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भक्ति और अध्यात्म की आड़ में बाबा राम रहीम का गंदा धंधा

Rishi
Published on: 25 Aug 2017 11:38 AM GMT
भक्ति और अध्यात्म की आड़ में बाबा राम रहीम का गंदा धंधा
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संजय तिवारी संजय तिवारी

भारत में भक्ति और अध्यात्म के नाम पर धंधा चलाने वालो की कमी नहीं है। भोले भाले लोगो को अपने कुछ चमत्कार और उसी की आड़ में बुने गए जाल में फांसना बहुत आसान है। इसी कड़ी में एक नाम जुड़ा है बाबा राम रहीम का। राम रहीम के आलावा और भी कई बाबा लोग हैं, जिन्होंने धर्म और अध्यात्म की आड़ में बहुत बड़े बड़े साम्राज्य बनाये लेकिन अपने कुछ कुकृत्यों में ऐसा फंसे की अभी तक जेल की हवा खा रहे हैं।

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इस बार मामला है पंजाब और हरियाणा की समूची राजनीति को प्रभावित करने वाले डेरा सच्चा सौदा के संचालक बाबा गुरुमीत राम रहीम का। मामला यौन शोषण का है और आज कोर्ट ने फैसला भी तय कर लिया है। इससे पहले हरियाणा में ही बाबा रामपाल को लेकर हुए तमाशे को दुनिया देख चुकी है। पिछले साल उत्तर प्रदेश में जय गुरुदेव के अनुयायी रामबृक्ष की कहानी भी सबने देखी। आसाराम अभी भी जेल में हैं। भीमानंद और स्वामी नित्यानंद की कहानिया भी जान सामान्य में हैं। आइये एक नज़र डालते हैं इन बाबाओं पर -

उत्तर भारत में डेरा सच्चा सौदा सिरसा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह बड़ी ताकत हैं। 29 अप्रैल 1948 को तत्कालीन पंजाब के सिरसा में बलोचिस्तीनी साधू शाह मत्तन जी ने डेरा डाला, जो बाद में मस्ताना बाबा के नाम से जाने गए। उन्हीं ने अपने डेरे को सच्चा-सौदा का नाम दिया। उनका सूफी फकीर जैसा स्वाभाव था। नतीजतन लाखों लोग उनसे जुड़ते चले गए। 1960 में सतनाम सिंह डेरा प्रमुख बने। 13 सितंबर 1990 में गुरमीत सिंह (वर्तमान डेरा प्रमुख) ने गद्दी संभाली।

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अटल जी को भेजे गए गुमनाम खत से उठा तूफ़ान

एक गुमनाम खत से शुरू हुआ मुकदमा अब मुकाम तक पहुंच गया है। इस पूरे सफर में ऐसा बहुत कुछ हुआ जो बताता है कि देश में कानून से बढ़कर दूसरा कोई और नहीं। क्योंकि महज़ एक चिट्ठी की बुनियाद पर आरोपों की तफ्तीश से लेकर अब फैसले तक का वक्त आ गया और फैसला आते ही बाबा समर्थको का उपद्रव भी।

15 साल पहले एक गुमनाम खत के सामने आने के बाद भी कम बवाल नहीं मचा था। साल 2002 में एक अज्ञात साध्वी की तरफ डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के खिलाफ यौन शोषण के आरोपों वाली एक चिट्ठी तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पंजाब हरियाणा हाइकोर्ट के जज को भेजी गई थी जिसके आधार पर ही बाद में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे और सितंबर 2002 में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के खिलाफ केस दर्ज किया गया।

करीब 5 साल की छानबीन के बाद सीबीआई ने 30 जुलाई 2007 को अपनी रिपोर्ट स्पेशल कोर्ट के सुपुर्द कर दी थी जिस पर सीबीआई कोर्ट में ट्रायल शुरू हुआ. करीब 6 साल की सुनवाई के बाद सितंबर 2013 तक पीड़ित पक्ष की तरफ से कोर्ट में गवाह और सबूत पेश किए गए जिसके बाद बाबा राम रहीम को अपना पक्ष रखना था। मगर बाबा की तरफ से हर बार कुछ ना कुछ ऐसी मांग की जाती रही कि केस की रफ्तार धीमी पड़ गई और ये लगातार लटकता चला गया।

