×

Ratan Tata Biography: भारत के ‘रत्न’ टाटा हैं जीवन जीने के प्रेरणा स्त्रोत, दूसरों के लिए रहा इनका पूरा जीवन

Ratan Tata Jivan Parichay In Hindi: रतन टाटा एक दूरदर्शी, ईमानदार और विनम्र इंसान थे। काम के अलावा अपने स्वभाव से भी उन्होंने देश और दुनिया में अमिट छाप छोड़ी है।

AKshita Pidiha
Written By AKshita Pidiha
Published on: 28 Dec 2024 9:27 AM IST
Ratan Tata Jivan Parichay In Hindi
X

Ratan Tata Jivan Parichay In Hindi

Ratan Tata Ka Jivan Parichay In Hindi: "सफलता वही है जो दूसरों के जीवन को बेहतर बनाए।" यह कथन रतन टाटा (Ratan Tata) के जीवन और दृष्टिकोण को सटीक रूप से परिभाषित करती है। भारत के सबसे प्रतिष्ठित उद्योगपतियों (India's Most Successful Industrialists) में से एक, रतन टाटा ने अपनी दूरदृष्टि, ईमानदारी और विनम्रता से देश और दुनिया में अमिट छाप छोड़ी है। उनका जीवन संघर्ष, उपलब्धियों और समाज सेवा का अनुपम उदाहरण है। आज उनका जन्मदिन है , आइए उनके जीवन को जानने की कोशिश करते हैं।

प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि, जन्म और परिवार (Ratan Tata Biography In Hindi)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

रतन नवल टाटा का जन्म 28 दिसंबर, 1937 को मुंबई में हुआ। वे भारत के सबसे प्रतिष्ठित औद्योगिक टाटा परिवार (Tata Family) के सदस्य रहें। उनके दादा जमशेदजी टाटा, भारतीय उद्योग के पितामह माने जाते हैं। हालांकि, रतन टाटा का जीवन उतना सहज नहीं था जितना दिखता है। उनके पिता नवल टाटा ने रतन और उनके भाई जिमी टाटा को गोद लिया था। उनके माता-पिता का तलाक तब हुआ, जब रतन केवल 10 साल के थे। इसके बाद उनकी परवरिश उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने की।

बचपन का संघर्ष (Ratan Tata Struggles)

पारिवारिक अस्थिरता के कारण उनका बचपन कई चुनौतियों से भरा था। लेकिन इन कठिनाइयों ने उन्हें मजबूत और सहिष्णु बनाया। वे हमेशा कहते हैं कि उनकी दादी ने उन्हें अच्छे संस्कार और समाज के प्रति जिम्मेदारी का महत्व सिखाया।

शिक्षा और प्रारंभिक करियर (Ratan Tata Education And Career)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई (Ratan Tata Education Qualification)

रतन टाटा ने अपनी शुरुआती शिक्षा मुंबई के कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल से प्राप्त की। वे एक अंतर्मुखी और मेहनती छात्र थे। इसके बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए। उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। 1975 में उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया।

अमेरिका में अनुभव (Ratan Tata Career)

कॉर्नेल से स्नातक करने के बाद, रतन टाटा ने अमेरिका में कुछ समय तक काम किया। वे एक आर्किटेक्चर फर्म में नौकरी कर रहे थे। लेकिन भारत के प्रति उनके दायित्व ने उन्हें वापस आने के लिए प्रेरित किया।

टाटा समूह में योगदान, शुरुआत और नेतृत्व

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

1961 में, रतन टाटा ने टाटा समूह (Tata Group) में शामिल होकर अपने करियर की शुरुआत की। उन्हें टाटा स्टील के जमशेदपुर प्लांट में काम करने का मौका मिला, जहाँ उन्होंने श्रमिकों के साथ मिलकर कठिन परिस्थितियों में कार्य किया। यह अनुभव उनके नेतृत्व की नींव बना।

टाटा समूह का नेतृत्व

1991 में, रतन टाटा को टाटा समूह का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने अभूतपूर्व ऊँचाइयाँ हासिल कीं।

प्रमुख उपलब्धियाँ (Ratan Tata Major Achievements)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

