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गणतंत्र दिवस: जानिए भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों के बारे में, बड़ा रोचक है इनका इतिहास
अशोक स्तम्भ के सिंहों को 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में मान्यता मिली थी। इसे उत्तर प्रदेश के सारनाथ स्थित अशोक स्तम्भ से लिया गया था। ये दहाड़ते हुए सिंह धर्म चक्र प्रवर्तन के रूप में दृष्टिमान हैं।
लखनऊ: 26 जनवरी को पूरा भारत गणतंत्र दिवस मनाता है। इस दिन भारत का संविधान लागू हुआ था। इस उपलक्ष्य पर 26 जनवरी को पूरा भारत राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाता है। गणतंत्र दिवस के इस खास मौके पर आज हम इतिहास के पन्नों से कुछ जानकारी आपसे साझा करेंगे जिसका सीधा संबंध हमसे और हमारे देश से है।
प्रतीक चिह्न
भारत का राष्ट्रिय पर्व हो और राष्ट्रीय प्रतीकों की बात न हो भला ये कैसे संभव हो सकता है। तो आईये जानते हैं भारत के राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों के बारे में जो भारत की राष्ट्रीय पहचान का आधार हैं। इसकी विशिष्ट पहचान और विरासत का कारण राष्ट्रीय पहचान है जो भारतीय नागरिकों के दिलों में देशभक्ति और गर्व की भावना को महसूस कराता है।
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अशोक स्तम्भ
अशोक स्तम्भ के सिंहों को 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में मान्यता मिली थी। इसे उत्तर प्रदेश के सारनाथ स्थित अशोक स्तम्भ से लिया गया था। ये दहाड़ते हुए सिंह धर्म चक्र प्रवर्तन के रूप में दृष्टिमान हैं। बुद्ध ने वर्षावास समाप्ति पर भिक्षुओं को चारों दिशाओं में जाकर लोक कल्याण हेतु ‘बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय’ का आदेश दिया था, जो आज सारनाथ के नाम से विश्विविख्यात है।
हमारे राष्ट्रीय झंडे (तिरंगा) के बीच में जो अशोक चक्र का चिह्न विद्यमान है वो अशोक के स्तम्भ से ही लिया गया है। नीचे वाली पट्टी में चार पशु जिनमें हाथी, घोड़ा, बैल और सिंह बने हुए हैं वो देखने में संजीवता का आभास कराते हैं। अशोक द्वारा बनाए गए स्तम्भ सम्राट अशोक की शक्ति का प्रतीक भी माने जाते हैं।
भारत का राष्ट्रीय ध्वज
बराबर अनुपात के तीन रंगों की पट्टी में विभाजित आयताकार क्षैतिज भारतीय राष्ट्रीय ध्वज है। सबसे ऊपरी पट्टी गहरे केसरिया रंग, बीच मे सफेद रंग और सबसे नीचे की हरा रंग है।
केसरिया रंग- हिम्मत को प्रदर्शित करता है
सफेद रंग- शुद्धता को दिखाता है
हरा रंग- उर्वरता को दिखाता है
नीला चक्र
तिरंगे बीच की सफेद पट्टी में एक नौसैनिक नीला चक्र है (जिसे धर्म चक्र या कानून का पहिया भी कहते हैं) जिसके केन्द्र में 24 तिलीयां हैं। इसको अशोक चक्र कहते है। स्वराज ध्वज के आधार पर पिंगाली वैंकैया द्वारा भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को तैयार किया गया। 22 जुलाई 1947 के एक मीटिंग में संवैधानिक सभा द्वारा भारत के प्रभुत्व के सरकारी ध्वज के रुप में आधिकारिक तौर पर भारत के राष्ट्रीय ध्वज के वर्तमान स्वरुप को स्वीकार किया गया था।
भारत की राष्ट्रीय नदी
जब भारत के प्रतीक चिन्हों की बात हो रही है तो राष्ट्रीय नदी के बारे में बात करना जरुरी है। गंगा भारत की राष्ट्रीय नदी है। भारतीय आस्थाओं में गंगा को देवी और मां का दर्जा प्राप्त है। हिंदु मान्यताओं के अनुसार, यह पृथ्वी पर सबसे पवित्र नदी है। वास्तव में, हिंदु लोग इस नदी के तट पर कई अनुष्ठान करते हैं। भारतीय शहर वाराणसी, इलाहाबाद और हरिद्वार इस नदी के कारण प्रसिद्ध हैं। भारत की सबसे लंबी नदी गंगा 2510 कि.मी. पहाड़ों, मैदानों और घाटियों से बहती हैऔर यह देश की सबसे लंबी नदी है।
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राष्ट्रीय पक्षी
सन् 1963 में मोर को भारत का राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया था। यह पूरी तरह से भारतीय संस्कृति और परंपरा का हिस्सा था। मोर शिष्टता और सुंदरता का प्रतीक है। मोर को राष्ट्रीय पक्षी चुने जाने का एक कारण इसका पूरे देश में पाया जाना भी है।
भारत के राष्ट्रीय प्रतिक एक नजर में
राष्ट्रीय पशु- बाघ
फूल- कमल
फल- आम
खेल - हॉकी
मुद्रा - रुपया
राष्ट्र भाषा- हिंदी
वृक्ष- बरगद
राष्ट्रीय गीत - बंदे मातरम
राष्ट्र गान- जन गण मन