सीबीआई कोर्ट में पेश हर सबूत, हर गवाह को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। मगर ये पैंतरा भी काम ना कर पाया क्योंकि सीबीआई कोर्ट की तरह बाबा की हर दलील हाईकोर्ट में भी खारिज़ होती रहीं और एक बार तो लगातार फाइल होने वाली रिवीजन पिटीशन पर हाईकोर्ट ने खासी नाराज़गी भी ज़ाहिर की थी और जल्द से जल्द मामले में ट्रायल पूरा करने के आदेश दिए थे।

केस को किस तरह लटकाने की कोशिशें चलती रहीं. इसका पता इसी बात से लग जाता है कि जब बाबा को अपने बचाव में दलीलें रखनी थी तो उन्होंने पीड़ित पक्ष की तरफ से पेश गवाह के दस्तखत और लिखाई के सैंपल की जांच की मांग उठा दी। वो भी अपनी पसंद की लैब से जबकि सीबीआई कोर्ट ने इसके लिए चंडीगढ़ एफएसएल को जिम्मेदारी सौंपी थी।

बाबा की तरफ से सीबीआई कोर्ट के इस फैसले को रिवीज़न पेटीशन के ज़रिए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई जहां से उन्हें मायूसी ही हाथ लगी. बाबा की अर्ज़ी खारिज़ करने वाली हाईकोर्ट की बैंच ने उस वक्त तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि इस मामले को जानबूझ कर लटकाने की कोशिश की जा रही है और जिस तरह सबूतों को बार-बार जांचने की मांग की गई। उससे लग भी यही रहा था। बावजूद इसके सीबीआई कोर्ट ने इस हाईप्रोफाइल केस को आगे बढ़ाया और करीब 10 साल तक तमाम दलीलों और सबूतों को परखने के बाद अब फैसला सुना दिया है।

साध्वी यौन शोषण के आरोपों के अलावा डेरा प्रमुख पर सिरसा के एक पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या करवाने का भी आरोप है। बताते हैं कि इस पत्रकार ने साध्वी बलात्कार मामले का पूरा ब्यौरा अपने अखबार में छाप दिया था जिसके बाद उन्हें लगातार डेरा सच्चा सौदा कि तरफ से जान से मारने की धमकी आने लगी और 24 अक्टूबर 2002 को डेरे के दंबगो ने उन पर अटैक किया और उन्हें गोलियां मारी गई और 21 नवम्बर 2002 को 28 दिन जिन्दगी औऱ मौत से जुझते हुए उन्होंने दम तोड़ दिया।

यह मुकदमा भी पंचकूला की सीबीआई अदालत में चल रहा है। इसके अलावा बाबा राम रहीम पर ये भी आरोप है कि उन्होंने डेरे के पूर्व प्रबंधन रंजीत सिंह की भी हत्या करवाई है। क्योंकि वो डेरे के कई राज जान चुका था। रंजीत सिंह की 10 जुलाई 2003 को हत्या कर दी गई थी।

डेरा सच्चा सौदा आज करोडो़ लोगों की आस्था का केंद्र बन चुका है, लेकिन इसके मुखी बाबा राम रहीम अक्सर आरोपों में घिरते रहे हैं। साल 2012 में डेरे के एक पूर्व साधू ने बाबा राम रहीम पर डेरे के साधुओं को नपुंसक बनाने का इल्जाम लगाया था। इस मामले में भी हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी जिसमें कहा गया था कि साधुओं को नपुंसक बनने के बाद बाबा राम रहीम के जरिए ईश्वर के दर्शन का सपना दिखाया गया था, और इसी झांसे में आकर डेरे के 400 साधुओं ने अपना ऑपरेशन करवा लिया था, वह मुकदमा भी चल रहा है।

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गुरमीत राम रहीम सिंह का साम्राज्य

