TRENDING TAGS :
पासवान के नाम पर दो बार बना सर्वाधिक मतों से जीतने का विश्व रिकाॅर्ड
पासवान पहली बार चुनावी राजनीति में उतरे और 1969 में विधानसभा का चुनाव जीतकर विधायक बन गए। पर इस जीत के बाद पासवान की राजनीति में ठहराव आ गया।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ: कई सरकारों में केंद्रीय मंत्री रहे रामविलास पासवान राजनीति में नहीं आना चाहते थे बल्कि उनकी दिली ख़्वाहिश एक पुलिस अधिकारी बनने की थी। एमए और एलएलबी करने के बाद उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी भी शुरू कर दी थी। पर समाजवादी नेता रामसजीवन के सम्पर्क में आने के बाद उनकी दिशा राजनीति की तरफ मुड़ गयी।
पासवान पहली बार चुनावी राजनीति में उतरे और 1969 में विधानसभा का चुनाव जीतकर विधायक बन गए। पर इस जीत के बाद पासवान की राजनीति में ठहराव आ गया। इसके बाद जब संसोपा का विघटन हुआ तो वे लोकदल से जुड़ गए। 1974 में जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में शामिल हुए और देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की इमरजेंसी का विरोध किया। आपातकाल के विरोध में वह जेल भी गए।
पासवाने ने बनाया विश्व रिकार्ड
आपातकाल के बाद जब जनता पार्टी का गठन हुआ तो उसके टिकट पर हाजीपुर से सांसद बन गए। हाजीपुर लोकसभा सीट पासवान की पसंदीदा सीट थी। इसी सीट पर चुनाव जीतकर उन्होंने सबसे अधिक मतों से जीतने का रिकार्ड बनाया था। पहले लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार बालेश्वर राम को 4 लाख 25 हजार 545 मतों के विशाल अंतर से हराकर विश्व रिकार्ड बनाया।
ये भी पढ़ें...राजनीति में आने से पहले बिहार प्रशासनिक सेवा के अफसर थे पासवान
गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल हुआ नाम
इसके बाद 1989 के लोकसभा चुनाव में रामविलास पासवान फिर हाजीपुर लोकसभा सीट पर उम्मीदवार बने। इस बार यहां की जनता ने उनको और भी हाथ हाथ लिया। इस चुनाव में रामविलास पासवान ने सर्वाधिक मतों से जीत के के अपने ही पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिया। उन्होंने कांग्रेस के महावीर पासवान को 5 लाख 4 हजार 448 मतों के विशाल अंतर से हराया। देश में इसके पहले कभी कोई इतने मतों के अंतर से नहीं जीता था। इस तरह रामविलास पासवान देश के एक मात्र नेता थे जिन्होंने सर्वाधिक मतों से जीतने का दो बार रिकॉर्ड बनाया। इस उपलब्धि के लिए उनका नाम गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया।
ये भी पढ़ें...हवा का रुख भांपने में माहिर थे पासवान, छह पीएम की कैबिनेट में रहे मंत्री
रामविलास पासवान 1989 में जनता दल में शामिल हुए तो वीपी सिंह सरकार में मंत्री बने। इस बीच राव सरकार देवेगौडा और गुजराल सरकार के अलावा अटल सरकार में भी वह केन्द्रीय मंत्री बने। इसके बाद जब पार्टी में टूटफूट हुई तो वर्ष 2000 में उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया। कई वर्षों तक पार्टी का सफल संचालन करने के बाद उन्होंने अपने बेटे चिराग पासवान को 2019 में पार्टी की कमान सौंप दी।
ये भी पढ़ें...बिहार की राजनीति का बड़ा सितारा हुआ दुनिया से लुप्त, ऐसा रहा सियासी सफर
दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।