रतन टाटा : एक व्यवसायी, जिनसे सब करते हैं प्यार

Ratan Tata : रतन टाटा की सफलता की कहानी ने भारत की अर्थव्यवस्था को गहराई से प्रभावित किया है। रतन टाटा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचाने जाने वाले भारतीय व्यवसायी लीडरों में से एक हैं।

Neel Mani Lal
Published on: 9 Oct 2024 3:40 PM GMT (Updated on: 9 Oct 2024 3:40 PM GMT)
रतन टाटा : एक व्यवसायी, जिनसे सब करते हैं प्यार
X
रतन टाटा (Pic - Social Media)

Ratan Tata : 140 करोड़ से ज़्यादा की आबादी वाले हमारे देश में रतन टाटा से ज़्यादा प्रभावशाली व्यवसायी बहुत ही कम हुए हैं। 86 वर्षीय रतन टाटा न सिर्फ एक बड़े व्यवसायी बल्कि एक महान परोपकारी व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं।

रतन टाटा की सफलता की कहानी ने भारत की अर्थव्यवस्था को गहराई से प्रभावित किया है। रतन टाटा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचाने जाने वाले भारतीय व्यवसायी लीडरों में से एक हैं। वह दो दशकों से ज़्यादा समय तक 'टाटा ग्रुप' के अध्यक्ष रहे। 2012 में 75 साल की उम्र में उन्होंने एक्टिव ड्यूटी से रिटायरमेंट ले लिया था।

विवादों से हमेशा दूर

टाटा एक ऐसे दिग्गज व्यवसायी रहे हैं, जिनके साथ कोई बड़ा विवाद नहीं रहा है। अपने व्यावसायिक कौशल, दूरदर्शिता और मज़बूत कार्य नैतिकता के लिए मशहूर रतन टाटा ने अपने पारिवारिक व्यवसाय को एक अंतरराष्ट्रीय साम्राज्य में बदल दिया। उनके कार्यकाल के दौरान, टाटा ग्रुप का राजस्व कई गुना बढ़ा। जो 2011-12 में कुल $100 बिलियन से ज़्यादा हो गया।

विश्वास का नाम

भारत में टाटा एक ऐसा ब्रांड है जो लगभग हर जगह मिलेगा। शायद ही कोई व्यक्ति हो जिसने टाटा के प्रोडक्ट या सर्विस का इस्तेमाल न किया हो। टाटा नमक से लेकर टाटा मोटर्स तक टाटा ग्रुप के पास सब कुछ है। टाटा शायद भारत का सबसे सर्वव्यापी ब्रांड है। लेकिन यह यात्रा आसान नहीं रही है। बिजनेस में तमाम बाधाओं के बावजूद, रतन टाटा ने दुर्लभ साहस दिखाया, रिस्क लिए और बड़े बड़े अधिग्रहण किए।

1991 में जब रतन टाटा ने जेआरडी टाटा से टाटा संस के अध्यक्ष और टाटा ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला, तो उन्होंने टाटा समूह का पुनर्गठन उस समय शुरू किया जब भारतीय आर्थिक उदारीकरण चल रहा था। रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप के विकास और वैश्वीकरण अभियान ने गति पकड़ी और नई सहस्राब्दी में टाटा द्वारा कई हाई-प्रोफाइल अधिग्रहण किए गए। इनमें 431.3 मिलियन डॉलर में टेटली, 11.3 बिलियन डॉलर में कोरस, 2.3 बिलियन डॉलर में जगुआर लैंड रोवर, 102 मिलियन डॉलर में ब्रूनर मोंड, जनरल केमिकल इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स और देवू शामिल हैं।

रतन टाटा के शानदार नेतृत्व में इन साहसिक कदमों ने टाटा ग्रुप को 100 से अधिक देशों में अपनी पहुंच बनाने में मदद की, जिससे भारतीय औद्योगिक क्षेत्र को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिला। उन्हें "टाटा" को बड़े पैमाने पर भारत की कंपनी से ग्लोबल व्यवसाय में बदलने का श्रेय दिया जाता है। टाटा ग्रुप ने दुनिया भर में होटल, केमिकल कंपनियाँ, कम्युनिकेशन नेटवर्क और एनर्जी कंपनियां भी खरीदीं।

इसके अलावा, एयर इंडिया को टाटा के पाले में वापस लाना व्यापक रूप से उनके पूर्वजों के सम्मान के रूप में देखा गया, क्योंकि इसकी स्थापना उनके चाचा और गुरु जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा ने 1932 में की थी।

रतन टाटा ने एक बार कहा था - "सबसे बड़ा जोखिम कोई जोखिम न उठाना है। एक ऐसी दुनिया में जो तेज़ी से बदल रही है, एकमात्र रणनीति जो विफल होने की गारंटी है, वह है जोखिम न उठाना।"

Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

Next Story