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Newspaper Use For Food: अखबार पढ़ो, उसमें खाओ नहीं!

Newspaper Use For Food:खाने का सामान बेचने वाले अखबार के टुकड़े में खाने का सामान पैक करते हैं, परोस देते हैं। कबाब-पराठे या रोल बेचने वाले हों या जलेबी-समोसा बेचने वाले –जगह जगह यही हाल है।

Neel Mani Lal
Published on: 3 Oct 2023 10:23 PM IST
Read newspaper, dont eat in it
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अखबार पढ़ो, उसमें खाओ नहीं!: Photo- Social Media

Newspaper Use For Food: खाने का सामान बेचने वाले अखबार के टुकड़े में खाने का सामान पैक करते हैं, परोस देते हैं। कबाब-पराठे या रोल बेचने वाले हों या जलेबी-समोसा बेचने वाले –जगह जगह यही हाल है। कई फ़ूड स्टाल वाले तो पेपर नैपकिन की जगह अखबार का टुकड़ा ही थमा देते हैं। ये कोई आज की बात नहीं बल्कि दशकों से यही होता चला आ रहा है। पहले भी कई बार एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि अखबारी स्याही सेहत के लिए बहुत खतरनाक हो सकती है और अब एफएसएसएआई ने फूड वेंडर्स से अपील की है कि वे खाने की चीजों को अखबारों पर ना परोसें।

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने पूरे भारत में उपभोक्ताओं और खाद्य विक्रेताओं से आग्रह किया कि वे खाने की चीजों की पैकिंग, परोसने और भंडारण के लिए अखबारों का इस्तेमाल तुरंत बंद कर दें। एफएसएसएआई का कहना है कि अखबारों में इस्तेमाल की जाने वाली स्याही में कुछ ऐसे केमिकल होते हैं जो कई तरह के स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकते हैं।

क्या है दिक्क्त

एफएसएसएआई के मुताबिक प्रिंटिंग स्याही में विभिन्न बायोएक्टिव सामग्रियां होती हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं। स्याही में सीसा (लेड) और भारी धातुओं जैसे रसायन हो सकते हैं जो परोसे गए या अखबार में लपेटे गए भोजन के जरिए इंसान के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। ये कैंसर का कारण बन सकते हैं। एफएसएसएआई ने चेतावनी दी है कि वितरण के दौरान अखबारों को अक्सर विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जिससे वे बैक्टीरिया, वायरस या अन्य रोगजनकों द्वारा संदूषित हो सकते हैं, जो भोजन में ट्रांसफर हो सकते हैं और संभावित रूप से खाद्य जनित बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

बीमारियों का कारण बन सकते हैं अखबार

एफएसएसएआई ने खाद्य सुरक्षा और मानक (पैकेजिंग) नियम, 2018 को अधिसूचित किया है जो भोजन के स्टोरेज और लपेटने के लिए अखबार या इसी तरह की सामग्री के उपयोग पर सख्ती से प्रतिबंध लगाता है। इस नियम के मुताबिक उपभोक्ताओं और विक्रेताओं को खाद्य वस्तुओं को ढकने या परोसने के लिए अखबार के पन्नों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। यही नहीं नियम कहता है कि समोसा या पकौड़े जैसे तले हुए खाद्य पदार्थों से अतिरिक्त तेल सोखने के लिए अखबारों का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। लेकिन पूरे देश में लाखों स्ट्रीट फूड वेंडर्स इस नियम की धज्जियां उड़ाते दिख जाएंगे। एक अनुमान के मुताबिक भारत में हर दिन अखबारों की 22 करोड़ कॉपियां प्रिंट होती हैं। इनमें से लाखों कॉपियां खाना, चाट, पकौड़े, रोटी और स्नैक्स परोसने या पैक करने में इस्तेमाल होती हैं। एफएसएसएआई का कहना है कि गरम पराठे, समोसे, कचौड़ी और पकौड़े जैसी चीजें अखबार पर रखने से उसकी स्याही लग जाती है और खाने के साथ ही शरीर में चली जाती है, जिससे इंसान को कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।

