TRENDING TAGS :
सद्गुरु को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ मामला खारिज किया
Supreme Court: आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सद्गुरु को बड़ी राहत मिली है।
Supreme Court
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने एक पिता द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर कार्यवाही बंद कर दी है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उनकी दो बेटियों का कोयंबटूर में जग्गी वासुदेव के ईशा योग केंद्र में रहने के लिए 'ब्रेनवॉश' किया गया था। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने फैसला सुनाया कि चूंकि दोनों महिलाएं वयस्क हैं, इसलिए योग केंद्र में रहने की इच्छा व्यक्त करने के बाद याचिका का उद्देश्य पूरा हो गया है। न्यायालय ने उल्लेख किया कि आठ साल पहले, महिलाओं की मां ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी, और अब उनके पिता ने इसी तरह के अनुरोध के साथ अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
क्या लगा था आरोप
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि उनकी बेटियों का योग कक्षाओं में जाने के बाद ब्रेनवॉश किया गया और उन्हें केंद्र में हिरासत में रखा गया है। बड़ी बेटी के पास एक विदेशी विश्वविद्यालय से पीजी की डिग्री है और छोटी एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। पीठ ने याद दिलाया कि उसने पिछली सुनवाई के दौरान महिलाओं से सीधे बात की थी। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, "हमने दोनों महिलाओं से बात की और रिकॉर्ड किया। दोनों ने कहा कि वे वहां अपनी मर्जी से रह रही हैं और हमें बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को बंद करने की जरूरत है।"
हमारा विचार संगठन को बदनाम करना नहीं- CJI
आज सद्गुरु की ईशा फाउंडेशन को लेकर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज ने ईशा फाउंडेशन के वकील मुकुल रोहतगी से कहा कि अगर आपके आश्रम में महिलाएं और नाबालिग बच्चे हों तो वहां आंतरिक शिकायत कमेटी (ICC) का होना जरूरी है। कोर्ट का उद्देश्य किसी संगठन को बदनाम करने का नहीं है। लेकिन हर एक संस्था की कुछ आवश्यक जरूरतें होती हैं। जिनका पालन होना चाहिए। इसीलिए आपको संस्था पर इस बात का दबाव डालना चाहिए कि इन बुनियादी जरूरतों का जल्द पालन किया जाए।