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जीप मामले पर सेना को ज्ञान दे रही एमनेस्टी, कुछ पाकिस्तान और आतंकियों को भी दे दो

Rishi
Published on: 23 May 2017 9:34 PM IST
जीप मामले पर सेना को ज्ञान दे रही एमनेस्टी, कुछ पाकिस्तान और आतंकियों को भी दे दो
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श्रीनगर : मानवाधिकारों पर नजर रखने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मंगलवार को भारतीय सेना के उस अधिकारी को पुरस्कृत किए जाने पर अपनी आपत्ति जाहिर की है, जिसने जम्मू एवं कश्मीर में पत्थरबाजों से बचने के लिए एक नागरिक को अपनी जीप के आगे बांध दिया था। एमनेस्टी ने कहा है कि सेना के ऐसे अधिकारी को पुरस्कृत करना मानवाधिकारों की अवहेलना करना है।

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एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक आकार पटेल ने एक वक्तव्य जारी कर कहा, "भारतीय सेना द्वारा एक ऐसे जवान को पुरस्कृत करना, जिस पर पिछले महीने जम्मू एवं कश्मीर में एक नागरिक को चलती जीप के आगे बांधने का संदेह है, प्रदर्शित करता है कि भारतीय सेना मानवाधिकार उल्लंघन की अनदेखी करती है।"

वक्तव्य में आगे कहा गया है, "मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप में जांच के घेरे में चल रहे एक सैन्य अधिकारी को पुरस्कृत करना बताता है कि भारतीय सेना क्रूर, आमनवीय और प्रताड़ना की हद तक अपमानजनक व्यवहार की न सिर्फ अनदेखी करना चाहती है, बल्कि इसे और बढ़ावा देती है।"

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, भारतीय सेना प्रमुख ने उस मेजर को 'आतंकवाद-रोधी अभियान में उनके सतत प्रयास' के लिए प्रशस्ति-पत्र से सम्मानित किया है।

अधिकारी ने पत्थरबाजों से बचने के लिए एक स्थानीय 24 वर्षीय व्यक्ति फारूक अहमद डार को जीप के आगे बांधने का आदेश दिया था। व्यक्ति के सीने पर एक पोस्टर लगाया गया था, जिस पर लिखा था 'मैं एक पत्थरबाज हूं'। व्यक्ति को उसी तरह पांच किलोमीटर तक जीप के आगे बांधे रखा गया।

सेना के कुछ अधिकारियों ने दावा किया है कि पत्थरबाजों से सेना के जवानों को बचाकर निकालने के उद्देश्य से फारूक डार को जीप के आगे बांधा गया। हालांकि 14 अप्रैल को सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए वीडियो में लाउडस्पीकर से यह घोषणा करते हुए सुना जा सकता है कि 'पत्थर फेंकने वालों का यही अंजाम होगा'।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, सेना के एक प्रवक्ता ने सोमवार को कहा कि मेजर को यह पुरस्कार उनके 'सतत प्रयासों' के लिए दिया गया, हालांकि प्रवक्ता ने इस सम्मान को नौ अप्रैल की घटना से संबद्धता की पुष्टि करने से इनकार कर दिया।

सेना ने व्यक्ति को जीप से बांधे जाने के मामले में जांच के आदेश दिए हैं। हालांकि अभी यह साफ नहीं हो सका है कि जांच पूरी हो चुकी है या नहीं। पुलिस भी मामले में अपनी जांच कर रही है।

फारूक डार ने एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया से कहा, "मुझे न्याय चाहिए। मैं चाहता हूं कि मुझे जीप से बांधने वाले अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चले। न ही पुलिस और न ही सेना ने अब तक मेरा बयान लिया है। मामले में अब तक क्या हुआ है, इसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है।"

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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