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BJP: इस वजह से यूपी और महाराष्ट्र में खिसक गया जनाधार, समीक्षा में सामने आए ये कारण
2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को जिन राज्यों में नुकसान हुआ है, उसमें उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र शामिल हैं। दोनों राज्यों में कम सीटें मिलने को लेकर अलग-अलग स्तर पर समीक्षाएं की जा रही हैं। कई रिपोर्ट्स को केंद्रीय नेतृत्व के साथ साझा किया जा चुका है।
Lok sabha Election: 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को यूपी और महाराष्ट्र में बड़ा झटका लगा। दोनों राज्यों में सीटें घटने को लेकर लगातार समीक्षा बैठकें चल रही हैं। राज्यों की इन समीक्षा बैठकों की जानकारी केंद्र से साझा की जा चुकी है, जबकि कई राज्यों में अभी भी बैठकों का दौर चल रहा है।पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिसके जनाधार को लेकर हुई समीक्षा बैठकों और तैयार हुई रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण बिंदु सामने आए हैं। इसी तरह महाराष्ट्र में भी हुई हार की समीक्षा में कई महत्वपूर्ण और चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं।पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में आईं कम सीटों के लिए कई बिंदु सामने आए हैं। इसमें तीन महत्वपूर्ण बिंदु ऐसे हैं जिन पर समीक्षकों की राय यही है कि इनको समय रहते अगर समझा जाता तो शायद आज स्थिति कुछ और होती।
न तो राय ली और न ही मिली मदद
इसमें पहला और महत्वपूर्ण बिंदु यही है कि जिन सांसदों को दोबारा टिकट दिया गया इनके टिकट पर विधायकों की न तो राय मिल सकी और न उनकी ओर से उतनी मदद की गई। इसका परिणाम यह हुआ कि प्रत्याशी चुनाव तो लड़ते रहे, लेकिन उनके क्षेत्र में आने वाले कई विधायकों ने अंदरखाने मजबूती से उनका विरोध किया। पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, हारी हुईं सभी लोकसभा सीटों पर इस बात का आकलन किया जा चुका है कि किस विधायक ने पार्टी के प्रत्याशी का विरोध किया।
विरोध करने का कारण क्या था
सूत्रों के मुताबिक, यह भी जानने की कोशिश की गई कि प्रत्याशियों के विरोध करने का कारण क्या था। क्या तत्कालीन सांसद या प्रत्याशी का व्यवहार उस तरह का नहीं रहा, जिससे उसकी पार्टी के जनप्रतिनिधि मदद करते। ऐसी दशा में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता के साथ-साथ उनका प्रत्याशी के प्रति मदद न करने का रवैया पार्टी के लिए बड़े स्तर पर नुकसानदायक साबित हुआ। इसके अलावा एक महत्वपूर्ण बात यह भी निकल कर सामने आई कि जिस तरीके से संविधान के मामले पर विपक्ष ने दलितों को एकजुट किया, उसमें पार्टी अपना पक्ष मजबूती के साथ नहीं रख सकी।
और दलित वोट बैंक छिटकता चला गया
सूत्रों के मुताबिक जो समीक्षा रिपोर्ट तैयार हुई है, उसमें इस बात का भी जिक्र किया गया है कि संविधान के मामले पर दलित वोट बैंक भाजपा से छिटकता रहा। इस मामले में जो डैमेज कंट्रोल शुरू हुआ वह अंत तक संभाला नहीं जा सका। इसके साथ ही ओबीसी वोटर में भी मजबूत सेंधमारी हुई और इस सेंधमारी का नतीजा यह हुआ कि पार्टी से जुड़े कार्यकर्ता अन्य दलों की ओर चले गए।
अफसरशाही के निरंकुश होने से भी हुआ नुकसान
पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक जो समीक्षा रिपोर्ट तैयार की गई है, उसमें इस बात का भी जिक्र किया गया है कि अफसरशाही के निरंकुश होने से भी पार्टी को अच्छा खासा नुकसान हुआ। इसे लेकर लगातार स्थानीय जनप्रतिनिधियों की ओर से अलग-अलग मौकों पर आवाज भी बुलंद की जाती रही थी। जानकारी के मुताबिक, दो दिन पहले लखनऊ में भाजपा की कोर कमेटी की बैठक हुई थी। उसके बाद तैयार की गई समीक्षा रिपोर्ट को केंद्रीय नेतृत्व के साथ साझा भी किया गया है। पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में हार की वजहों के कारणों पर अगली रणनीति तैयार की जाने लगी है।
यूपी के साथ-साथ महाराष्ट्र में भी भारतीय जनता पार्टी के कमजोर प्रदर्शन की समीक्षा की जा चुकी है। पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी के कमजोर प्रदर्शन की प्रमुख वजहों में सहयोगी दलों के संगठनात्मक स्तर के ढांचे का उतनी मजबूती से न होने की बात सामने आई है। सूत्रों का कहना है कि शिवसेना और एनसीपी ने मजबूती से उनके साथ चुनाव तो लड़ा, लेकिन लोकसभा चुनाव होने तक दोनों दल पूरे प्रदेश में अपने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने की प्रक्रिया से गुजरते रहे। कहा यही जा रहा है कि प्रत्याशियों के चयन से लेकर सहयोगियों की मदद में तो कोई कमी नहीं दिखी। पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो भारतीय जनता पार्टी के लिए भी यह चुनाव अपने संघटनात्मक स्तर को बूथ स्तर पर मजबूत करने के लिहाज से मजबूती से लड़ा जा रहा था। जिसका फायदा भारतीय जनता पार्टी को बूथ स्तर पर मिलता हुआ दिखाई दे रहा है।