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गंगा आरती और सूर्य नमस्कार के साथ नव संवत्सर का स्वागत, काशी के घाटों पर दिखी अलग छटा
वाराणसी। वासंतिक नवरात्र के साथ ही विक्रमी नववर्ष 2075 का शुभारंभ हो चुका है। धर्म नगरी काशी में हिंदू परंपरा के अनुसार नए साल का स्वागत किया। काशी के विश्व प्रसिद्ध गंगा घाटों पर सुबह से श्रद्धालु जुट गए। इसके बाद गंगा आरती के साथ नए साल का स्वागत किया गया। घाट पर मौजूद बटुकों ने घंटे-घड़ियाल, डमरू की थाप और सूर्य नमस्कार के साथ नव संवत्सर के आगमन का स्वागत किया। केदारघाट पर प्रातर्मंगलम् के साथ बटुकों और संतों ने नववर्ष की शुरुआत की। स्वामी अभिमुक्तेश्वरानंद ने नए वर्ष के पंचांग का अनावरण किया।
बटुकों ने की सुख समृद्धि की कामना-
इस मौके पर बटुकों ने मां गंगा को जल समर्पित कर इस वर्ष को सुख और शान्ति से व्यतीत होने की कामना की तो वहीं स्वास्थ्य शरीर के लिए दुनिया को काशी के तट से योग की शिक्षा दी। बटुकों ने नव वर्ष के पहले दिन गंगा के आंचल में योग कर लोगों को योग करने के लिए जागरूक भी किया।
उमड़ा मां के भक्तों का रेला-
वहीं नवरात्रि के पहले दिन भगवती दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री के दर्शन-पूजन का विधान है। वासंतिक नवरात्रि के प्रथम दिन वाराणसी के अलईपुर स्थित मां शैलपुत्री के पावन मंदिर में दर्शन-पूजन को लेकर श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा।