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कई प्रधानमंत्री आए गए...नरेंद्र मोदी न होते तो राममंदिर नहीं होता हकीकत, कांग्रेस पर ही बरसे आचार्य प्रमोद कृष्णम

Pran Pratishtha Ceremony: इसलिए मैं राम मंदिर बनने और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का पूरा श्रेय पीएम मोदी को देना चाहता हूं। कई सरकारें रहीं चुने गए और कई प्रधानमंत्री आए और गए, लेकिन किसी ने भी राम मंदिर के लिए 500 साल के इंतजार को खत्म करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं दिखाई।

Viren Singh
Published on: 21 Jan 2024 12:45 PM GMT
Pran Pratishtha Ceremony
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Pran Pratishtha Ceremony (सोशल मीडिया)  

Pran Pratishtha Ceremony: अयोध्या में राममंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण मिलने के बाद भी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व द्वारा कार्यक्रम से दूरी बनाने पर अब उसको अपने ही लोगों से विरोध का सामना करना पड़ा रहा है। अब रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के कुछ ही घंटे बचे हैं, तो कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने राममंदिर निर्माण को पीएम मोदी से जुड़ा दिया है।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का श्रेय मोदी को

रविवार को एक मीडिया से बात करते हुए आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि अगर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री न होते तो तो अयोध्या में राम मंदिर कभी हकीकत नहीं होता। कांग्रेस अक्सर 'मंदिर वहीं बनाएंगे पर तारीख नहीं बताएंगे' कहकर बीजेपी पर निशाना साधती रही है। इसलिए मैं राम मंदिर बनने और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का पूरा श्रेय पीएम मोदी को देना चाहता हूं। कई सरकारें रहीं चुने गए और कई प्रधानमंत्री आए और गए, लेकिन किसी ने भी राम मंदिर के लिए 500 साल के इंतजार को खत्म करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं दिखाई। उन्होंने कहा कि प्रधान मंत्री मोदी के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें हिंदू पक्ष के पक्ष में सदियों पुराने राम जन्मभूमि शीर्षक मुकदमे का निपटारा किया गया।

लंबी लड़ाई के बाद श्रीराम लौटे रहे अपने घर

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने राम मंदिर आंदोलन को तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने के लिए विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बजरंग दल के सदस्यों के 'बलिदान' को भी स्वीकार किया। उनका यह बलिदान आज तभी पूरा हुआ है, जब प्रधानमंत्री पद पर नरेंद्र मोदी मौजूद हैं। अगर वह न होते तो, उनका यह बलिदान अधूरा रहता। देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा स्वामित्व विवाद को हमेशा के लिए निपटाने के बाद मंदिर का निर्माण किया गया। लंबी लड़ाई और पुरातात्विक सर्वेक्षण के निष्कर्षों को प्राथमिकता देते हुए सुप्रीम कोर्ट के एक ऐतिहासिक फैसले के बाद भगवान राम कल यानी 22 जनवरी को अपने जन्मस्थान पर लौटेंगे।

पीएम के 11 दिवसीय अनुष्ठान की प्रशंसा

उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के 11 दिवसीय अनुष्ठान की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि उपवास रखते हुए भी प्रधानमंत्री देश भर में भगवान राम से जुड़े मंदिरों और स्थलों का दौरा कर रहे हैं। आचार्य कृष्णम ने कहा, पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर अब तक आज देश ने कई प्रधानमंत्री देखे हैं, लेकिन किसी ने लंबे समय से चली आ रही मांग या इच्छा को पूरा करने के लिए इतना बड़ा प्रयास नहीं किया। मैं इस काम के लिए प्रधानमंत्री की सराहना करता हूं।

विपक्षीय दलों द्वारा समारोह से दूरी को बताया दुर्भाग्यपूर्ण

अयोध्या में 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह के निमंत्रण को अस्वीकार करने के लिए विपक्षी नेताओं को आचार्य कृष्णम ने करारा जबाव दिया। उन्होंने कहा कि यह 'दुर्भाग्यपूर्ण' था, क्योंकि भगवान राम की विशेषता वाले कार्यक्रम का हिस्सा बनने का अवसर अस्वीकार करना भारतीय संस्कृति का अपमान करने के समान था। मैं इसे गंभीर दुर्भाग्य के रूप में देखता हूं। ईसाई धर्म का कोई भी अनुयायी या पुजारी या मुस्लिम उपदेशक कभी भी भगवान राम के निमंत्रण को अस्वीकार नहीं कर सकता। देवता हमारी आत्मा में निवास करते हैं और विश्वास से परे हैं। देश की कल्पना नहीं की जा सकती उनके बिना। प्रभु राम के निमंत्रण को अस्वीकार करने का मतलब भारतीय संस्कृति का अपमान करना है। यह देश की पहचान और सभ्यतागत लोकाचार पर आक्षेप लगाने के समान है।

Viren Singh

Viren Singh

पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए 4 साल से अधिक समय हो गया है। इस दौरान टीवी व एजेंसी की पत्रकारिता का अनुभव लेते हुए अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहा हूँ। वैसे तो सुई से लेकर हवाई जहाज की खबरें लिख सकता हूं। लेकिन राजनीति, खेल और बिजनेस को कवर करना अच्छा लगता है। वर्तमान में Newstrack.com से जुड़ा हूं और यहां पर व्यापार जगत की खबरें कवर करता हूं। मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्विविद्यालय से की है, यहां से मास्टर किया है।

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