टाटा इंडिका: भारत की पहली स्वदेशी कार, जिसने देश को गर्व महसूस कराया।

टाटा नैनो: दुनिया की सबसे सस्ती कार, जो आम आदमी के लिए बनी।

जगुआर और लैंड रोवर का अधिग्रहण: 2008 में इस ऐतिहासिक अधिग्रहण ने टाटा मोटर्स को वैश्विक पहचान दिलाई।

टेटली का अधिग्रहण: टाटा चाय ने ब्रिटिश ब्रांड टेटली का अधिग्रहण किया, जो उस समय का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण था।

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS): यह आज भारत की सबसे मूल्यवान आईटी कंपनी है।

भारत के लिए योगदान

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

रतन टाटा ने भारत के उद्योग और समाज के लिए अनेक योगदान दिए। उनका मानना है कि एक उद्योगपति का कर्तव्य केवल मुनाफा कमाना नहीं, बल्कि समाज की भलाई करना है।टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से उन्होंने सैकड़ों स्कूल और अस्पतालों की स्थापना की। ग्रामीण विकास के लिए भी कई योजनाएँ चलाईं। टाटा समूह ने लाखों भारतीयों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार दिया।

उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने भारत को दुनिया भर में सम्मान और पहचान दिलाई। 2008 मुंबई आतंकी हमला के बाद, उन्होंने टाज होटल के कर्मचारियों और पीड़ित परिवारों की व्यक्तिगत रूप से मदद की।कोविड-19 महामारी में उन्होंने टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से करोड़ों रुपये का दान दिया।वे हमेशा अपनी कमाई का 60 फीसदी ट्रस्ट को सौंप देते हैं।

रतन टाटा का व्यक्तित्व (Ratan Tata Personal Life)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

विनम्रता और सादगी

रतन टाटा अपने सरल और सादगी भरे जीवन के लिए जाने जाते हैं।वे अपने अंतिम समय में भी एक साधारण अपार्टमेंट में रहते थे। दिखावे से दूर रहकर, उन्होंने अपनी सफलता को समाज सेवा के लिए समर्पित किया।

शादी क्यों नहीं की (Ratan Tata Marriage)

रतन टाटा ने कभी शादी नहीं की। उन्होंने बताया कि चार बार उनकी शादी होते-होते रह गई। इसके पीछे उनकी पारिवारिक जिम्मेदारियाँ और निजी प्राथमिकताएँ थीं।

उनका दिल और सोच

रतन टाटा हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तत्पर रहते रहे हैं। वे अपने कर्मचारियों और समाज के प्रति बेहद संवेदनशील रहे हैं। उनके अनुसार, "सच्ची सफलता दूसरों के जीवन में बदलाव लाने में है।"

दिलचस्प बातें और विवाद (Ratan Tata Interesting Facts And Controversies)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

रतन टाटा को हवाई जहाज उड़ाने का शौक था। वे एक प्रशिक्षित पायलट थे। उन्हें कुत्तों से बेहद लगाव था। उनके पास घर में एक कुत्ता भी पला हुआ था। जब रत्न टाटा की मौत हुई तो उनके कुत्ते ने भी कई दिनों तक खाना नहीं खाया था। वे सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते थे। और युवाओं को प्रेरित करते थे। रतन टाटा बचपन में रोल्स रॉयस गाड़ी से स्कूल जाया करते थे। मुंबई के कैंपियन और कैथेड्रल स्कूल में उनकी पढ़ाई हुई। स्कूल के दौरान उन्होंने पियानो बजाना और क्रिकेट खेलना सीखा। रतन टाटा को बुक लवर कहा जाता था और उन्हें सक्सेस स्टोरीज़ पढ़ना काफी पसंद था।

बचपन से ही रतन टाटा का स्वभाव कम बातचीत करने वाला रहा है। वे अपने सहयोगियों से भी केवल औपचारिक बातचीत करना पसंद करते थे। उनकी हॉबीज़ उनके व्यक्तित्व की गहराई को दर्शाते थी। रतन टाटा का मानना है कि सफलता का अर्थ दूसरों की मदद करना है।

कार प्रेम और उपलब्धियाँ

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

रतन टाटा का ध्यान केवल अपनी कंपनी Tata Motors तक सीमित नहीं था। वे खुद भी लग्ज़री कारों के शौकीन थे। उनके कार कलेक्शन में कई शानदार और विदेशी मॉडल शामिल है। ।उनकी उपलब्धियों को देश और विदेश में व्यापक मान्यता मिली है। उन्हें कई प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, जिनमें पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान शामिल हैं।

