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राम मंदिर पर बड़ी खबर: अब निर्मोही अखाड़े ने भी दाखिल की पुनर्विचार याचिका

याचिका में विवादित अधिगृहीत 2.77 एकड़ जमीन के बाहर अखाड़े के स्वामित्व वाले कई मंदिरों को वापस करने की मांग भी की गई है।

Shivakant Shukla
Published on: 11 Dec 2019 4:06 PM GMT
राम मंदिर पर बड़ी खबर: अब निर्मोही अखाड़े ने भी दाखिल की पुनर्विचार याचिका
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नई दिल्ली: 9 नवंबर को अयोध्या मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गये फैसले पर एक बार फिर जंग छिड गयी है पहले सुन्नी वक्फ और अब निर्मोही अखाड़े ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है।

अखाड़ा इस संबंध में स्पष्टीकरण चाहता है

निर्मोही अखाड़े ने याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने नौ नवंबर के फैसले में केंद्र को राम मंदिर निर्माण के लिए बनने वाले ट्रस्ट में अखाड़े को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने का निर्देश दिया था। निर्णय के बाद एक महीने से अधिक समय बीत चुका है लेकिन अब तक इसकी भूमिका और प्रतिनिधित्व को परिभाषित नहीं किया गया है। अखाड़ा इस संबंध में स्पष्टीकरण चाहता है।

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याचिका में विवादित अधिगृहीत 2.77 एकड़ जमीन के बाहर अखाड़े के स्वामित्व वाले कई मंदिरों को वापस करने की मांग भी की गई है। तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा था कि हालांकि, मौखिक गवाही से यह स्थापित होता है कि निर्मोही अखाड़ा विवादित जमीन के आसपास मौजूद था।

पीठ ने कहा था, ‘‘लेकिन, विवादित जमीन के आसपास निर्मोहियों की मौजूदगी का अर्थ यह नहीं है कि उन्हें प्रबंधन का अधिकार है और कानून के तहत उन्हें उपासक/शेबैत की पदवी मिल जाएगी।’’

भगवान राम की पूजा को लेकर महत्वपूर्ण भूमिका की मांग करेगा अखाड़ा

शीर्ष अदालत ने कहा कि शेबैत ऐसा व्यक्ति होता है जो प्रतिमा की देखभाल करता है, उसकी उपासना करता है और उसके औपचारिक प्रतिनिधि के रूप में काम करता है। अयोध्या भूमि विवाद मामले पर फैसला आने के बाद मुख्य वादियों में से एक निर्मोही अखाड़े ने राम मंदिर ट्रस्ट में महत्वपूर्ण पद की मांग की थी| अखाड़ा ने कहा था कि वह रामानंदी वैष्णव संप्रदाय के लिए भगवान राम की पूजा को लेकर महत्वपूर्ण भूमिका की मांग करेगा।

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निर्मोही अखाड़ा ने कहा था, ‘कोर्ट ने भले ही उनके दावे को खारिज कर दिया है, लेकिन कोर्ट ने विवादित स्थल पर हमारी ऐतिहासिक उपस्थिति स्वीकार की है और हमने रामजन्मभूमि मुद्दे में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, क्योंकि जन्मस्थान को रामानंदी वैष्णव संप्रदाय द्वारा पूजा जाता है। इसलिए हमें हमारे अधिकार के अनुसार ट्रस्ट में महत्वपूर्ण जगह मिलनी चाहिए।’

Shivakant Shukla

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