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Record Album: लौट आया रिकॉर्ड का जमाना, इतनी जबर्दस्त डिमांड की सप्लाई नहीं हो पा रही
Record album worth money 2022: रिकॉर्ड्स एलबमों की बिक्री में एक साल में दोहरे अंकों की वार्षिक वृद्धि हुई है। निर्माता तेजी से इस उद्योग का पुनर्निर्माण कर रहे हैं ताकि बिक्री के साथ तालमेल बनाए रखा जा सके।
Record Album Worth Money: अगर आप समझते हैं कि सीडी (CD), पेन ड्राइव (pen drive) और ऑनलाइन म्यूजिक स्ट्रीमिंग (online music streaming) ने रिकॉर्डों को खत्म कर दिया है तो ये आपकी गलतफहमी है। काले रंग के वो रिकॉर्ड्स न सिर्फ कायम हैं बल्कि उनकी धमाकेदार वापसी हुई है। आज उनकी इतनी डिमांड हैं कि कंपनियां सप्लाई पूरा नहीं कर पा रही हैं। रिकॉर्ड्स एलबमों की बिक्री में एक साल में दोहरे अंकों की वार्षिक वृद्धि हुई है। निर्माता तेजी से इस उद्योग का पुनर्निर्माण कर रहे हैं ताकि बिक्री के साथ तालमेल बनाए रखा जा सके। रिकॉर्ड्स एलबमों की ग्लोबल बिक्री पिछले साल एक अरब डॉलर तक पहुंच गई थी।
लगातार बढ़ रही मांग
रिकॉर्ड की मांग एक दशक से अधिक समय से दोहरे अंकों में बढ़ रही है। महामारी के दौरान,खासतौर पर अमेरिका (America) और यूरोप (Europe) में संगीत प्रोग्राम रद्द होने और लोगों के घर पर ही अटके रहने के कारण, संगीत प्रेमियों ने रिकॉर्ड एल्बमों को और भी तेज गति से अपनाना शुरू कर दिया था।
रिकॉर्डिंग इंडस्ट्री एसोसिएशन ऑफ अमेरिका (Recording Industry Association of America) के अनुसार, सिर्फ अमेरिका में रिकॉर्ड एल्बम बिक्री राजस्व में 2021 में 61 फीसदी की भारी वृद्धि हुई - और 1980 के दशक के बाद पहली बार एक अरब डॉलर तक पहुंच गई। ये स्पॉटिफ़ और पेंडोरा जैसी ऑनलाइन स्ट्रीमिंग सेवाओं की वृद्धि दर से कहीं अधिक है।
कैसेट और सीडी
पहले कैसेट और फिर कॉम्पैक्ट डिस्क के आने के बाद रिकॉर्ड एल्बम लगभग खत्म ही हो गए थे। रही सही कसर डिजिटल डाउनलोड, ऑनलाइन पायरेसी, आईपॉड ने पूरी कर दी। अब तो स्ट्रीमिंग सेवाएं सर्वव्यापी हैं। रिकॉर्ड के बाद कैसेट और कॉम्पैक्ट डिस्क भी भुला दिए गए।
बेबी बूमर्स ने लौटाया
रिकॉर्ड भले ही खत्म हो रहे थे लेकिन पुराने लोगों यानी बेबी बूमर्स के जेहन में वही बसे हुए थे। काले रिकॉर्ड, उनकी बेहतरीन आवाज़, रिकॉर्ड के मनमोहक कवर, इनको भला कैसे भुला देते। जो नहीं जानते, उनको बता दें कि 1946 से 1964 के बीच जन्मे लोगों को बेबी बूमर्स कहा जाता है। इन्हीं बेबी बूमर्स ने लगभग 15 साल पहले विनाइल रिकॉर्ड पुनरुत्थान को बढ़ावा देने में मदद की। रिकॉर्ड की वापसी को 21वीं सदी का सबसे हैरतअंगेज कमबैक माना जा रहा है। अब तो रिकॉर्ड्स की डिमांड सिर्फ बेबी बूमर्स से कहीं आगे निकल चुकी है।
