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Ram Mandir: प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर जारी घमासान, इमरान मसूद ने कहा – राम हम सबके, तो ओवैसी ने पूछ लिया ये सवाल
Ram Mandir: उद्घाटन समारोह का निमंत्रण ठुकराने वाली कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों पर भारतीय जनता पार्टी हमलावर है। वहीं, विपक्ष बीजेपी पर एक धार्मिक कार्यक्रम का राजनीतिकरण करने का आरोप लगा रही है।
Imran Masood , Asaduddin Owaisi (Photo: social media )
Ram Mandir: अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर इन दिनों पूरे देश में जश्न का माहौल है। हर किसी के जुबां पर 22 जनवरी की तारीख का जिक्र है। इस धार्मिक कार्यक्रम को लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी कम नहीं हो रही है। उद्घाटन समारोह का निमंत्रण ठुकराने वाली कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों पर भारतीय जनता पार्टी हमलावर है। वहीं, विपक्ष बीजेपी पर एक धार्मिक कार्यक्रम का राजनीतिकरण करने का आरोप लगा रही है।
इस बीच कांग्रेस नेता इमरान मसूद का बड़ा बयान सामने आया है। मसूद ने कहा कि भगवान राम हम सबके आराध्य हैं। हम सब राम के वंशज हैं। उन्होंने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि राम तो बुलाने वाले हैं। ये राम को लाने वाले कहां से आ गए ? मसूद ने आगे दावा किया कि हम राम को मानने वाले हैं। राम को लेकर जो सम्मान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय और यूपी प्रभारी अविनाश पांडे के मन में है, वही सम्मान इमरान मसूद के मन में भी है।
मेरठ में कांग्रेस पार्टी के एक कार्यक्रम में शामिल होने आए इमरान मसूद ने कहा कि बीजेपी और आरएसएस के लोग इस आयोजन के लिए हमारे लिए नकारात्मक प्रचार करेंगे। दरअसल, कांग्रेस ने जब से 22 जनवरी का निमंत्रण ठुकराया है, तब से पार्टी के अंदर से ही इस फैसले के खिलाफ विरोध के स्वर उठने लगे हैं। आचार्य प्रमोद कृष्णम जैसे नेताओं ने इस निर्णय के लिए गांधी परिवार के आस पास रहने वाले कांग्रेस नेताओं पर हमला बोला है।
ओवैसी ने मसूद से पूछ लिया ये सवाल
एआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी उन नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना की थी। प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर भी वह लगातार बीजेपी पर हमलावर है। पिछले दिनों उनका एक भड़काऊ बयान भी खूब वायरल हुआ था, जिसमें वह मुस्लिम युवाओं से मस्जिदों की हिफाजत के लिए आगे आने की अपील कर रहे थे। ओवैसी ने इमरान मसूद के बयान पर सवालिया अंदाज में कहा, अगर 6 दिसंबर नहीं होता तो क्या होता ? दरअसल, 6 दिसंबर 1992 को ही कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा ढ़हा दिया था।