एडवाइजरी में यह भी कहा गया है कि रीसायकल कागज से बने कागज/कार्डबोर्ड बक्से भी हानिकारक रसायनों से दूषित हो सकते हैं जो पाचन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं और गंभीर विषाक्तता भी पैदा कर सकते हैं। बूढ़े लोगों, किशोरों, बच्चों और कमजोर महत्वपूर्ण अंगों और प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को कैंसर से संबंधित स्वास्थ्य जटिलताओं का खतरा अधिक होता है, अगर वे ऐसी सामग्री में पैक किए गए भोजन के संपर्क में आते हैं।

छपाई में केमिकल

प्रिंटिंग में उपयोग किए जाने वाले रसायन (स्याही, लाख, चिपकने वाले पदार्थ, सफाई करने वाले सॉल्वैंट्स और कई अन्य) ऐसे पदार्थ हैं जिनके संपर्क में आने पर स्वास्थ्य खराब हो सकता है। रसायनों के संपर्क से त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं और रसायन त्वचा के जरिये शरीर में अवशोषित हो सकते हैं और शरीर के अन्य हिस्सों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

- सॉल्वैंट्स और स्याही त्वचा में जलन पैदा कर सकते हैं जिससे स्किंन की बीमारी हो सकती है।

- कुछ उत्पाद त्वचा की एलर्जी और अस्थमा का कारण बन सकते हैं।

- कुछ साल्वेंट चक्कर, उनींदापन लाने के अलावा केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं।

- कुछ सॉल्वैंट्स आंतरिक अंगों (जैसे लीवर/किडनी) को नुकसान पहुंचा सकते हैं यदि उनका संपर्क लंबी अवधि तक रहता है।

स्याही प्रदूषण को कैसे रोकें

स्याही प्रदूषण को रोकने के लिए काफी सतर्क और जागरूक होना जरूरी है। किसी किताब या अखबार की प्रिंटिंग खराब है, स्याही फ़ैल रही है या स्याही की गंध आ रही है तो उसे न खरीदे और न ही इस्तेमाल करें। विशेष रूप से घटिया स्याही का उपयोग करने वाली कुछ सस्ती या पायरेटेड पुस्तकें पढ़ते समय हानिकारक पदार्थ शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होते हैं।

किताब या अखबार पढ़ते समय अच्छी मुद्रा रखें। अपना चेहरा किताब या अखबार के बहुत करीब न रखें। खाना खाते समय अखबार न पढ़ें। स्याही में प्रदूषकों को खाना आसान होता है। भोजन और अन्य वस्तुओं को स्याही से दूषित होने से बचाने के लिए अखबार पढ़ने के तुरंत बाद अपने हाथ को अच्छी तरह से धोएं।

वस्तुओं, विशेषकर भोजन को लपेटने के लिए किताबों और समाचार पत्रों का उपयोग न करें। अखबार में पैक्ड भोजन का प्रयोग न करें। किसी प्लास्टिक बैग या डिब्बे पर छपी फोटो या लिखित पाठ अगर फ़ैल रहे हैं, हाथ में चिपक रहे हैं तो ऐसे बैगों को तुरंत हटा देना चाहिए। किसी बैग या डिब्बे पर कुछ प्रिंट है तो उसे बार-बार उपयोग न करें।

ध्यान रखें कि सिर्फ अखबार या किताबा ही नहीं, पैम्पलेट्स, पर्चे आदि भी सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं अगर उनकी स्याही छूट रही है या हाथ में लग जाती है। सो इनसे भी सतर्क रहें और स्याही लग जाने पर तत्काल हाथ धो लें। इसी तरह प्रिंटर के टोनर की स्याही भी नुकसानदेह हो सकती है सो उसकी महक, निकट संपर्क में आने से बचें और हाथ में स्याही लग जाने पर तुरंत धो लें।



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Shashi kant gautam

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