अब अमेरिका और यूरोप में युवा पीढ़ी रिकॉर्ड प्लेयर्स या टर्नटेबल्स और एल्बम खरीद रही है। यही नहीं, कैसेट टेप भी खूब बिकने लगे हैं। तमाम कलाकारों की एक नई पीढ़ी अपने एलबम अब विनाइल रिकॉर्ड में रिलीज़ कर रहे हैं।
नए सिरे से बने प्लांट
विनाइल रिकॉर्ड की मांग घटने के कारण प्रमुख कंपनियों ने अपने संयंत्रों को बहुत पहले बंद कर दिया था, लेकिन अब नए उत्पादक भी बाजार में आ गए हैं। पिछले 10 - 15 वर्षों में ढेरों कंपनियां आ गईं हैं। अमेरिका में अब लगभग 40 संयंत्र हैं। कंपनियों का कहना है कि उनके सामने कई चुनौतियां भी हैं। बढ़ती मांग के कारण छह से आठ महीने का बैकलॉग बना हुआ है और विनाइल पॉलिमर सहित कच्चे माल की आपूर्ति में व्यवधान के कारण समस्याएँ पैदा हुई हैं। एक नया प्रेसिंग प्लांट लॉन्च करना भी आसान नहीं है क्योंकि दुनिया में कुछ मुट्ठी भर कंपनियां ही रिकॉर्ड-प्रेसिंग मशीन बनाती हैं। अमेरिका में इस मशीन को बनाने वाली कोई कंपनी ही नहीं है।
नैशविले में, यूनाइटेड रिकॉर्ड प्रेसिंग कंपनी 1949 में लॉन्च हुई थी और इसने कभी भी रिकॉर्ड बनाना बंद नहीं किया। यह वर्तमान में 15 मिलियन डॉलर खर्च करके अपना विस्तार कर रही है जो अगले वर्ष के मध्य में इसकी क्षमता को तीन गुना कर देगा। उत्तरी अमेरिका में रिकॉर्ड की मांग को पूरा करने की कोशिश करने के लिए दर्जनों रिकॉर्ड-प्रेसिंग फैक्ट्रियां बनाई गई हैं - और यह अभी भी पर्याप्त नहीं है। नैशविले, टेनेसी में अमेरिका के सबसे बड़े रिकॉर्ड निर्माता, यूनाइटेड रिकॉर्ड प्रेसिंग के सीईओ और अध्यक्ष मार्क माइकल्स ने कहा है कि - उद्योग एक नये गियर में आ गया है, और एक नई गति से ऊपर बढ़ रहा है।"
सस्ता नहीं है ये शौक
विनाइल रिकॉर्ड (vinyl record) असल में एक शौक की चीज है। म्यूजिक तो मोबाइल कंप्यूटर, सीडी, वगैरह कैसी भी डिवाइस से सुनी जा सकती है लेकिन रिकॉर्ड को टर्नटेबल पर बजाना, टर्नटेबल की सुई का रिकॉर्ड पर घूमना, रिकॉर्ड की अलग साउंड, ये सब एक जादुई माहौल बनाते हैं जिसे कोई डिवाइस टक्कर नहीं दे सकती। लेकिन आज जहां मुफ्त में ऑनलाइन संगीत उपलब्ध है, वहां रिकॉर्ड और टर्नटेबल खरीदना काफी खर्चे वाला शौक है। भारत में कई कंपनियां रिकॉर्ड बेच रही हैं और एक लॉन्ग प्ले (एलपी) रिकॉर्ड की कीमत 600 रुपये से 6 हजार रुपये तक है। फिर भी औसत कीमत 1500 रुपये से 2000 रुपये के बीच है। जहां तक टर्नटेबल की बात है तो वह आपको 6000 रुपये से 24 हजार रुपए के बीच मिल जाएंगे। किसी ज़माने में मर्फी, एचएमवी और फिलिप्स जैसी कंपनियां टर्नटेबल बनाती थीं। आज कुछ गिनी चुनी कंपनियां इन्हें बनाती हैं।