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Delhi News: आप सरकार ने नियमों को तोड़कर की हैं नियुक्तियां: बिधूड़ी
Delhi News: नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने पिछले आठ सालों में दिल्ली सरकार द्वारा की गई नियुक्तियों की व्यापक जांच के लिए उपराज्यपाल से मांग की है।
Delhi News: दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने उपराज्यपाल से मांग की है कि पिछले आठ सालों में दिल्ली सरकार द्वारा की गई नियुक्तियों की व्यापक जांच कराई जाए। उन्होंने कहा कि दिल्ली की एक अदालत द्वारा जिस तरह दिल्ली महिला आयोग में नियुक्तियों पर आरोप तय किए गए हैं, उससे इन नियुक्तियों की जांच कराना जरूरी हो गया है।
बिधूड़ी ने कहा है कि राउज एवेन्यू की विशेष अदालत ने 2015-16 में दिल्ली महिला आयोग द्वारा बिना किसी इंटरव्यू के और बिना कोई विज्ञापन निकाले 90 नियुक्तियों पर सवाल खड़े किए हैं और इन्हीं नियुक्तियों पर महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल और तीन अन्य पर आरोप तय करने का आदेश दिया है। इसके बाद अब दिल्ली सरकार द्वारा की गई सारी भर्तियां शक के घेरे में आ गई हैं।
नियम-कायदे ताक पर रखकर दी नौकरियां
उन्होंने कहा कि अदालत ने साफतौर पर माना है कि आम आदमी पार्टी से जुड़े लोगों को न केवल सारे नियम-कायदे ताक पर रखकर नौकरियां दी गई, बल्कि मनमाने ढंग से उनका वेतन भी दुगुना कर दिया गया। यही नहीं, यह कदम उठाते हुए दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल और अन्य तीन आरोपियों ने कहीं से मंजूरी लेना भी जरूरी नहीं समझा। विधूड़ी ने कहा कि चूंकि नियुक्त किए गए सभी लोग आम आदमी पार्टी से जुड़े हुए हैं, इसलिए यह सब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जानकारी के बिना संभव नहीं हो सकता।
आप ने अपने ही कार्यकर्ताओं को दे दी नौकरी
बिधूड़ी ने याद दिलाया कि दिल्ली सरकार के कामकाज की जांच करने वाली शुंगलू कमेटी ने 2017 जब रिपोर्ट दी थी तो यही कहा था कि आम आदमी पार्टी के 400 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को आप सरकार के आने के बाद बिना किसी इंटरव्यू और विज्ञापन के नौकरी दी गई। इन सभी को दिल्ली सचिवालय में भर्ती किया गया था। यही नहीं, उन्हें बिना किसी अनुमति के विदेशी दौरों पर भेजा गया, वेतन में बढ़ोतरी की गई और सरकारी मकान तक दिए गए।
बिधूड़ी ने उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना से जांच का अनुरोध करते हुए कहा है कि अब स्वाति मालीवाल और महिला आयोग के तीन अन्य सदस्यों के खिलाफ जिस तरह अदालत ने आरोप तय किए हैं, उससे सभी नियुक्तियों की फिर से उच्चस्तरीय जांच की जरूरत है।