गुरमीत राम रहीम सिंह का जन्म 15 अगस्त, 1967 को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के गुरूसर मोदिया में जाट सिख परिवार में हुआ। इन्हें महज सात साल की उम्र में ही 31 मार्च 1974 को तत्कालीन डेरा प्रमुख शाह सतनाम सिंह जी ने ये नाम दिया था। 23 सितंबर, 1990 को शाह सतनाम सिंह ने देशभर से अनुयायियों का सत्संग बुलाया और गुरमीत राम रहीम सिंह को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।

गुरमीत राम रहीम सिंह अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। डेरा प्रमुख की दो बेटियां और एक बेटा है। बड़ी बेटी चरणप्रीत और छोटी का नाम अमरप्रीत है, जबकि उन्होंने इन दो बेटियों के अलावा एक बेटी को गोद लिया हुआ है। गुरमीत राम रहीम के बेटे की शादी बठिंडा के पूर्व एमएलए हरमिंदर सिंह जस्सी की बेटी से हुई है। इनके सभी बच्चों की पढ़ाई डेरे की ओर से चल रहे स्कूल में हुई है। इनके दो दामाद रूहेमीत और डॉ. शम्मेमीत हैं।

शुरुआत में डेरा का प्रभाव हरियाणा के सिरसा, फतेहबाद, हिसार और पंजाब के मनसा, मुक्तसर और बठिंडा तक ही सीमित था, लेकिन 1990 में जब बाबा राम रहीम डेरा प्रमुख बने तो इसका विस्तार तेज हुआ। डेरा सच्चा सौदा 104 तरह के सामाजिक कार्यक्रम चलाने का दावा करता है। डेरा के मुताबिक, प्राकृतिक आपदा में लोगों की मदद करना, अस्पतालों को देहदान, रक्त दान करना, स्वच्छता अभियान चलाना, वृक्षारोपण करना, भ्रूण हत्या और नशे के मुक्ति सबसे प्रमुख कार्य हैं। डेरा का यह भी दावा है कि अनाथ बच्चों को अपनाने और वेश्यावृत्ति उन्मूलन के क्षेत्र में भी हम काम करते हैं।

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65 साल से चल रहा है डेरा का आश्रम

हरियाणा के सिरसा जिले में डेरा का आश्रम 65 सालों से चल रहा है। डेरा का साम्राज्य विदेशों तक फैला हुआ है। देश में डेरा के करीब 46 आश्रम हैं और उसकी शाखाएं अमेरिका, कनाडा और इंग्लैंड से लेकर ऑस्ट्रेलिया और यूएई तक फैली हुई हैं। दुनियाभर में इसके करीब पांच करोड़ अनुयायी हैं, जिनमें से 25 लाख अकेले हरियाणा में ही मौजूद हैं।

रॉकस्टार गुरमीत राम रहीम सिंह

अपने समर्थकों के बीच नाचते-गाते और झूम-झूमकर थिरकते बाबा राम रहीम का नाम यूं तो पिछले करीब दो दशकों से देश और विदेश में गूंज रहा है। यही कारण है कि वे अपने अनुयायियों के बीच एक संत होने के साथ एक 'रॉक स्टार' भी हैं। राजनीति के क्षेत्र में भी पंजाब और हरियाणा में डेरा को एक बड़ी ताकत माना जाता है और यही वजह है कि ग्राम पंचायत से लेकर लोकसभा के चुनाव तक सभी दलों के नेता बाबा से समर्थन की आस लगाकर उनकी शरण में आते रहे हैं।

शाह सतनाम सिंह मस्ताना की विरासत को गुरमीत राम रहीम सिंह ने अपने कार्यकाल में कई गुना बढ़ा दिया। उन्होंने सर्वधर्म के प्रतीक के रूप में अपने नाम के साथ राम, रहीम, सिंह जोड़ा। जब डेरा प्रमुख ने सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी का वेष धारण किया तो सिखों का गुस्सा फूट पड़ा। फलस्वरूप पंजाब में कई दिनों तक सांप्रदायिक तनाव बना रहा।