अकेलापन और उनके विचार (Ratan Tata Thoughts)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

रतन टाटा ने अपने जीवन में अकेलेपन के अनुभव को लेकर कहा है कि यह एक ऐसा पहलू है, जो कई बार इंसान को मजबूत बनाता है। लेकिन इसके साथ संतुलन बनाना भी जरूरी है। उन्होंने एक बार किसी इंटरव्यू में कहा था कि जब तक आप इससे नहीं मिलते हैं आप नहीं समझ सकते हैं।

वरिष्ठ नागरिकों के लिए योगदान

रतन टाटा ने हमेशा समाज के कमजोर और जरूरतमंद वर्गों के लिए काम किया है। खासकर वरिष्ठ नागरिकों की भलाई के लिए उन्होंने कई पहल की हैं। उन्होंने ‘स्टार्टअप गुड फेलोज’ की शुरुआत की, जहाँ वरिष्ठ नागरिक सुरक्षित और सुविधाजनक जीवन जी सकते हैं।

विवाद

रतन टाटा का नाम बहुत कम विवादों में आया। हालांकि, 2जी स्पेक्ट्रम मामले में टाटा टेलीसर्विसेज का नाम आया था। लेकिन उनकी ईमानदारी पर कभी सवाल नहीं उठे।

कुत्तों से था गहरा लगाव

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

रतन टाटा को जानवरों से गहरा लगाव था, विशेषकर कुत्तों से। उनके पास एक जर्मन शेफ़र्ड कुत्ता था, जिसका नाम टीटो था। टीटो की मृत्यु के बाद, उन्होंने एक आवारा कुत्ते को गोद लिया और उसे भी टीटो नाम दिया। रतन टाटा ने अपनी वसीयत में टीटो की आजीवन देखभाल का प्रावधान किया था।

उनके पास एक और कुत्ता था, जिसका नाम गोवा था। गोवा को रतन टाटा ने तब गोद लिया था जब वे गोवा में थे। एक आवारा कुत्ता उनका पीछा करने लगा और उन्होंने उसे अपनाने का फैसला किया। गोवा, टाटा समूह के मुख्यालय बॉम्बे हाउस में रहता था और रतन टाटा के अंतिम संस्कार में भी शामिल हुआ था, जो उनके प्रति गोवा के गहरे लगाव को दर्शाता है।

रतन टाटा को आवारा जानवरों से विशेष लगाव था। उन्होंने मुंबई के ताज होटल के दरवाज़े हमेशा खुले रखने का आदेश दिया था ताकि आवारा जानवर वहां आराम कर सकें। टाटा समूह के मुख्यालय बॉम्बे हाउस में भी आवारा जानवरों के लिए सुरक्षित आश्रय बनाया गया है।

उन्होंने जानवरों की भलाई के लिए कई कदम उठाए। रतन टाटा ने अपने ऑफिस में खोए हुए और घायल कुत्तों के लिए एक विशेष ईमेल आईडी बनाई थी, ताकि उनकी मदद की जा सके। इसके अतिरिक्त, उन्होंने आवारा जानवरों की देखभाल के लिए एक स्मॉल एनिमल हॉस्पिटल भी बनवाया, जो उनके संवेदनशील और दयालु व्यक्तित्व का परिचायक है।

टाटा समूह की कंपनियाँ (Tata Group Companies)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

टाटा मोटर्स

टाटा स्टील

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS)

टाटा पावर

टाटा चाय (टेटली)

टाटा कम्युनिकेशंस

जगुआर लैंड रोवर

टाटा कैपिटल

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

यह बात अक्सर कही जाती है कि वे अपने से कम उम्र के लोगों के साथ अधिक घनिष्ठता रखते थे। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जो उनके व्यक्तित्व और सोच को दर्शाते हैं:

1. युवाओं से नई ऊर्जा मिलती थी

रतन टाटा हमेशा नई सोच और दृष्टिकोण को महत्व देते थे। उनका मानना था कि युवा पीढ़ी में नई ऊर्जा, रचनात्मकता और प्रगतिशील विचार होते हैं, जो उन्हें प्रेरित करते थे। वे नई तकनीकों और विचारों को समझने और अपनाने के लिए उत्सुक रहते थे, जो युवाओं के साथ उनकी दोस्ती को और मजबूत बनाता था।

