन अब पराकाष्ठा हो गई है।

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