डेरा सच्चा सौदा से जुड़े विवाद

24 अक्टूबर 2002 को सिरसा के सांध्य दैनिक के संपादक रामचंद्र छत्रपति पर कातिलाना हमले का आरोप। छत्रपति को घर से बुलाकर पांच गोलियां मारी गई। साध्वी से यौन शोषण और रणजीत की हत्या पर खबर प्रकाशित करने के कारण उन पर हमला हुआ।

400 साधुओं को नपुंसक बनाने के मामले की भी चल रही सीबीआई जांच। साधुओं को ईश्वर से मिलाने के नाम पर उनके अंडकोष काटकर नपुंसक बनाए जाने का आरोप है। सीबीआई इस मामले की सात से ज्यादा सील बंद रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश कर चुकी है। हंसराज चौहान की याचिका पर केस दर्ज हुआ।

डेरे के पूर्व मैनेजर फकीर चंद 1991 में गायब हो गए थे। हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया गया कि फकीर चंद को डेरा प्रमुख ने गायब कराया। यह मामला भी सीबीआई के पास जांच के लिए आया।

पंजाब पुलिस ने डेरा प्रमुख के खिलाफ धार्मिक भावना आहत करने के आरोप में बठिंडा में मामला दर्ज किया। खालसा दीवान और श्रीगुरु सभा बठिंडा के अध्यक्ष राजिंदर सिंह सिद्धू की शिकायत पर केस दर्ज हुआ।

मिलिट्री इंटेलीजेंस की रिपोर्ट पर हाईकोर्ट ने लिया था संज्ञान। आरोप था कि पूर्व सैनिक डेरे में अनुयायियों को सैनिक ट्रेनिंग दी जा रही है।

साध्वी यौन शोषण

डेरा प्रमुख पर आने वाले सीबीआईकोर्ट के फैसले के मद्देनजर हरियाणा और पंजाब सरकारों की सांसें फूली हुई हैं।

पिछले कई चुनाव में डेरा प्रमुख के एक इशारे ने हरियाणा और पंजाब में सरकारें बनाने-बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाई है। चुनाव में किस पार्टी का समर्थन करना है और किसकी अनदेखी की जानी है, इसका निर्णय हालांकि डेरा प्रमुख स्वयं करते हैं, लेकिन इशारा डेरे की राजनीतिक विंग की तरफ से आता है, जिसके बाद डेरा अनुयायी मतदान करते हैं।

पिछले चुनाव में हरियाणा में डेरे ने भाजपा का समर्थन किया था, जिसके बाद दो दर्जन सीटों पर भाजपा उम्मीदवार जीत की स्थिति में पहुंच पाए थे। हरियाणा और पंजाब दो राज्य ऐसे हैं, जहां डेरे का पूरा दखल और प्रभाव है। 2007 के विधानसभा चुनाव में डेरा सच्चा सौदा ने पंजाब में कांग्रेस का समर्थन कर मालवाक्षेत्र में इस पार्टी को बढ़त दिलाई थी। 2014 के विधानसभा चुनाव में डेरे ने हरियाणा में भाजपा का समर्थन किया था, जबकि पंजाब में भी इसी पार्टी के प्रति नरम मिजाज दिखाया। पंजाब के मालवा क्षेत्र में 13 जिले आते हैं, जिनमें पांच दर्जन विधानसभा सीटें हैं।

हरियाणा की 36 विधान सभा सीटों पर प्रभाव

हरियाणा के नौ जिलों की करीब तीन दर्जन विधानसभा सीटों पर डेरे का पूरा दखल रखता है। हरियाणा में 15 से 20 लाख अनुयायी डेरे से जुड़े हैं, जिनके नियमित सत्संग होते हैं। ऐसे में यदि कोई भी सरकार विपरीत कार्रवाई करती है तो उसे राजनीतिक नुकसान का डर हमेशा सताता रहता है। प्रदेश में सिरसा, हिसार, फतेहाबाद, कैथल, जींद, अंबाला, यमुनानगर और कुरुक्षेत्र जिले ऐसे हैं, जहां डेरा सच्चा सौदा का पूरा असर महसूस किया जा सकता है।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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