2. सहजता और विनम्रता

रतन टाटा एक बेहद विनम्र और सरल व्यक्ति थे। वे पद या उम्र के आधार पर किसी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं करते थे। उनके लिए दोस्ती का आधार आपसी सम्मान और समझ थी। इसलिए, उम्र उनके लिए मायने नहीं रखती थी।

3. नई पीढ़ी के विचारों को समझने की चाह

टाटा हमेशा भविष्य की ओर देखने वाले व्यक्ति रहे हैं। वे तकनीक, व्यापार और समाज के बदलते रुझानों को समझने के लिए युवाओं से जुड़ना पसंद करते थे। उनके साथ समय बिताकर वे नई सोच और बदलते दौर को समझने की कोशिश करते थे।

4. मधुर और सरल स्वभाव

उनका स्वभाव बेहद दोस्ताना था। रतन टाटा ने अपने जीवन में पद, शक्ति और सामाजिक स्थिति से ऊपर उठकर रिश्तों को महत्व दिया। युवाओं के साथ उनका रिश्ता इस बात का प्रमाण है कि वे दिल से कितने सरल और मिलनसार व्यक्ति थे।

5. स्वस्थ संवाद और नई सीख

रतन टाटा मानते थे कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। युवाओं के साथ बातचीत करके वे नई चीज़ें सीखते और अपनी सोच को अद्यतन रखते थे। यह उनका जीवन और व्यवसाय के प्रति दृष्टिकोण था, जिसने उन्हें दूसरों से अलग बनाया।

6. दबाव या प्रतिस्पर्धा से दूर

उम्र में बड़े या समकक्ष लोगों के साथ संबंधों में अक्सर पेशेवर प्रतिस्पर्धा या सामाजिक दबाव का भाव हो सकता है। कम उम्र के दोस्तों के साथ वे बिना किसी दबाव के सहज और सरल तरीके से बातचीत कर पाते थे।

7. प्रेरणादायक बनने की चाह

रतन टाटा युवाओं को प्रेरित करना चाहते थे। उनके साथ समय बिताकर वे न केवल उनकी ऊर्जा और विचारों को समझते थे, बल्कि उन्हें अपने अनुभवों से भी प्रेरित करते थे। इस तरह की परस्पर समझ उनके रिश्तों को और मजबूत बनाती थी।

8. युवाओं की समस्याओं को समझना

युवाओं के साथ दोस्ती करने से उन्हें नई पीढ़ी की चुनौतियों और आकांक्षाओं को समझने का मौका मिलता था। यह उनकी सोच का हिस्सा था कि वे केवल उद्योग के लिए नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए प्रासंगिक बने रहें।

रतन टाटा का सपना और अंतिम इच्छा (Ratan Tata Last Wish)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

रतन टाटा का सपना रहा कि भारत आत्मनिर्भर और प्रगतिशील बने। वे एक ऐसा समाज बनाना चाहते थे, जहाँ हर व्यक्ति को समान अवसर मिले। उनकी अंतिम इच्छा थी कि टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से समाज सेवा का कार्य जारी रहे। रतन टाटा के जीवन और व्यक्तित्व का एक बेहद दिलचस्प पहलू उनकी दोस्ती और सामाजिक जीवन है।

इस साल ही उन्होंने अपना अंतिम वोट दिया था। वे लोकतंत्र के प्रति जिम्मेदार नागरिक रहे हैं। 09 अक्टूबर, 2024 को उन्होंने मुंबई में आखिरी सांस ली। रतन टाटा का जीवन हमें सिखाता है कि सच्ची सफलता विनम्रता, ईमानदारी, और दूसरों की सेवा में है। उनके जन्मदिन पर हम उनके योगदान का सम्मान करते हैं और उनसे प्रेरणा लेकर एक बेहतर समाज बनाने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

"रतन टाटा केवल एक नाम नहीं, बल्कि एक सोच है जो हमें बताती है कि असली धन केवल कमाई नहीं, बल्कि समाज की भलाई में है।"



Shreya

Shreya

Next Story